सभी भारतीय नागरिकों के सभी आईडीप्रूफ में दर्ज उनके नाम के साथ उनके पिता का नाम दर्ज है परन्तु उनकी माता का नाम दर्ज नहीं इसी प्रकार सभी भारतीय नागरिकों के सर्वोच्च मुख्य न्यायालय में, भारत के सभी राष्ट्रीय पुरूषों का मुखिया भारत का मुख्य न्यायाधीश जी है परन्तु सभी भारतीय महिलाओं का मुखिया – भारतीय मुख्य न्यायाधीश साहब नहीं। क्या यह महिला विरोधी न्याय व्यवस्था नहीं? क्या यही महिला सशक्तीकरण है? क्या अपने भारत के शासक प्रधानमंत्री जी से, अपने भारत के मुख्य न्यायाधीश जी ने, अपने भारतीय मुख्य न्यायाधीश साहब को, हासिल किया है? इसीलिए सभी को तत्काल, निष्पक्ष, स्वच्छ व सम्पूर्ण न्याय हासिल नहीं? सच तो यह है कि – यह न्याय नहीं सिर्फ़ धोखा है।