दाने-दाने को तरस रहा आतंकिस्तान, लेकिन फिर भी इमरान खान ने IMF से लिया 50 करोड़ डॉलर का कर्ज

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पाकिस्तान के पीएम इमरान खान जब प्रधानमंत्री बने थे, तब उन्होंने अपने देशवासियों को तरह-तरह के ख्वाब दिखाए गए थे।

तबाही के मुंहाने पर खड़े पाकिस्तान से उन्होंने कई तरह के वादे किए। जैसे- जिसमें इकॉनमी में सुधार, जनता की गरीबी दूर करना आदि। हालांकि, सरकार बनाए काफी समय बीत जाने के बाद भी इमरान खान अपने देश को विभिन्न प्रकार की दिक्कतों से बचा नहीं सके और जनता दाने-दाने को मोहताज हो रही है। देश पर रोजाना कर्ज बढ़ता जा रहा है, जिसकी वजह से कई देश उसे कर्ज देने से पहले सौ बार सोचने लगे हैं।

पैसों की तंगी के चलते इमरान खान न तो पाकिस्तान में इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत कर पा रहे हैं और न ही जनता के लिए कुछ खास कर पा रहे। अब एक बार फिर से उन्होंने कर्ज मांगकर खर्चा चलाना पड़ रहा है। पाकिस्तान ने इंटरनेशनल मॉनेट्री फंड (IMF) के साथ 50 करोड़ डॉलर के कर्ज का समझौता किया है।

आईएमएफ और पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने समझौते की जानकारी दी। विदेश मंत्री डॉ. हफीज शेख ने ट्वीट किया कि कोरोना महामारी की वजह से आईं चुनौतियों से निपटने के लिए ठोस प्रयासों की जरूरत है। यह समझौता पाकिस्तान के विकास के लिए काफी महत्वपूर्ण है। वहीं, आईएमएफ ने बयान जारी कर बताया है कि यह पैकेज इकॉनमी को समर्थन देने, कर्ज स्थिरता सुनिश्चित करने और स्ट्रक्चरल सुधार को आगे बढ़ाने के बीच संतुलन बनाता है। फंड ने पुष्टि की कि यह समझौता 50 करोड़ डॉलर का हुआ है।

IMF ने बयान में आगे कहा, ”विस्तारित फंड सुविधा (ईएफएफ) के तहत पाकिस्तान की प्रगति महामारी के सदमे से अस्थायी रूप से बाधित हो गई थी। पाकिस्तानी अधिकारी महत्वाकांक्षी नीतिगत कार्रवाइयों और सुधारों के लिए प्रतिबद्ध हैं, ताकि आर्थिक लचीलापन मजबूत हो, लगातार विकास हो और ईएफएफ के जरिए तय समयसीमा में उद्देश्यों को प्राप्त किया जा सके।”

वहीं, इस समझौते पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, पाकिस्तान में उद्योग और उत्पादन मंत्री हम्माद अजहर ने कहा कि पाकिस्तान की इकॉनमी स्टेबलाइजेशन फेज के माध्यम से सफलतापूर्वक चली। कोविड-19 के झटके के दौरान भी हमारी इकॉनमी ने अधिकांश देशों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया और अब विकास की ओर अग्रसर है। आईएमएफ के साथ समझौते पर उन्होंने कहा कि यह इकॉनमी को निश्चितता और बफर प्रदान करेगा।

बता दें कि बेल्ड एंड रोड इनिशिएटिव को लेकर चीन के झांसे में आया पाकिस्तान बुरी तरह से फंसा हुआ है। पावर प्रॉजेक्ट्स के लिए पिछले 8 साल में चीन से जमकर लोन लेने वाला पाकिस्तान अब किस्ते नहीं चुका पा रहा है। ऐसे में अब उसने अपने कथित दोस्त से राहत मांगने की तैयारी में है।

करीब एक दर्जन पावर प्लांट्स के लिए कर्ज की किस्त अदायगी में राहत के लिए पाकिस्तान और चीन ने अनौपचारिक चर्चा हुई है।

वहीं, इकॉनमी और कर्ज को लेकर अपने ही देश में घिरने के बाद इमरान सरकार पिछली सरकारों को इसके लिए दोष दे रही है। सितंबर 2020 के अंत तक पाकिस्तान का कुल कर्ज और देनदारियां पाकिस्तानी रुपये में 44,801 बिलियन (280 बिलियन डॉलर) हो चुका था। इसके बाद, तीन महीने में 245 बिलियन की बढ़ोतरी दर्ज की गई थी।

Sach ki Dastak

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