बंगाल फतेह को BJP ने बनाई यह रणनीति, CAA, NRC पर अपने पक्ष में बना रही माहौल

पश्चिम बंगाल में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए भाजपा नेतृत्व ने अभी से व्यापक रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। संसद के बजट सत्र के बाद पार्टी इस बड़े राज्य को अपने हिस्से में लाने के लिए केंद्रीय मंत्रियों, राज्यों के मुख्यमंत्रियों और वरिष्ठ नेताओं के लगातार दौरे की कार्ययोजना पर काम शुरू करेगी। इस दौरान सीएए और एनआरसी को लेकर राज्य में लोगों को जागरूक कर भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने के प्रयास किए जाएंगे।
लोकसभा चुनावों के बाद हुए विभिन्न राज्यों के विधानसभा चुनावों में अनुकूल नतीजे न आने से भाजपा नेतृत्व अब पश्चिम बंगाल को लेकर चिंतित है। भाजपा ने यहां पर बीते पांच साल में कड़ी मेहनत की है। पिछले लोकसभा चुनाव में पार्टी ने राज्य में बड़ी सफलता हासिल कर साफ कर दिया था कि 2021 के विधानसभा चुनावों में वह सत्ता की दावेदार बनकर चुनाव लड़ेगी।
इस बीच, केंद्र सरकार की ओर से नागरिकता संशोधन कानून लाने और विरोधी दलों द्वारा इसमें एनआरसी को भी जोड़ देने से भाजपा की दिक्कतें बढ़ी हैं। राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस यह प्रचार जमकर कर रही है कि एनआरसी की पूर्व तैयारी के लिए ही सीएए लाया गया है।
एनआरसी भी जल्द आएगा और उससे केवल मुसलमानों को ही नहीं, बल्कि हिंदुओं को भी कई तरह की दिक्कतें न हों । इसको लेकर लोगों के मन में कोई धारणा न बन जाए, भाजपा इससे खासी चिंतित है। हाल में राज्य में हुए उपचुनावों में भाजपा ने इसे महसूस भी किया था।
सूत्रों के अनुसार, भाजपा ने अगले एक साल के लिए पश्चिम बंगाल को लेकर विशेष रणनीति बनाई है। इसके तहत पार्टी के बड़े नेता राज्य के कोने-कोने में जाकर सीएए व एनआरसी पर लोगों का भ्रम दूर करेंगे।
साथ ही राज्य के विकास का मुद्दा भी उठाएंगे। चुनाव तक हर महीने कम से कम आधा दर्जन केंद्रीय मंत्री और बड़े नेता राज्य के दौरे पर रहेंगे। भाजपा का मानना है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जिस तरह से उसके खिलाफ प्रचार कर रही है, चुनावों के करीब आते ऐसी कोशिशें और तेज होंगी। ऐसे में भाजपा को अपने विरोधियों को आक्रामता के साथ जवाब देना होगा।