भगवान नारायण की परीक्षा लेनी की भूल कर बैठी सती
सच की दस्तक डिजिटल न्यूज डेस्क वाराणसी चन्दौली
पंडित दीनदयाल उपाध्याय नगर के सुभाष नगर में हो रहे 24 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ एवम प्रज्ञा पुराण प्रवचन के दूसरे दिन शांतिकुंज हरिद्वार से आए कथावाचक डॉ.दीप पटेल ने कहा एक बार भगवान शिव के लाख समझने के बावजूद भगवान विष्णु की परीक्षा देवी सती ने लिया था ।सती समझती थीं कि श्री राम भगवान विष्णु के अवतार है तो अपनी पत्नी सीता की खोज क्यों कर रहे है उन्हे तो पता होना चाहिए की सीता जी कहां है।यदि ये भगवान होते तो पेड़ पौधों से सीता का पता क्यों पूछ रहे हैं। इसी को ध्यान में रखे देवी सती ने भगवान राम की परीक्षा लेनी चाही।देवी सती ने माता सीता का रूप लेकर उसी रास्ते पर खड़ी हो गईं जिस रास्ते से भगवान रामअपनी पत्नी सीता को खोजने जा रहे थे।जब भगवान राम की नजर सीता वेश में देवी सती पर पड़ी। देखते ही भगवान ने कहां देवी सती आप ही केवल आई है भगवान शंकर नही आएं है ऐसा सुनकर देवी सती लज्जित हो गईं और तुरंत शिव जी के पास लौट गई।जब शिव जी ने पूछा की आप ने मेरे प्रभु की परीक्षा ले लीं।तब माता सती ने अपने पति शिव जी से झूठ बोल दिया की ऐसा नही है।इसके कारण देवी सती को सजा मिली।
इसलिए अपने पति से कभी झूठ नहीं बोलना चाहिए।
इसका नतीजा यह हुआ अगले जन्म में जब माता पार्वती भगवान शिव की प्राप्ति के लिए कठोर तप कर रही थी उसी समय भगवान भोले ने उनकी परीक्षा ली और साधु के वेश में भगवान भोले ने माता पार्वती को खूब भगवान शिव के खिलाफ बहुत शिकायत की लेकिन माता पार्वती अपने डग से नही हटी।अंत:माता पार्वती का विवाह हुआ। इस कथा से स्पष्ट होता है कि
कभी भी घमंड और लोभ में न आएं।
। इस अवसर पर सोम देव पटैया,पवन कुमार अर्पित पांडेय,उदय नारायण उपाध्याय, प्रदीप सक्सेना संपूर्णानंद तवारी, लक्ष्मीकांत पांडेय,, राजेंद्र श्रीवास्तव एसपी गुप्ता देव दत्त,जहां नाथ,
, उज्जवल स्वरूप, श्रीवास्तव, दिलीप पांडे,मालती,रीता ,संगीता,रमिता यादव आदि लोग उपस्थित थे।