रामू घर से निकल कर अहाते की ओर जाने ही वाले थे कि पोता शुभम को देख ठिठक गए।
“अरे दादू क्या कर रहे हो” रामू ने देखा शुभम की पीठ पर खिलौना है ऑक्सीजन के सिलेंडर का और और शुभम एक एक पौधा रोप रहा है किचेन गार्डेन की खाली जगह में।
“पौधा लगा रहा हूं, टीवी में देखा ऑक्सीजन की कमी से मरीज मर रहे हैं। पेड़ पौधों से ही न ऑक्सीजन मिलती है, हवा साफ रहती है” शुभम ने जवाब दिया।
मासूम पोते के जवाब से रामू का विवेक जाग उठा। उन्होंने अपना फैसला बदल दिया, रुपए के लोभ में अहाते में खड़े जिंदा पेड़ को काटना उसे अपराध समान लगा।
रामू ने अपना फैसला मजदूरों को सुना दिया। दोनों मजदूर बैरंग वापस लौट गए।
धन्यवाद आदरणीय, मेरी लघुकथा को जगह देने के लिए आभार और धन्यवाद।