चुनावी व्यंग – हमारे गांव के दीपक चौरसिया
रामधनी काका हमारे गाँँव-जवार के साधारण व्यक्ति भर नहीं अपितु किसी भी चुनाव के आगामी परिणाम के–“दीपक चौरसिया”हैं। उनके होंठों से चिपकी हुई, देशी बीड़ी के सुट्टे से निकलता हुआ धुआं उनकी गांभिर्यता को और अलौकिक कर देता है।
लोकसभा चुनाव 2019की घोषणा होते ही रामधारी काका अपनी पुरी रौ मे चाय की दुकान की तरफ बढ़ चले है.उस अड़ी पे बैठे लोग भी जैसे उतावले से है,कि-कितनी जल्द वे इस चाय की अड़ी पे अपनी सटीक राजनैतिक भविष्यवाणी के साथ पद्मासन लगाकर बैठे और अपनी लच्छेदार भाषा शैली के गुरूत्वाकर्षण मे सभी को सम्मोहित कर एक-एक नेता की–“प्याज रूपी चरित्र की बखिया उधेड़ दें.”
उनकी वार्ता के इस–“अफीम का असर कभी-कभी इस अड़ी के चाय वाले के ऊपर भी दिखाई देता है और वे इस आनन्दातिरेक में कभी चायपत्ती तो कभी चीनी डालना ही भूल जाता है.”चाय पीने वाले भी इसी नशे मे बिना चीनी और चायपत्ती की चाय पी जाते है और उनके मन मष्तिष्क मे होने वाले चुनाव का कलात्मक सोंधापन मानो उन्हें तृप्त सा कर देता है।
ये इतिहास रहा है कि आज तलक जितने भी लोकसभा चुनाव हुऐ,उसी की सरकार बनी जिसे रामधारी काका ने पूरी रौ मे और अपने खम के साथ बताया.
अगली लोकसभा चुनाव में रामधारी काका ने अपने -नास्त्रेदमस शैली में कहा कि, देख लेना भाजपा की सुनामी मे सभी पार्टियां अपने अस्तित्व सहित उड़ जाऐंगीऔर केंद्र में वन मैन शो की तरह -“मोदी युग की शुरूआत होगी और वही हुआ.”
जब सभी ने एक सुर में इस अड़ी के -“दीपक चौरसिया” से ये सवाल दागा कि, काका इस बार के चुनाव में परिणाम का ऊँँट किस करवट बैठेगा,तो उन्होंने कहा कि,-इसबार भी मोदी और शाह से पार पा जाना हाल-फिलहाल सभी के लिए दूर की कौड़ी है.राहुल गांधी और कांग्रेस इस समय राजनैतिक मस्तिष्क के भयंकर ब्रेनहैमरेज अर्थात लकवा से पीड़ित हैं. इनके सत्ता पा लेने की इच्छा वैसी ही है
जैसे -“किसी नपुंसक व्यक्ति को मर्दाना दवा खिला उससे पुरूषोचित चर्मोत्कर्ष की उम्मीद की जाये.”
यानि एकबार फिर हमारे गांव – जवार के “दीपक चौरसिया”ने चुनाव परिणाम की अपुष्ट भविष्यवाणी कर दी है. लेकिन ये भविष्यवाणी है ,रहा बाकी परिणाम जो अब तक का बताते रहे हैं, उस भविष्ययवाणी के चक्रव्यूह को तोड़ पाने वाला दूर-दूर तलक –“कोई अभिमन्यु या अर्जुन नहीं दिख रहा.”