Booker Prize: गीतांजलि श्री, जिन्हें उपन्यास ‘Tomb Of Sand’ के लिए मिला अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार
Booker Prize: भारतीय लेखिका गीतांजलि श्री (Geetanjali Shree) के उपन्यास टॉम्ब ऑफ सैंड (Tomb Of Sand Novel) को प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार (International Booker Prize) मिला है. दिल्ली की प्रसिद्ध लेखिका गीतांजलि श्री अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीतने वाली पहली भारतीय लेखिका बन गई हैं.
बता दें ये उपन्यास हिंदी में रेत की समाधि (Ret Ki Samadhi) के नाम से छपा था. इसे अमेरिकन ट्रांस्लेटर डेजी रॉकवेल (American Translator Daisy Rockwell) ने अंग्रेजी में अनुवाद किया है. ये विश्व की उन 13 किताबों में शामिल हो गई है जिन्हें अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार मिला है.
यह उपन्यास किस कहानी पर है?
बता दें यह उपन्यास भारत के बंटवारा की छाया में स्थापित एक कहानी है. यह उपन्यास में अपने पति की मृत्यु के बाद एक बुजुर्ग महिला की कहानी को दर्शाता है. ये किताब वास्तविक होने के साथ-साथ धर्म, देशों एवं जेंडर की सरहदों के विनाशकारी असर पर टिप्पणी है.
We are delighted to announce that the winner of the #2022InternationalBooker Prize is ‘Tomb of Sand’ by Geetanjali Shree, translated from Hindi to English by @shreedaisy and published by @tiltedaxispress@Terribleman @JeremyTiang @mervatim @VascoDaGappah @VivGroskop pic.twitter.com/TqUTew0Aem
— The Booker Prizes (@TheBookerPrizes) May 26, 2022
जानें कौन हैं गीतांजलि श्री?
गीतांजलि श्री कई लघु कथाओं एवं उपन्यासों की लेखिका हैं. उनके 2000 के उपन्यास ‘माई’ को 2001 में क्रॉसवर्ड बुक अवार्ड हेतु चुना गया था. लंदन में 26 मई 2022 को गीतांजलि श्री (Geetanjali Shree) को इस किताब हेतु पुरस्कार मिला. गीतांजलि श्री को पुरस्कार के तौर पर 5 हजार पाउंड की इनामी राशि (50000 Pounds Winning Prize) मिली. इस इनामी राशि को वो डेजी रॉकवेल के साथ शेयर करेंगी.
बुकर पुरस्कार: एक नजर में
बुकर प्राइज (Booker Prize) एक प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार है. यह पुस्कार अंग्रेजी में अनुवाद एवं ब्रिटेन या आयरलैंड में प्रकाशित किसी एक पुस्तक को प्रत्येक साल दिया जाता है. इस पुरस्कार की शुरूआत साल 2005 में हुई थी.
गीतांजलि श्री उत्तर प्रदेश के मैनपुरी से संबंध रखती हैं. वे तीन उपन्यास एवं कई कथा संग्रह की लेखिका हैं. बता दें उनकी कृतियों का अंग्रेजी, जर्मन, सर्बियन, फ्रेंच और कोरियन भाषाओं में अनुवाद हुआ है. गीतांजलि ने उर्दू की कई साहित्यिक कृतियों का भी अनुवाद किया है.