विपक्षियों के सरकार बनाने के दावे को ओली और राष्ट्रपति ने मिलकर दिया झटका

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कोरोना महामारी के बीच नेपाल में राजनीतिक संकट गहरा गया है। बीती रात राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने देश की संसद को भंग कर दिया। राष्ट्रपति की ओर से 12 और 19 नवंबर को देश में मध्यावधि चुनाव का ऐलान किया गया है। नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की तरफ से देश की संसद को भंग करने की सिफारिश की गई थी। जिसे विद्या देवी ने अपना समर्थन देते हुए संसद को भंग करने की घोषणा कर दी।

विपक्ष ने भी सरकार गठन का किया दावा 

नेपाल का राजनीतिक संकट अब और गहरा गया जब ओली और विपक्षी दल दोनों ने ही राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी को सांसदों के हस्ताक्षर वाले पत्र सौंप कर नई सरकार बनाने का दावा पेश किया। प्रधानमंत्री ओली विपक्षी दलों के नेताओं से कुछ मिनट पहले ही राष्ट्रपति के कार्यालय पहुंचे।

उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 76 (5) के अनुसार पुन: प्रधानमंत्री बनने के लिए अपनी पार्टी सीपीएन यूएमएल के 121 सदस्यों और जनता समाजवादी पार्टी के 32 सांसदों के समर्थन के दावे वाला पत्र सौंपा। इससे पहले नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा ने 149 सांसदों का समर्थन होने का दावा किया। देउबा प्रधानमंत्री पद का दावा पेश करने के लिए विपक्षी दलों के नेताओँ के साथ राष्ट्रपति के कार्यलय पहुंचे। खबरों के अनुसार प्रधानमंत्री ओली ने संसद में अपनी सरकार का बहुमत साबित करने के लिए एक और बार शक्ति परीक्षण से गुजरने में बीते दिनों अनिच्छा व्यक्त की थी।

चार बार पीएम रह चुके हैं देउबा

शेर बहादुर देउबा 74 वर्ष के हैं और नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष हैं। देउबा चार बार नेपाल के प्रधानमंत्री भी रह चुके हैं।  वह 1995 से 1997 तक, 2001 से 2002 तक, 2004 से 2005 तक और 2017 से 2018 तक इस पद पर रहे हैं। देउबा 2017 में आम चुनावों के बाद से विपक्ष के नेता हैं।

सरकार बनाने के लिए 136 सीटों की जरूरत

नेपाल की 275 सदस्यी प्रतिनिधि सभा में 121 सीटों के साथ सीपीएन-यूएमएल सबसे बड़ा दल है। इस समय बहुमत से सरकार बनाने के लिए 136 सीटों की जरूरत है।

राष्ट्रपति ने दोनों के दावे को किया खारिज

राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी और प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने विपक्ष की सरकार बनाने की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। राष्ट्रपति की ओर से नेपाल की संसद को भंग कर मध्यावधि चुनाव के लिए तारीखों की घोषणा कर दी गई। राष्ट्रपति कार्यालय की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार प्रधानमंत्री पद के लिए शेर बहादुर देउबा और केपी शर्मा ओली दोनों के दावों को खारिज कर दिया गया। खबरों के अनुसार प्रधानमंत्री ओली ने संसद में अपनी सरकार का बहुमत साबित करने के लिए एक और बार शक्ति परीक्षण से गुजरने में बीते दिनों अनिच्छा व्यक्त की थी।

क्यों पैदा हुए ऐसे हालात 

नेपाल के प्रधानमंत्री ओली को 10 मई को उनके पुन: निर्वाचन के बाद प्रतिनिधि सभा में 30 दिनों के भीतर बहुमत साबित करना था। आशंका थी कि अगर अनुच्छेद 76 (5) के तहत नई सरकार नहीं बन सकी तो ओली अनुच्छेद 76 (7) का प्रयोग कर एक बार फिर प्रतिनिधि सभा को भंग करने की सिफारिश करते। केपी शर्मा ओली को 14 मई को संविधान के अनुच्छेद 76 (3) के अनुसार नेपाल के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई थी। इससे चार दिन पहले ही वह संसद में विश्वास मत में पराजित हो गए थे।

Sach ki Dastak

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