विश्‍व जैव ईंधन दिवस 10 अगस्‍त, 2019

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विश्‍व जैव ईंधन दिवस हर साल 10 अगस्‍त को मनाया जाता है, जिसका उद्देश्‍य पांरपरिक जीवाश्‍म ईंधनों के विकल्‍प के रूप में गैर-जीवाश्‍म ईंधनों के महत्‍व के बारे में जागरूकता बढ़ाना और जैव ईंधन क्षेत्र में सरकार द्वारा किए गए विभिन्‍न प्रयासों पर प्रकाश डालना है। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय नई दिल्‍ली स्थित विज्ञान भवन में 10 अगस्‍त, 2019 को विश्‍व जैव ईंधन दिवस पर एक कार्यक्रम आयोजित करेगा। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस और इस्‍पात मंत्री धर्मेन्‍द्र प्रधान इस कार्यक्रम का उद्घाटन करेंगे। स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण तथा विज्ञान व प्रौद्योगिकी और पृथ्‍वी विज्ञान मंत्री डॉ• हर्षवर्धन इस स्‍मारोह के मुख्‍य अति‍थि होंगे। इस वर्ष विश्‍व जैव ईंधन दिवस की थीम ‘प्रयुक्‍त कुकिंग ऑयल (यूसीओ) से जैव डीजल का उत्‍पादन करना’ है।

जैव ईंधनों के विभिन्‍न फायदों में आयात निर्भरता में कमी, स्‍वच्‍छ पर्यावरण, किसानों को अतिरिक्‍त आमदनी और रोजगार सृजन शामिल हैं। जैव ईंधन कार्यक्रम इसके अलावा भारत सरकार की ‘मेक इन इंडिया’, स्‍वच्‍छ भारत और किसानों की आमदनी बढ़ाने से जुड़ी पहलों के पूरक के तौर पर भी है। वर्ष 2014 से लेकर अब तक जैव ईंधनों का उत्‍पादन बढ़ाने एवं इन्‍हें मिश्रित करने के लिए अनेक पहल की गई हैं।

भारत में समान कुकिंग ऑयल का उपयोग विभिन्‍न चीजों को तलने-भुनने के लिए किया जाता है। हालांकि, तलने-भुनने के दौरान अनेक बुनियादी यौगिकों के बनने के कारण संबंधित लोगों के स्‍वास्‍थ्‍य पर प्रतिकूल असर होता है। ये बुनियादी यौगिक विभिन्‍न तरह की बीमारियों जैसे कि हाइपरटेंशन, एथेरोस्क्लेरोसिस, अल्जाइमर रोग, यकृत रोग से जुड़े होते हैं। ‘प्रयुक्‍त कुकिंग ऑयल (यूसीओ)’ या तो पूरी तरह से नष्‍ट नहीं होता है अथवा पर्यावरण अनुकूल ढंग से इसका निस्‍तारण नहीं हो पाता है, जिससे नालियां और सीवरेज प्रणालियां जाम हो जाती हैं।

भारत सरकार द्वारा वर्ष 2018 में जैव ईंधनों पर जारी राष्‍ट्रीय नीति में प्रयुक्‍त अथवा इस्‍तेमाल में लाए जा चुके कुकिंग ऑयल से जैव ईंधन (बायोफ्यूल) का उत्‍पादन करने की परिकल्‍पना की गई है। भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) यूसीओ का उपयोग खाद्य मूल्‍य श्रृंखला के बजाय अन्‍यत्र करने और इसके मौजूदा अवैध उपयोग पर अंकुश लगाने के लिए एक उपयुक्‍त रणनीति को अमल में ला रहा है। यूसीओ का स्‍वरूप बदल जाने अथवा इससे कोई अन्‍य उत्‍पाद तैयार करने से अनेक तरह के स्‍वास्‍थ्‍य लाभ सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी क्‍योंकि यूसीओ की किसी भी तरह की रिसाइक्लिंग नहीं होगी, रोजगार सृजित होंगे, ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी ढांचागत सुविधाओं में निवेश होगा और कार्बन का उत्‍सर्जन कम होने से आसपास का माहौल स्‍वच्‍छ होगा।

मौजूदा समय में भारत में हर महीने लगभग 850 करोड़ लीटर हाई स्‍पीड डीजल (एचएसडी) की खपत होती है। ‘जैव ईंधन पर राष्‍ट्रीय नीति 2018’ में वर्ष 2030 तक एचएसडी में 5 प्रतिशत जैव डीजल (बायोडीजल) को मिश्रित करने के लक्ष्‍य की परिकल्‍पना की गई है। मिश्रित करने के इस लक्ष्‍य की प्राप्ति के लिए हर वर्ष 500 करोड़ लीटर जैव डीजल की जरूरत है। भारत में लगभग 22.7 एमएमटीपीए (2700 करोड़ लीटर) कुकिंग ऑयल का उपयोग होता है, जिनमें से 1.2 एमएमटीपीए (140 करोड़ लीटर) यूसीओ को बल्‍क उपभोक्‍ताओं जैसे कि होटलों, रेस्‍तरां, कैंटीन इत्‍यादि से प्राप्‍त किया जा सकता है। इससे हर वर्ष तकरीबन 110 करोड़ लीटर जैव डीजल की प्राप्ति होगी। मौजूदा समय में प्रयुक्‍त कुकिंग ऑयल के लिए कोई संग्रह श्रृंखला स्‍थापित नहीं की गई है। अत: प्रयुक्‍त कुकिंग ऑयल से जैव डीजल का उत्‍पादन करने के व्‍यापक अवसर मौजूद हैं। प्रयुक्‍त कुकिंग ऑयल से जैव डीजल का उत्‍पादन करने के उद्देश्‍य से तेल विपणन कम्‍पनियां 100 शहरों में अभिरुचि पत्र आमंत्रित करेंगी, ताकि प्रयुक्‍त कुकिंग ऑयल से तैयार जैव डीजल की खरीद की जा सके।

इस अभिरुचि पत्र को आमंत्रित करने का उद्देश्‍य आवेदकों को प्रयुक्‍त कुकिंग ऑयल पर आधारित जैव डीजल उत्‍पादक संयंत्रों एवं प्रसंस्‍करण संयंत्रों की स्‍थापना के लिए प्रोत्‍साहित करना तथा भारत में प्रयुक्‍त कुकिंग ऑयल पर आधारित जैव डीजल की मौजूदा क्षमता का और ज्‍यादा उपयोग सुनिश्चित करना है।

Sach ki Dastak

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