यूपीटीईटी 2018 की परीक्षा में शुरूआत से ही विवादों में घिर गयी थी जब एक ही दिन दो पेपर वो भी अलग-अलग दूर-दूर सेंटर बना दिये गये थे तब स्टूडेंट्स के भारी रोष के कारण कि दूसरे पेपर देने वास्ते सेंटर तक उच्च प्राथमिक के लिए समय मील सके तो काफी जद्दोजहद के बाद आधा घंटे का समय बढ़ा दिया गया था जिसका असर यह हुआ कि परीक्षा रूम में अंधेरा बढ़ा बाकि जब पेपर छूटा तो सड़कों पर भारी जाम के चलते देर रात तक परीक्षार्थी घर पहुंच सके। इसके बाद हद तो तब हो गयी जब आंसर की जारी हुई तब सभी स्टूडेंट्स के होश उड़ गये कि कम से कम 22 सवाल पर विवाद है और यह उचित नहीं दिये गये हैं। जब सभी ने इस अन्याय के खिलाफ़ जबर्दस्त आवाज़ उठी और पीनपी के खिलाफ रिकार्ड तोड़ रिट की गयीं पर कोर्ट ने सभी को रिजेक्ट कर दिया गया। यह 22 सवालों में से करीब आठ विवादित सवालों को कोर्ट में पीनपी (परीक्षा नियामक प्राधिकरण बोर्ड, इलाहाबाद) को चुनौती दी गयी पर पीनपी ने एक्सपर्ट की टीम बुला ली और कहा कि जो देश में हिन्दी प्रकाशन की कम्पटीशन बुक चल रही वह प्रमाणित व विश्वसनीय नहीं है। सभी को हाई स्टैंडर्ड प्रमाणित बुक पढ़ना चाहिए यहां तक की एनसीआरटी की बुक तक को नहीं माना गया। अब सवाल उठता है कि या तो पीनपी पहले सभी को स्टैंडर्ड बुक उपलब्ध कराये या फिर सभी गलत बुक्स प्रकाशन को बैन कर दिया जाये अथवा जिन चार पांच लाख स्टूडेंट्स इस वजह से असफल हुये वह एक मुकदमा इन सब हिन्दी प्रकाशनों के ऊपर कर दें। पीड़ित परीक्षार्थी का पक्ष पीनपी द्वारा अपनी गल्ती का ठीकरा अविश्वसनीय हिन्दी प्रकाशनों पर फोड़ती हुई इस खोखली दलील ने इस तरह कमजोर कर दिया कि हाईकोर्ट नेे मात्र दो हिन्दी, एक उर्दू सवाल पर सभी को कॉमन अंक देकर बाकि सब सवालों पर अपना पल्ला झाड़ लिया और जिस रेखा शर्मा वाले आउट ऑफ सिलेबस का प्रश्न था उस पर ईवीएस का बता कर लीपापोती कर दी गई। अरे! ऐसा किस परीक्षा में होता है कि एक सवाल केे दो – दो उत्तर ठीक हों पर पीनपी करे तो सबठीक और परीक्षार्थी करें तो सब गलत यह कहां का न्याय है। यूपीटैट 2018 के लाखों स्टूडेंट्स जब हाईकोर्ट से भी अन्याय लेके लौटे तो उनकी सुनने वाला कोई नहीं था क्योंकि सरकार को सुपर टैट कराने की इतनी जल्दी पड़ी है कि वह कुछ देख ही नहीं रही कि पिछले यूपीटेट 2017 के पीड़ित अभी बैठे हैं।
—सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार यूपीटैट 2018 के पीड़ितों के लिये उनकी इस हक की लड़ाई में अवतार बन कर उभरे अखिलेश यादव और हिमांशु गंगवार सहित कई याचियों ने मिलकर डबल बैंच में रिट लगा दी है जिसकी सुनवाई 3जनवरी को हो सकती है और स्टे मिला तो और कई हजार पीड़ितों को न्याय मिल सकेगा और वह सुपर टेट में प्रतिभागी हो सकेगें। सरकार और पीनपी स्टूडेंट्स के दर्द को नहीं समझ सकती और देखना हो तो यूट्यूब पर देखो कि यूपीटैट 2018 का एक वीडियो आते ही पीड़ित उस पर दिन भर नजरें गढ़ाये आस लगाये रहते हैं और काफी लोग लाईव बातें करके अपना दर्द बांटते रहते हैं कि मेरा सिर्फ़ एक नम्बर कम है कुछ भी करके दिला दो, मुझे सुपरटैट देने का मौका मिल जाये। यह सब देखकर यही सवाल जेहन में आता है कि पीनपी वालों आज आप उच्च पदों पर आसीन हो आखिर! कभी तो आप भी स्टूडेंट्स रहे होगें?
2018 के पीड़ित डबल बैंच में निम्न इन सवालों पर रिट की तैयारी कर रहे हैं
-कौन स्वर हृस्व नहीं होता है?
-क्रिया प्रसूत अनुबंधन का दूसरा नाम?
– दृश्य से अदृश्य की ओर।
– निम्न में से कौन सा संवेग का तत्व नही है।
– इनमें से कौन वर्तमान राष्ट्रपति महिला आयोग की अध्यक्षा है।
– कोहलर यह सिद्ध करना चाहता है कि निम्न में से कौन सी बाद की बाल्यावस्था के बौद्धिक विकास की विशेषता नहीं है।
– व्याकरण की दृष्टि से कौन सा शब्द अशुद्ध है।
– निम्न में पुल्लिंग शब्द का चयन कीजिए।
– अस्मद शब्द का षष्ठी बहुवचन रूप है।
-सामान्य मनुष्य के शरीर का ताप?
बता दें कि प्राथमिक स्तर की परीक्षा का संशोधित परिणाम जारी कर दिया गया है। परीक्षा में 19,852 और उम्मीदवारों को पास किया गया है। upbasiceduboard.gov.in पर जाकर अपना रिजल्ट चेक कर सकते हैं। कुछ दिन पहले जारी किेए गए रिजल्ट में 3,66,285 उम्मीदवार पास हुए थे। संशोधित रिजल्ट में 19,852 अभ्यर्थी और पास हुए हैं। यानी यूपीटीईटी प्राथमिक परीक्षा 2018 में कुल 3,86,137 उम्मीदवार पास हुए हैं। परीक्षा में कुल 1170786 ने रजिस्ट्रेशन कराया था। 1101645 परीक्षार्थियों ने परीक्षा दी थी।बुधवार को हाइकोर्ट ने टीईटी 2018 से संबंधित एक याचिका की सुनवाई करते हुए हिंदी के दो और उर्दू के एक प्रश्न में सभी अभ्यर्थियों को नंबर देने का फैसला सुनाया है। 69 हजार शिक्षक भर्ती की लिखित परीक्षा में पंजीकरण की आखिरी तारीख 22 दिसंबर तक बढ़ाई जाएगी और 23 दिसंबर तक फीस जमा कर की जा सकेगी और आवेदन 24 दिसंबर तक होंगे। शिक्षक भर्ती की लिखित परीक्षा छह जनवरी को होनी है।माननीय आपकी 6जनवरी को सुपरटैट परीक्षा कराने की यह जल्दबाजी लााखों स्टूडेंट्स के भविष्य को रौंदतेे हुये नहीं गुजर सकती।
समझ में यह नहीं आता कि ऐसा अक्सर क्यों होता है कि अधिकारियों के गलत निर्णय की सजा लाखों परीक्षार्थियों को भुगतनी पड़ती है। पीनपी प्रयागराज में बीएड, बीटीसी, शिक्षामित्र बेरोजगार बड़ी संख्या में न्याय की बाट जोह रहे हैं।किसी को डायरेक्ट टीईटी पास शिक्षक बना दिया जाता है और यूपीटैट2018 में आप दो- दो परीक्षा करा कर, तो पिछली टैट – 2017के स्टूडेंट्स की कॉपियां जला कर उनकी मेहनत से खिलवाड़ किया जा रहा है, माननीय आप लोगों ने तो न सिर्फ़ यूनीवर्सिटी की डिग्रियों को ही चैलेंज किया बल्कि यूपीटैट परीक्षा को मजाक बना कर रख दिया है। आपसे विनती है माननीय, कृपया आप पक्षपात न करें और बेरोजगारों के धैर्य की और परीक्षा न लें।
यूपीटैट 2018 के पेपर में गलत प्रश्न बनाना यह आपकी गल्ती है और अब आप इसे प्रादेशिक किताबों पर ठीकरा फोड़ रहे कि यह सब किताबें प्रमाणित रूप से विश्वसनीय नहीं ठीक नहीं, अब आप पहले सभी को प्रमाणित पुस्तकें उपलब्ध करवा दीजिये फिर परीक्षा लीजिएगा । इस तरह आप अपनी गल्ती पर पर्दा नही डाल सकते माननीय।स्टूडेंट किन हालातों में पढ़ाई कर रहा है वो आप नहीं समझ सकते। बीएड, बीपीएड, बीटीसी, शिक्षामित्र आपके चार पुत्र समान है जिनके प्रति आपको समानता रखनी ही होगी माननीय।
यह जो पीनपी पर इस शर्द हवाओं से दो चार होतीं हुयीं जो कट ऑफ व विवादित सवालों, व पक्षपात को लेकर हजारों स्टूडेंट्स की आवाजें धरना प्रदर्शन के रूप में सुनाई पड़ रहीं हैं। यह लाखों भावी शिक्षकों का जीवन बर्बाद होने का, बेरोजगारी का असहनीय दर्द है, यह दुखी मन की आह है माननीय।
माननीय, स्टूडेंट्स के साथ बहुत अन्याय हुआ है जो बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। ताज्जुब होता है उस भक्त मीडिया पर जो किसी नेता की भैंस खो जाये तो न्यूज को ब्रेकिंग न्यूज बना कर घंटों चला देते हैं,किसी सेलेब्रिटी की शादी को घंटों दिखा देते हैं, चुनाव की खबर 24 घंटे चलाने का रिकार्ड बनाने पर तुले रहते हैं पर पीनपी प्रयागराज में हजारों-हजारों अन्याय पीड़ित छात्रों के दर्द को आपके ‘भक्त टीवी चैनलों’ पर नहीं दिखाते और न ‘भक्त अखबारों’ में स्थान ही मिल पाता है अरे! शर्म करो। धिक्कार है! आप भक्त चैनलों को।
यह यूपीटैट 2018 के स्टूडेंट की सिर्फ़ आवाज़ नहीं बल्कि यह सत्य की हुंकार है जो हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट क्या परमात्मा का सिंहासन तक हिलाने की हिम्मत रखती है माननीय।
करबद्ध निवेदन – बीएड, बीपीएड, बीटीसी, शिक्षामित्रों आप सभी भावी शिक्षक हैं कृपया आपस में मत उलझो, यह कुछ मुठ्ठी भर भ्रष्ट लोग कभी सबको धर्म के नाम पर कभी जाति के नाम पर कभी निजस्वार्थ में पक्षपात करके, कभी ऊँट के मुँह में जीरे समान वेकेंसी यानि लॉलीपॉप देकर बस लड़ाना जानती है बस राजनीति ही जानती है, मानवता नहीं।इन्हें यह क्यों नहीं समझ आता है कि यह जो बेरोजगारी बढ़ी है यह उन्हीं की गलत नीतियों यानि नाकामियों का परिणाम है जिसे पूरा देश भुगत रहा है। सरकार को यह गम्भीरता से समझना होगा कि इस महाअन्याय से पीड़ितों के दर्द का घड़ा एक दिन भरेगा भी और फटेगा भी जो कितना भयावह स्थिति होगी। इस बात से अनजान यह भ्रष्ट सिस्टम दिन प्रतिदिन अन्याय का दंश देता चला जा रहा है। खैर समय की बंद मुठ्ठी में क्या छिपा है यह तो कोई नहीं जानता पर आप सभी स्टूडेंट्स आपस में न उलझ कर देश के हर सरकारी महकमे में व्याप्त दुर्व्यवहार अन्याय, असमानता और पक्षपात रूपी भ्रष्टतंत्र के विरोध में आवाज बुलंद करें, सत्य आपके साथ है।
स्टूडेंट्स के हित में-
माननीय आप कहते हो….
देश का बेरोजगार चिचियाता बहुत है, बात-बात पर धरना देता है, अरे! पकौड़े तल लो……!
माननीय चलिये हम लोग कतई नहीं चिचियांगें पर आप देश के सभी 12 करोड़ बेरोजगारों के परिवार की पूरी जिम्मेदारी उठा लीजिये। आप कहेगें ये तो असम्भव हैं तो सुन लीजिये माननीय बेरोजगारों का चुप अन्याय सहना भी पूर्णतः असम्भव ही हैं।
देश का युवा इतनी कम बुद्धि है जो उसे कुछ बातें सीखने में चार साल लगेगें जो आप हर ट्रेनिंग को चार साल की करने पर तुले हैं मतलब साफ है युवाओं को ओवरएज करके उसका भविष्य बिगाड़ देना। दूसरा परीक्षा पर परीक्षा लेना यही सिद्ध करता है कि देश का युवा बुद्धिमान है और उसपर जबर्दस्ती परीक्षायें थोपीं जा रहीं हैं बात साफ है कि आप सभी को जॉब देने में असमर्थ हैं और ठीकरा कभी स्टूडेंट्स पर तो कभी किताबों पर फोड़ रहे है, पीनपी गलत प्रश्नपत्र बनाकर सैकड़ों हजारों स्टूडेंट्स के भविष्य से नहीं खेल सकती। किसी को जबरन फेल कर देना उसपर से सुपर टैट की इतनी जल्दबाजी, माननीय यह जल्दबाजी इतने स्टूडेंट्स के भविष्य को रौंदते हुये नहीं गुजर सकती। यह जवाबदेही आपको तय करनी ही होगी और स्टूडेंट्स को पास करके आपको अपनी गल्ती स्वीकार्यनी भी होगी फिर मत कहना देश का युवा इतना चिचियाता क्यों है?
सत्य अपना हक छींनना जानता है वह कभी भीख नहीं मांगता। युवाशक्ति जिससे राष्ट्र का सृजन होता है उसे दुख देने व उसे कमतर आंकने की भूल इतिहास साक्षी रहा है कि कितनी मंहगी पड़ी है।