कोरोना एक प्रकृति की चेतावनी-

0
एक कडवा सत्य आज लिखें बिना रहा नहीं गया मुझसे बहुत कवि, लेखक और व्यंगकार कहाँ कहाँ से फोटो लेकर मजदूरों की गरीबों की फोटो डाल रहे और कह रहे हैं कि सरकार कुछ नहीं करती इन मजदूर वर्ग का क्या होगा ऐसे हजारों सवाल आप लोग सरकार से पूछते हो अगर यही सवाल जनता खुद से पूछे तो बेहतर है लेकिन इन मजदूर वर्ग का क्या होगा तो जनाब सुनो होगा वही जो ईश्वर चाहेगा और ईश्वर जो करता है अच्छे के लिए करता है आपके या सरकार के हाथ में कुछ नहीं
इसलिए सरकार को दोष देना बंद करो मुर्खो गीता में लिखा है कर्म के अनुसार फल मिलता है कौनसा भी युग हो जो संघर्ष करता है वो जी लेता है जो संघर्ष से डर गया वो मर जाता है गीता में लिखा है कि कर्म करने वाले की लिए रोटी भी है पानी भी लेकिन अकर्मण्य लोगों के लिए कुछ नहीं है। मैंने कुछ नहीं लिखा इन मजदूरों पर न कि हालत पर क्यों कि मैं कुछ नहीं कर सकता है क्योंकि कर्म के अनुसार लिखा गया भाग्य स्वयं विधाता भी नहीं बदल सकता। मैं पहले भी कह चुका हूँ कि कोरोना कोई रोग नहीं कोई वायरस नहीं। 
क्योंकि हमारे शास्त्र कहते हैं कि महामारी प्रकृति के साथ खिलवाड़ का नतीजा होती है जब इंसान अपनी सीमा लांघ जाता है तब प्रकृति भी अपनी सीमा लांघ जाती है और चेतावनी के रूप में महामारी को जन्म देती है
आखिर इंसान क्यों भूल जाता है क्यों नहीं आत्म चिंतन करता कि खास वो अपनी मर्यादा को नहीं लांघता प्रकृति के विरुद्ध कोई कदम नहीं उठाता तो आज ये अंजाम नहीं होता।
खास निर्दोष जीव की हत्या नहीं करता खास वो गौ माता पर अत्याचार नही करता खास वनो को नहीं काटता खास प्रकृति से उत्पन्न ही शुद्ध वस्तुओं का सेवन करता खास वो प्रकृति के साथ खिलवाड़ नही करता खास सनातनी धर्म का मजाक नही बनाता खास वो भगवान को भगवान समझता खुद भगवान बनने की कोशिश नहीं करता तो ये प्रकोप देखने की कल्पना तक भी नहीं कर पाते लेकिन इंसान के द्वारा बनाया गया विज्ञान भी फैल है।
अब भी नहीं समझ पाये तो कुछ नहीं हो सकता इन धरती वासियों का कुछ पापियों की वजह से हर युग में निर्दोष लोगों को भी सहना होता है। मरना होता है इंसान अगर गहनता से चिंतन करे तो समझ पायेगा कि ऐसा क्यों हुआ कैसे हुआ कबतक जायेगा कोरोना मित्रों कुछ महानुभाव आक्सीजन सलेंडर की कमी को लेकर सरकार पर दोषारोपण कर रहे हैं किंतु आप लोग सोचो ऐसा क्या कारण है कि इंसान हृदय के रोग का मरीज बन गया है ऐसा क्या कारण है कि इंसान को जीने के लिए कृत्रिम आक्सीजन की आवश्यकता हो रही है अगर चिंतन किया जाये तो सरकार की गलती नही मानव ,हम लोगो की गलती है हमने वनों को काट शहर बसाया शहर में बड़े बड़े कारखाने बनवा दिए जिससे निकलती दुषित जहरीली गैसों का समागम वातावरण को दुषित कर देती है जैसे जल ,हवा जिनमें मुख्य है जिनके बिना जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं सरकार कहती रही वृक्ष लगाओ जल बचाओ बेटी बचाओ लेकिन कड़वा सच ये है कि न हमने वृक्ष लगाये न जल बचाया न हम बेटियों को बचा पा रहे हैं
लेकिन अब सरकार को क्यों दोष देते हो कुछ गधे ये भी कहते हैं।
भगवान है तो बचा ले  ऐसे लोगों का सम्पूर्ण विनाश अवश्य होता है हे धरती वासियों मैं भी एक इंसान हूँ धरती पर ही रहता हूँ मैंने भी जाने अनजाने में कहीं अपराध किये होगें लेकिन मैं इस सत्य को भी जानता हूँ कि अपराध किया है तो दंड भी भुगतना पड़ता है और उसके लिए तत्पर रहता भी हूँ लेकिन उससे पहले ईश्वर से सभी अपराधों की क्षमा मांगता हूँ अपराध क्षमा करने योग्य होता है तो करूणानिधि दयानिधान नारायण भगवान महाकाल भी क्षमा कर देते हैं लेकिन अपराध क्षमा योग्य नहीं तो उसका दंड अवश्य मिलता है।
आज ये कोरोना इसी का दंड का रूप है भगवान अपराध को क्षमा कर देते हैं लेकिन प्रकृति नहीं क्योंकि विधाता के नियमों से परे है प्रकृति के नियम प्रकृति का एक ही नियम है जैसे को तैसा लौटाना वो भी ब्याज सहित इस सत्य को मैं तो जानता हूँ आप भी जान लो तो बेहतर वरना दोषारोपण करते रहो मैं सरकार को दोष नही देता मैं ईश्वर को भी दोष नहीं देता नहीं व्यर्थ आंसू बहाता हूँ मुझे पता है कि किंचित मात्र मैंने प्रकृति के साथ खिलवाड़ किया है तो दंड अवश्य मिलेगा और मैं तैयार भी हो मुझे एक बात कोई बताने का कष्ट करें कि चलो मान लिया जाये सरकार लापरवाह है तो हम कौन से जिमेदार नागरिक है।
एक बात बताईये मुझे क्या जिम्मेदारी सरकार की है हम लोगों की नहीं क्या हम इस समाज के इस राष्ट्र के हिस्सा नहीं बोलो ओक्सिजन सलेंडर की कमी पर सरकार की औकात और लापरवाही बताने लगे हो जरा सोचो एक पीपल जो 24 घंटे ओक्सिजन देता है उसे ग्रहण करो लेकिन कैसे आप लोगो तो उसे काट दिया अपने स्वार्थ के लिए ईश्वर ने पर्याप्त मात्रा में सबसे दिया है लेकिन हमने उसका दुरूपयोग किया है।
अगर हम लोग अपनी जिम्मेदारी समझते तो कभी भी इस प्रकोप को नहीं झेलते अभी भी समय है जाग जाओ वरना जिस विज्ञान की दम पर आप हवा से बातें कर रहे हो वो भी विज्ञान की आज लाचार है प्रकृति के कोप से विज्ञान क्या स्वयं विधाता भी बचा पता है क्योंकि विधाता प्रकृति के नियमों में हस्तक्षेप नहीं करता है।
आज विश्व को वायु की महत्व समझ आया है आने वाले कल में जल संकट सबसे बड़ी समस्या नहीं काल बन कर आयेगा क्योंकि जलस्तर तेजी से गिर रहा है संभलने का वक्त है संभल जाओ किसी पर दोषारोपण मत करो हम सब की जिम्मेदारी है और कर्तव्य भी अपने आसपास के वातावरण को शुद्ध करने की जिससे हम सबको शुद्ध वायु और शुद्ध जल प्राप्त हो सके आज मैं अपने ईश्वर और प्रकृति देवी से क्षमा मांगता हूँ धरती वासियों की तरफ से हे ईश्वर क्षमा कर दे आज इंसान को फिर कभी ऐसा नहीं होगा करूणानिधि क्षमा करो।
मैं सरकार के नियमों का पालन भी करता हूँ क्यों कि मेरे कारण किसी को कष्ट न हो आप लोग भी सरकार के नियमों का पालन करो घर रहो स्वस्थ रहो मास्क का प्रयोग करो और सेनेटाईजर का प्रयोग करो उचित दूरी बनाये रखो शाकाहारी भोजन करो अधिक तेलीय चीज का सेवन मत करो अधिक तेज मसाले मत खाओ ठंडा पानी मत पीयो उबालकर पानी पीयो दिन में तीन बार काढा बनाकर पीयो।
✍️भानु शर्मा रंज
कवि एवं लेखक
गांव – बदरिका
जिला – धौलपुर

Sach ki Dastak

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments
0
Would love your thoughts, please comment.x
()
x