भीमा कोरेगाव हिंसा : नक्‍सलियों से लिंक के शक में आनंद तेलतुबंड़े गिरफ्तार

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पिछले साल 1 जनवरी 2018 को पुणे के भीमा कोरेगांव में हुई हिंसा के मामले में सामाजिक कार्यकर्ता और दलित स्कॉलर आनंद तेलतुंबड़े को पुणे पुलिस ने मुंबई एयरपोर्ट से गिरफ्तार कर लिया है. उन्हें नक्सलियों के साथ संबंध होने के आरोप के तहत गिरफ्तार किया गया है.

आनंद तेलतुंबड़े को गिरफ्तारी के बाद पुणे ले जाया गया है जहां उनके मेडिकल चेकअप करवा लिए गए हैं और फिलहाल उन्हें लाश्कर पुलिस स्टेशन में रखा गया है. जहां से आज दोपहर 2 बजे उन्हें कोर्ट में पेश किया जाएगा.

इससे पहले शुक्रवार को पुणे सेशन कोर्ट ने तेलुतबुंडे की अग्रिम जमानत की याचिका रद्द कर दी गई थी जिसके बाद उनकी गिरफ्तारी की गई है.

उनकी अग्रिम जमानत रद्द करते हुए कोर्ट ने कहा था कि जांच अधिकारियों के पास तेलतुंबड़े के खिलाफ पर्याप्‍त सबूत हैं.

बता दें कि कुछ समय पहले पुणे पुलिस ने तेलतुंबड़े के गोवा स्थित आवास पर भी छापेमारी की थी, जिसमें पुलिस को कई महत्वपूर्ण सबूत भी मिले थे.

इस मामले में पुणे पुलिस पहले ही वरवरा राव, अरुण फरेरा, सुधा भारद्वाज, गौतम नौलखा और वेरनोन गोंजाल्विज जैसे कुछ वामपंथी विचारकों को पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है.

क्या है भीमा कोरेगांव हिंसा

31 दिसंबर, 2017 को भीमा कोरेगांव में पेशवाओं पर महार रेजिमेंट की जीत के 200 साल पूरे हुए थे जिसके उपलक्ष्य में पुणे के शनिवारवाड़ा में यल्गार परिषद ने जश्न मनाने के लिए कार्यक्रम का आयोजन किया गया था.

इसमें सुधीर धावले, पूर्व जस्टिस बीजी कोल्से पाटिल के अलावा कई अन्य संगठन दलितों और अल्पसंख्यकों पर मौजूदा सरकार के अत्याचारों का दावा करते हुए एकजुट हुए थे. इस जश्न के अगले ही दिन भीमा कोरेगांव में हिंसा हुई थी.

कोरेगांव हिंसा का इतिहास-

भीमा कोरेगांव की लड़ाई 1 जनवरी 1818 को कोरेगांव भीमा में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी और पेशवा सेना के बीच लड़ी गई थी. इस लड़ाई की खासियत यह थी कि ईस्ट इंडिया कंपनी के झंडे तले 500 महार सैनिकों ने पेशवा बाजीराव-2 की 25 हजार सैनिकों की टुकड़ी से लोहा लिया था. उन्हें पेशवा अपनी टुकड़ी में शामिल नहीं करते थे। 

क्योंकि उस समय महार अछूत जाति मानी जाती थी. महारों ने पेशवा से कहा था कि वे उनकी तरफ से लड़ना चाहते हैं लेकिन पेशवा ने उनका आग्रह ठुकरा दिया था. बाद में अंग्रेजों और महारों ने मिलकर पेशवा के खिलाफ यह लड़ाई लड़ी थी और पेशवा को हराया था.

Sach ki Dastak

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