राष्ट्रपति ने ‘भारत रत्न’ अलंकरण प्रदान किए
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गुरुवार 8 अगस्त, 2019 को राष्ट्रपति भवन में आयोजित अलंकरण समारोह में ‘भारत रत्न’ अलंकरण प्रदान किए।
नानाजी देशमुख (मरणोपरांत), डॉ• भूपेन्द्र कुमार हजारिका (मरणोपरांत) और प्रणब मुखर्जी को ‘भारत रत्न’ अलंकरण प्रदान किए।
हजारिका और देशमुख को यह सर्वोच्च सम्मान मरणोंपरांत मिला है। भारत रत्न सम्मान चार साल के अंतराल के बाद दिया जा रहा है।
इससे पहले, 2015 में नरेंद्र मोदी सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के संस्थापक मदन मोहन मालवीय को भारत रत्न से नवाजा था। मोदी सरकार ने विगत जनवरी में इस पुरस्कार की घोषणा की थी। इन तीन हस्तियों के साथ ही अब 48 प्रख्यात लोगों को भारत रत्न पुरस्कार मिल चुका है।
आमतौर पर प्रणब दा के नाम से विख्यात 83 वर्षीय प्रणब मुखर्जी अब पूर्व राष्ट्रपतियों के उस क्लब में शामिल हो गए हैं जिन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित किया गया है। उनसे पहले इस इलीट क्लब में पूर्व राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन, राजेंद्र प्रसाद, जाकिर हुसैन और वीवी गिरि शामिल हैं।
प्रणब मुखर्जी वर्ष 1982 में महज 47वर्ष की आयु में देश के सबसे युवा वित्त मंत्री बन गए थे। वर्ष 2004 से उन्हें तीन और अहम मंत्रालय विदेश, रक्षा और वित्त मिल गए। इतने उच्च पदों पर रहने के बाद राष्ट्रपति भवन में आने वाले वह पहले व्यक्ति बने।
पिछले साल नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के कार्यक्रम में उनके शामिल होने के बाद कांग्रेस समेत कई हलकों में विवाद खड़ा हो गया था।
वर्ष 1928 से नानाजी देशमुख संघ से जुड़े हुए थे। वह 94 साल की आयु में 2010 में मध्यप्रदेश के सतना में देहावसान होने तक संघ से ही जुड़े रहे। वह पूरे देश में संघ समर्थित स्कूल चलाने के लिए विख्यात थे। वह 1975 में आपातकाल के दौरान जयप्रकाश नारायण के आंदोलन के भी आर्किटेक्ट भी कहे जाते हैं। वह 1977 में जनता पार्टी सरकार के गठन में भी अहम कड़ी माने जाते थे।
1926 में जन्मे भूपेन हजारिका असम के एक पार्श्व गायक, गीतकार, संगीतकार, गायक, कवि और फिल्मकार थे। उन्होंने रुदाली, दर्मियान, गज गामिनी, दमन जैसी कई फिल्मों में संगीत दिया था। उन्हें संगीत नाटक अकादमी अवार्ड (1987), पद्मश्री (1977), दादा साहेब फाल्के अवार्ड (1992), पद्म भूषण (2001) और पद्म विभूषण (2012 मरणोंपरांत) से सम्मानित किया गया था।
हजारिका ने 1952 में कोलंबिया यूनिवर्सिटी से पीएचडी की थी। उनका निधन 2011 में हुआ था। उन्होंने राजनीति में भी सफलतापूर्वक कदम रखा था। वह 2004 में भाजपा के टिकट पर गुवाहाटी लोकसभा सीट से चुनाव जीता था। वह वर्ष 1967-72 में असम में निर्दलीय विधायक भी रहे थे।