Kartavyapath: PM Vishwakarma Yojana के बारे में, जिससे शिल्पकारों की बदल जायेगी किस्मत, PM Modi देंगे सौगात
भगवान विश्वकर्मा को सृष्टि के प्रथम शिल्पकार के रूप में पूजा जाता है। साथ ही प्रत्येक वर्ष कन्या संक्रांति के दिन भगवान विश्वकर्मा की जयंती मनाई जाती है। भगवान विश्वकर्मा की जयंती के मौके पर ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कारीगरों और शिल्पकारों के पारंपरिक कौशल को बढ़ावा देने वाली ‘पीएम विश्वकर्मा’ योजना की शुरुआत की है। इस योजना का ऐलान करने की घोषणा केंद्र सरकार ने आम बजट 2023-24 में की थी। ये योजना वित्त वर्ष 2023-24 से वित्त वर्ष 2027-28 तक के लिए है जिसमें 13 हजार करोड़ के खर्चा का प्रावधान है। वहीं ‘विश्वकर्मा जयंती’ के अवसर पर कलाकारों, शिल्पकारों और पारंपरिक कौशल से जुड़े अन्य लोगों की सहायता के लिए “पीएम विश्वकर्मा” नामक एक नई पहल की घोषणा करेंगे। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 17 सितंबर को तिहत्तर साल के हो जाएंगे। इस मौके पर ही विश्वकर्मा जयंती भी है। ऐसे में कारिगरों और शिल्पकारों की स्किल को निखारने के उद्देश्य से ये योजना शुरू की गई है।
इस योजना के जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्थानीय वस्तुओं, कला और शिल्प के माध्यम से सदियों पुरानी परंपरा, संस्कृति और अनूठी विरासत को जीवित और समृद्ध बनाए रखने को भी प्राथमिकता दी है। वहीं इस योजना को आगामी चुनावों के लिहाज से बेहद अहम माना जा रहा है। बता दें कि इस योजना के जरिए बायोमेट्रिक आधारित पीएम विश्वकर्मा साइट का उपयोग कर संभावित लाभार्थियों को सामान्य सेवा केंद्रों के जरिए मुफ्त में रजिस्टर किया जाएगा। इस योजना के लिए कंद्र सरकार ने 13 हजार करोड़ रुपये की राशि मंजूर की है। इस राशि से बुनकरों, सुनारों, लोहारों, कपड़े धोने वाले श्रमिकों और नाई सहित लगभग 30 लाख पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों को लाभ होगा। बता दें कि इस योजना के लाभान्वितों को पीएम विश्वकर्मा प्रमाण पत्र और आईडी कार्ड के माध्यम से मान्यता दी जाएगी।
ये हैं योजना के लाभ
इस योजना का उद्देश्य कुशल कारिगरों को सहायता प्रदान करना है। योजना में तहसील, जिला मख्यालय स्थित लघु और मध्यम उद्यम विभाग द्वारा प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित होगा। योजना के सफल आवेदक को ट्रेनिंग सेशन दिया जाएगा, जिससे आवेदकों के लिए रोजगार की संभावनाएं बढ़ सकेंगी। योजना के जरिए ट्रेनिंग पाने वाले कारिगरों को अर्ध कुशल मजदूरी के बराबर ही वित्तीय सहायता दी जाएगी।
ये है रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया
इस योजना में रजिस्टर करने वाले लाभार्थियों को बायोमेट्रिक आधारित पीएम विश्वकर्मा पोर्टल का उपयोग कर रजिस्टर करना होगा। सामान्य सेवा केंद्रों के जरिए विश्वकर्मा योजना में कारिगरों का रजिस्ट्रेशन मुफ्त में किया जाएगा। बता दें कि इस योजना के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों ही तरीकों से आवेदन किया जा सकता है। ऑनलाइन आवेदन करने के लिए आवेदक को सूक्षम लघु और मध्यम मंत्रालय की वेबासइट पर जाकर आवेदन करना होगा। वहीं ऑफलाइन आवेदन करने के लिए संबंधित जिला उद्योग और उद्यम कार्यालय में आवेदन करना होगा। आवेदक को पीएम विश्वकर्मा प्रमाण पत्र और आईडी कार्ड दिया जाएगा जिससे उन्हें मान्यता मिलेगी। इसके साथ ही ट्रेनिंग से संबंधित कौशल उन्नयन, 15 हजार का टूलकिट प्रोत्साहन, 5 प्रतिशत रियायती ब्याज दर पर एक लाख तक कोलैट्रल फ्री क्रेडिट सहायता पहली किश्त पर और दो लाख की सहायता दूसरी किश्त पर दी जाएगी। इसके साथ ही डिजिटल ट्रांजेक्शन और मार्केटिंग सपोर्ट भी मिलेगा।
बताते हैं अब योजना के लिए पात्रता यानी योग्यता
इस योजना के जरिए लाभ लेने वालों को भारत का नागरिक होना चाहिए। आवेदक किसी भी विश्व कर्मा समुदाय से संबंधित हो सकता है। आवेदक की आयु 18 से 50 वर्ष के बीच होनी चाहिए। आवेदक के पास मान्यता प्राप्त संस्थान से कौशल प्रमाण पत्र होना चाहिए। बता दें कि इस योजना का मूल उद्देश्य है कि पारंपरिक शिल्प कौशल को बढ़ावा दिया जाए। ये भारत में रोजगार को बढ़ाने में मदद करेगी और विश्वकर्मा समुदाय के लोगों को आत्मनिर्भर बनाएगी।
पीएमओ ने कहा कि पारंपरिक शिल्प से जुड़े लोगों को समर्थन देने पर प्रधानमंत्री मोदी का निरंतर ध्यान रहा है। उसने कहा, ‘‘यह ध्यान न केवल कारीगरों और शिल्पकारों को आर्थिक रूप से समर्थन देने की इच्छा से प्रेरित है, बल्कि स्थानीय उत्पादों, कला और शिल्प के माध्यम से सदियों पुरानी परंपरा, संस्कृति और विविध विरासत को जीवित और समृद्ध रखने की इच्छा से भी जुड़ा है।’’
मूल रूप से देखा जाए तो पीएम विश्वकर्मा योजना महत्वाकांक्षी योजना है। ये पारंपरिक शिल्प कौशल को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शुरू की जा रही है। इस योजना के शुरू होने से भारत में रोजगार के अवसरों को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई जा सकेगी। इस योजना के जरिए विश्वकर्मा समुदाय के लोगों को अपने कौशल को विकसित करने का मौका मिलेगा। आर्थिक रूप से भी ये समुदाय आत्मनिर्भर हो सकेगा।