म्यांमार : फ़ौज का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों को 20 साल तक की सज़ा

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म्यांमार में सोमवार को हुए तख्तापलट के बाद वहां की पुलिस ने नेता आंग सान सू ची पर कई आरोप लगाए हैं.

पुलिस के दस्तावेज़ों के अनुसार उन्हें 15 फरवरी तक के लिए कस्टडी में भेज दिया गया है. आंग सान सू ची पर आयात निर्यात के नियमों के उल्लंघन करने और ग़ैर-क़ानूनी ढंग से दूरसंचार यंत्र रखने के आरोप लगाए गए हैं.

हालांकि उन्हें कहां रखा गया है इस पर अभी अधिक जानकारी नहीं मिल पाई है. लेकिन खबरें हैं कि उन्हें राजधानी नेपीडाव में उनके घर में बंद रखा गया है.

अपदस्त राष्ट्रपति विन मिन पर भी कई आरोप लगाए गए हैं. दस्तावेज़ों के अनुसार उन पर कोविड-19 महामारी के दौरान लोगों के इकट्ठा होने पर प्रतिबंध लगाने के नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया है. उन्हें भी दो सप्ताह के लिए पुलिस कस्टडी में भेजा गया है.

अब फ़ौज ने कहा है कि तख़्तापलट करने वाले नेताओं के ख़िलाफ़ नफरत फैलाने और उनका अवमानना करने वालों को लंबी सज़ा होगी और उन पर जुर्माना लगाया जाएगा. क़ानूनों में इन बदलावों की घोषणा कई शहरों की सड़कों पर बख़्तरबंद वाहनों के दिखने के बाद की गई है.

हाल के दिनों में कई हज़ार लोगों ने म्यांमार में सैन्य तख्तापलट के ख़िलाफ़ विरोध-प्रदर्शनों में हिस्सा लिया है. प्रदर्शनकारी आंग सान सू ची समेत कई निर्वाचित नेताओं को हिरासत से छोड़ने की मांग कर रहे हैं. इसके अलावा वे देश में फिर से लोकतंत्र की बहाली की मांग कर रहे हैं.

सोमवार को आंग सान सू ची के वकील खिन माउंग जॉ ने बताया कि उनकी हिरासत दो दिनों के लिए और बढ़ा दी गई है. वो अब नेपिडॉ की एक अदालत में होने वाली सुनवाई में वीडियो लिंक के माध्यम से शामिल होंगी.

आंग सान सू ची को सरकार के दूसरे अहम सदस्यों के साथ 1 फरवरी को हिरासत में ले लिया गया था. समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक उनकी हिरासत 15 फरवरी को ख़त्म होने वाली थी.

Sach ki Dastak

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