बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ ✍️संजय कौशिक ‘विज्ञात’

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भारत देश के लिए भ्रूण हत्या एक अभिशाप से कम नहीं देश के विभिन्न राज्यों में लंडको की अपेक्षा लड़कियों का लिंगानुपात देखा तो शर्मनाक स्थति मिली ।यह एक मूर्खतापूर्ण मानसिकता से अधिक कुछ नहीं कही जा सकती है। भ्रूण हत्याओं के कारण लिंगानुपात तेजी से घटता जा रहा है । देश व समाज को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।प्रमुख है अविवाहित वर्ग की निरन्तर वृद्धि, परिणाम नशाखोंरि ,नारी हिंसा, उत्पीड़न और अनेक दण्डनीय अपराधों की संलिप्तता में  वृद्धि  ।यदि ऐसा रहा तो बहुपतित्व प्रथा आने में दूरी नहीं है ।
समाज के कुछ हितैषी लोग चिंता ग्रस्त रहते किन्तु आँखों के सामने अन्धकार छाया रहता।
 भारतीय केंद्रीय सरकार ने गहन अध्य्यन किया । गहरे शोध से यह तथ्य उभर कर सामने आये कि अशिक्षित वर्ग किसी विशेष पीड़ित मानसिकता के कारण भ्रूण हत्याएं करवाता आ रहा है;और भ्रूण हत्याओं का मुख्य कारण पीड़क वर्ग की तुच्छ मानसिकता है जो विवश करती है जघन्य अपराधकरने को विशेषकर दहेज़ प्रथा, छेड़छाड़,कुकृत्य बेटी को आने से पहले ही मौत के घाट उतारने लगे ;इस प्रकार  रहस्यमयी दर्दनाक रोग से पीड़ित समाज के अशिक्षित वर्ग का इलाज करने हेतु वर्तमान भाजपा केंद्रीय सरकार दृढ़ संकल्पित हुई औषधी खोजी गई और इलाज के लिए जुट गई। वर्तमान प्राधान मंत्री माननीय नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में प्रारम्भ हुए इलाज का नाम रखा गया *बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ* अभियान। देखा और समझा जाए तो इस अभियान के आगाज की आवश्यकता आज से बहुत पहले थी। पर तात्कालीन सरकारें इस विषय को न तो गंभीरता से ले पाई और न समझ ही पाई, फिर निदान दे पाना और समाज को जागरूक करने के विषय में कुछ भी सोच पाना असंभव ही कहा जा सकता था। फिर इस प्रकार के दूरगामी परिणाम की सोच के अभियान चला पाना अति दुष्कर कार्य की कल्पना करना भी बेमानी कही जाए तो गलत न होगा।और इस गलत काम की शुरुवात गलत तरीके से हुई तो परिणाम भी गलत ही होंगे इसमें भी कोई संदेह नहीं। विज्ञान के लाभ अपने पर इसके प्रयोग गलत तरीके से किये गए डॉ. को अपनी दुकानें चमकाने के लिए गलत तरीकों से प्रचार करने की छूट प्राप्त थी कोई अंकुश नहीं था,. 
ऐसे में वर्तमान माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में बनी केंद्रीय भाजपा सरकार ने इस समस्या को बखूबी गम्भीरता से लिया, समझा और इसके कारणों पर भी गिद्ध जैसी पैनी दृष्टि लगा कर इसका समाधान रूपी रामबाण इलाज भी खोज निकाला। *बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ*।डूबती हुई आँखों ने नए युग के नए सूरज को सलाम किया।22जनवरी 2015 को ऐतिहासिक स्थल पानीपत हरियाणा प्रान्त के शंखनाद को वैश्विक पटल पर सुना गया ।बेटियों के आगमन से समाज फलेगा-फूलेगा पढ़ने से स्वतः ही शिक्षित हो जायेगा किसी को कहना नहीं पड़ेगा ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’। 
सभी विभाग यथा संभव सहयोग प्रदान कर रहे हैं स्वास्थ्य विभाग ने लिंग जांच कर्ताकी सूचना प्रेषित करने वालों को 10 लाख तक इनाम वितरित किये हैं। ताकि इस नेक कार्य को पूर्ण तथा सफल  रूप प्रदान किया जा सके। शिक्षा विभाग गणतंत्र दिवस तथा स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर नवजात बालिकाओं एवं उनकी माताओं को सम्मानित कर प्रोत्साहित करता है ।सरकार ने अनेक योजनाओं के तहत जैसे अनमोल बेटी है, रक्षक योजना, मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना, गर्ल चाइल्ड प्रोटेक्शन योजना तथा मुख्यमंत्री कन्यादान योजना से बेटियों को सम्बल प्रदान किया है।मुख्य मंत्री शुभ लक्ष्मी, धन लक्ष्मी, सुकन्या समृद्धि, लाडली लक्ष्मी योजनाओं ने बेटी को धरती पर लाने का पप्रोत्साहित रूप अदा किया है। सरकार के साथ-साथ विद्यालयों तथा महाविद्यालयों में उपलब्धियाँ प्राप्त करने वाली छात्राओं को टेलेंट अवार्ड, तथा आंगनबाड़ी केंद्रों में गुड्डा-गुड्डी बोर्ड लगा कर सम्मान दिया जा रहा है;जिनमें 6 वर्ष तक कि बालिकाओं को सम्मिलित किया जाता है। प्रशासन पूरी तरह से लोगों की मानसिकता परिवर्तित करने के लिए प्रयासरत है।  
हरियाणा के पानीपत से हुए चतुर्थ युद्ध के आगाज़ ने हरियाणा की ही नहीं बल्कि देश भर की बेटियों को नए दृष्टिकोण से देखने पर विवश किया है।विशेष उपलब्धि प्राप्त आदरणीया सुषमा स्वराज, कल्पना चावला, संतोष यादव, साक्षी मलिक, गीता-बबिता, विनेश फौगाट, मानसी छिल्लर, सपना ने बेटियों के इतिहास को स्वर्णिम आकार प्रदान किया है। यह राष्ट्र के लिए गर्व की बात है। सबसे अधिक गर्वमय के क्षण तो तब सामने आए जब आँकड़ों की बात हुई इस युद्ध के आगाज़ से पूर्व अकेले हरियाणा में ही 1000 लड़कों पर 930 लड़कियां रह गई थी। किंतु नवम्बर 2018 के सर्वे में हरियाणा में बेटियों का स्तर चमत्कारिक रूप से बढ़ा है यह संख्या 930 से बढ़ कर 1034 हो गई है यह तो अकेले करनाल का आंकड़ा है। हरियाणा के अन्य जिलों में भी स्थिति सुधार पर है।
समाज में पनप रही संकीर्ण मानसिकता भ्रांतियों के मध्य दीमक है जिसने समाज को खोखला कर दिया बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ अभियान सफल और कारगर सिद्ध हुआ ।देखते ही देखते बेटियां युद्ध भूमि की शूरवीर यौद्धा बन गयी  ।युद्ध के समय शत्रु से लड़ते समय संधान किया जाने वाला ब्रह्मास्त्र विजय दिलाने के लिए वचन बद्ध होता है।यह ब्रह्मास्त्र विजय पताका फहराएगा इस विश्वास के साथ सरकार जन-मन को ले आगे बढ़ी ।क्योंकि इससे सामाज कीअनेक बुराइयों का समूल नाश किया जा सकता है। एक तो बेटियों की भ्रूण हत्याओं पर आज पूर्णतया रोकथाम लग चुकी है। और दूसरा अशिक्षित वर्ग शिक्षित हो चला है जिससे भविष्य में इस प्रकार की सुरसाभिमुख सामाजिक लिंगानुपात की समस्या से देश के समक्ष विकट परिस्थितियों में कमी आई है।
कुछ राज्यों में बेटियो की स्थिति अभी भी शोचनीय है वहां अभी प्रयास अधुरे लग रहें हैं। मन में विश्वास है भारत ही नही विश्वभर में बेटियों को उनका अधिकार प्राप्त होगा । समाज कृत्य कृत्य हो उठेगा। 
संजय कौशिक ‘विज्ञात’

Sach ki Dastak

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