डॉ. कन्हैया त्रिपाठी बने सेंट्रल यूनिवर्सिटी पंजाब में चेयर प्रोफेसर –
- डॉ. त्रिपाठी बने चेयर प्रोफेसर
- भारत रत्न प्रणब मुखर्जी जी के कार्यकाल में राष्ट्रपति के रह चुके हैं विशेष कार्य अधिकारी-ओएसडी
- एडजंक्ट प्रोफेसर के रूप में दायित्व का कर चुके हैं निर्वहन
- कन्हैया त्रिपाठी इनिशिएटिव के तहत अहिंसा आयोग के हैं पैरोकार डॉ. त्रिपाठी
सागर म. प्र. न्यूज। राष्ट्रपति के पूर्व विशेष कार्य अधिकारी और डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय के यूजीसी-एचआरडीसी में सहायक प्रोफेसर/निदेशक के रूप में कार्यरत डॉ. कन्हैया त्रिपाठी को सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ पंजाब, भटिण्डा में चेयर प्रोफेसर पद पर ऑफर मिला है। डॉ. त्रिपाठी डॉ. आंबेडकर चेयर ऑन ह्यूमन राइट्स एंड इनवायरमेंटल वैल्यूज में अपनी सेवाएँ देने के लिए नियुक्त आमंत्रित किए गए हैं। उनका चयन विशिष्ट चयन प्रक्रिया- आउटस्टैंडिंग एकैडमीशियन के रूप में किया गया है।
विगत अगस्त 2012 से अब तक डॉ. त्रिपाठी यूजीसी-एचआरडीसी में बतौर सहायक प्रोफेसर/निदेशक कार्य कर रहे थे। बीच में डॉ. त्रिपाठी को दो और भी उपलब्धियां प्राप्त हुई थीं जिसमें प्रणब मुखर्जी जी के कार्यकाल में राष्ट्रपति सचिवालय में राष्ट्रपति के विशेष कार्य अधिकारी-ओएसडी और डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय, अयोध्या में एडजंक्ट प्रोफेसर के रूप में सेवाएँ शामिल है। डॉ. त्रिपाठी को एडजंक्ट प्रोफेसर भी एमिनेंट स्कॉलर के रूप में एक्जीक्यूटिव कमेटी द्वारा ऑफर किया गया था।
हाल ही में डॉ. त्रिपाठी को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा फैलो भी घोषित किया गया है और अब उन्हें सीयू-पंजाब में चेयर प्रोफेसर के रूप में कार्य करने का सुअवसर प्राप्त हुआ है। लगभग 40 पुस्तकों के लेखक और संपादक डॉ. त्रिपाठी 2012 से पहले निवर्तमान राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा देवीसिंह पाटील जी के संपादक थे। निरंतर विभिन्न विषयों पर दैनिक जागरण, अमर उजाला, हरिभूमि, प्रजातन्त्र, सुबह सवेरे, जनादेश टुडे, जाहित इंडिया, नयालुक, डेली न्यूज ऐक्टिविस्ट, जनादेश टुडे, शार्प रिपोर्टर, सेतु, लोक दस्तक, डेयरी टुडे, आज आदि अनेकों समाचार-पत्रों में विभिन्न राष्ट्रीय/अंतरराष्ट्रीय विषयों पर संपादकीय आलेख से शुर्खियों में बने रहने वाले डॉ. त्रिपाठी द्वारा लिखित प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के 100 एपीसोड से सिरीजबद्ध रेडियो कार्यक्रम “मन की बात” के 100 वीं कड़ी के प्रसारण अवसर पर विशेष रूपक “जन-जन की बात-मन की बात” को भी देशव्यापी सराहना मिल चुकी है। मूलरूप से गोरखपुर से सम्बद्ध डॉ. त्रिपाठी महेशपुर आज़मगढ़, उत्तर प्रदेश के निवासी हैं पण्डित सीताराम त्रिपाठी एवं श्रीमती प्रेमा त्रिपाठी के सुपुत्र हैं।
डॉ. त्रिपाठी राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के हिन्दी जर्नल नई दिशाएँ के संपादकीय सलाहकार बोर्ड के भी सदस्य रह चुके हैं और उन्हें संयुक्त राष्ट्र के 77वें महासभा अध्यक्ष के साथ इंटरएक्टिव डायलॉग में भी शामिल होने का भी सौभाग्य प्राप्त हुआ है। गांधी पीस फाउंडेशन नेपाल द्वारा गांधी नोबेल शांति पुरस्कार और नेशनल ह्यूमन राइट्स कमीशन नई दिल्ली द्वारा सृजनात्मक लेखन पुरस्कार प्राप्त डॉ. त्रिपाठी को सेंट्रल यूनिवर्सिटी पंजाब में चेयर प्रोफेसर बनाए जाने पर उन्हें परिवार, मित्रों, गृह-जनपद के सगे-संबंधियों और देश विदेश में फैले शुभचिंतकों की ओर से ढेरों सारी बधाइयाँ मिल रही हैं। डॉ. त्रिपाठी की एक विशिष्ट अंतरराष्ट्रीय पहचान यह भी है कि वह कन्हैया त्रिपाठी इनिशिएटिव के फाउंडर प्रेसीडेंट और अहिंसा आयोग के पैरोकार हैं जिसकी चर्चा दुनिया भर में है।