जीजीआईसी सैयदराजा में निकली प्रभात फेरी
सच की दस्तक डिजिटल न्यूज डेस्क वाराणसी चन्दौली
काकोरी ट्रेन एक्शन शताब्दी समारोह के अंतर्गत शुक्रवार को राजकीय बालिका इंटर कॉलेज सैयदराजा में प्रभात फेरी निकाली गई जो विद्यालय से प्रारंभ होकर सैयदराजा नगर भ्रमण कर विद्यालय प्रांगण में आकर समाप्त हुई।
केंद्र सरकार के निर्देश के बाद प्रदेश सरकार ने काकोरी काण्ड को काकोरी ट्रेन एक्शन शताब्दी समारोह के रूप में पूरे प्रदेश में मनाने का निर्णय लिया। उसी के तहत पूरे जनपद चंदौली में शुक्रवार 9 अगस्त को काकोरी ट्रेन एक्शन शताब्दी समारोह मनाया गया।
राजकीय बालिका इंटर कॉलेज सैयदराजा में भी शुक्रवार को प्रभात फेरी निकाली गई।यह कार्यक्रम विद्यालय की प्रधानाचार्या डॉ. प्रतिभा गोस्वामी के दिशा-निर्देशन में हुआ। इस कार्यक्रम का नेतृत्व विद्यालय की शिक्षिका डॉ.सुभद्रा कुमारी ने किया। प्रभात फेरी में विद्यालय की छात्राओं ने भाग लिया।
प्रभातफेरी निकालने के पूर्व डॉ.सुभद्रा कुमारी ने 9अगस्त 1925 में हुए इस कांड के विषय छात्राओं को बताया। डॉ सुभद्रा ने कहा कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के क्रान्तिकारियों द्वारा ब्रिटिश राज के विरुद्ध भयंकर युद्ध छेड़ने की इच्छा थी, इसी इच्छा से हथियार खरीदने के लिये ब्रिटिश सरकार का ही खजाना लूट लेने की एक ऐतिहासिक घटना थी ।लखनऊ सहारनपुर ट्रेन वहीं ट्रेन है जो हमारे इतिहास का अहम हिस्सा है। नौ अगस्त 1925 की रात को भारत के वीर सपूतों ने अंग्रेजी हूकूमत को गहरी चोट देते हुए एक ट्रेन को लूटा था। इस घटना को काकोरी कांड के रुप में भी जाना जाता है।
इनकी थी उपस्थिति
प्रभात फेरी के दौरान पंकज सिंह,संगीता,कामिनी,शालिनी शर्मा,डॉ.विजय, सुधा जायसवाल, शालिनी वर्मा सहित विद्यालय की समस्त शिक्षिकाएं व छात्राएं उपस्थित थी।
आइए जाने काकोरी कांड क्या था
काकोरी ट्रेन एक्शन एक ट्रेन डकैती थी, जो 9 अगस्त, 1925 को लखनऊ के पास काकोरी नामक गाँव में ब्रिटिश राज के खिलाफ भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के क्रांतिकारियों द्वारा की गई थी।
इस डकैती कार्यवाही को हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के क्रांतिकारी राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाकउल्लाह खान, राजेंद्र लाहिड़ी, केशव चक्रवर्ती, मुकुंदी लाल, बनवारी लाल सहित 10 क्रांतिकारियों ने अंजाम दिया था।
गौरतलब है कि स्वतंत्रता सेनानी राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाकउल्लाह खान और रोशन सिंह को 19 दिसंबर, 1927 को काकोरी डकैती में शामिल होने के लिये फाँसी पर लटका दिया गया था।