खौफनाक काली बर्फ की चादर में लिपटा साइबेरिया, जानें- वजह

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क्या आपने कभी काली बर्फबारी के बारे में सुना है। आपको सुनने में ये कुछ अचरज भरा लग रहा होगा, लेकिन दुनिया के एक हिस्से में लोगों के लिए काली बर्फबारी मुसीबत का सबब बन चुकी है।

यहां हम बात कर रहे इस सीजन में दुनिया के सबसे ठंडे इलाकों में शामिल साइबेरिया की। दक्षिण-पश्चिम साइबेरिया के केमेरोवो क्षेत्र स्थित तीन शहरों को पिछले कुछ समय से खतरनाक काली बर्फ ने ढक रखा है। इन तीन शहरों में प्रोकोपाइव्स्क, किसलीकोव, और लेनिन्स्क-कुज़नेत्स्की (Prokopyevsk, Kiselyovsk, and Leninsk-Kuznetsky) शहर शामिल हैं। यहां के लोग अपने बच्चों को इस काली बर्फ में खेलता देख कर बेहद डरे हुए हैं। सोशल मीडिया पर काले बर्फ से ढके साइबेरिया के इन शहरों की डरावनी फोटो इन दिनों खूब वायरल हो रही है।

अंतरराष्ट्रीय मीडिया में भी साइबेरिया में काली बर्फबारी की खबरें छायी हुई हैं। रूसी मीडिया में काली बर्फबारी वाली तस्वीरों की तुलना विनाश के बाद के भूतिया नजारे के तौर पर की जा रही है। माना जा रहा है कि साइबेरिया में हो रही काली बर्फबारी की वजह कोयले की धूल है। पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करने वालों का कहना है कि यहां पर कोयले की कई खुले गड्ढ़ों वाली खदानें हैं। यहां मनमाने तरीके से कोयले की खुदाई चल रही है। इससे कोयले की धूल फिजाओं में दूर-दूर तक फैल चुकी है।

जानकारों के अनुसार साइबेरियन शहरों में रह रहे तकरीबन 2.6 मिलियन (26 लाख) लोग इन खुली खदानों से उड़ने वाली कोयले की धूल से खासे परेशान हैं। कोयले की धूल से इन लोगों के स्वास्थ्य को गंभीर खतरा है। इसी की वजह से यहां पर जहरीली काली बर्फबारी हो रही है। स्थानीय लोगों ने भी सोशल मीडिया पर इस काली बर्फबारी की कई फोटो पोस्ट की हैं। इन फोटो पर कुछ लोगों ने कमेंट किया है कि क्या ये बर्फ आपको नरक का एहसास करा रही है?

कुजनेत्स्क बेसिन (Kuznetsk Basin) में दक्षिण-पश्चिम साइबेरिया का केमेरोवो क्षेत्र में दुनिया की सबसे बड़ी कोयला खदानें मौजूद हैं। कोयले की धूल से होने वाले प्रदूषण की वजह से यहां रहने वाले लोगों की औसत आयु, राष्ट्रीय औसत आयु से तीन-चार साल कम है। इस क्षेत्र में कैंसर, बाल मस्तिष्क आघात और टीवी की दर भी राष्ट्रीय औसत से कहीं ज्यादा है। कोयले की इस धूल में कई तरह की खतरनाक चीजें मौजूद हैं। इसमें भारी धातु, आर्सेनिक और मरकरी आदि भी शामिल है।

मॉस्को टाइम्स में प्रकाशित खबरों के अनुसार दिसंबर 2018 में स्थानीय प्राधिकरणों के अधिकारियों ने इस काली बर्फबार के कारणों को छिपाने का पूरा प्रयास किया था।

पर्यावरण के लिए काम करने वाली एक एनजीओ के कार्यकर्ता व्लादिमिल स्लिव्यक के अनुसार सर्दियों में इतनी काली बर्फबारी होती है कि सफेद बर्फ देखना या तलाशना मुश्किल हो जाता है। यहां के पर्यावरण में हर वक्त बहुत सारी कोयले की धूल मौजूद रहती है। इस वजह से बर्फ गिरते ही उस पर कालिख जम जाती है।

Sach ki Dastak

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