औरंगजेब द्वारा तोड़ा गया ”माता महरौड़ी देवी” मंदिर पर नही टूटा विश्वास –
माता महरौड़ी देवी के दरबार से कोई भक्त खाली नहीं लौटता –
कहते हैं कि माता की जिस पर कृपा होती है उस पर न तो कोई मुसीबत आती है और नहीं बुरी नजर । किसी की उस पर बुरी नजर न पड़ती है । मां अपने बेटे की झोली भर देती है ।यह एक एक शब्द बिल्कुल सच दिखाई देता है।
जब कोई भक्त सच्चे मन से उत्तर प्रदेश जनपद चंदौली के मुगलसराय से 10 किलोमीटर दूर भूपौली के पास कावर गांव में गंगा तट पर बसे माता महरौड़ी वाली देवी के मंदिर पहुंचता है।
मान्यता तो यह है कि चैत नवरात्र व शरद नवरात्र में माता महरौड़ी देवी के दर्शन मात्र से व्यक्ति का जीवन सफल हो जाता है।
माता का यह मंदिर अति प्राचीन है। मुगल शासकों की बुरी नजर भी इस पर लग गई थी ।औरंगजेब के शासनकाल में जब उसकी सेना इतिहासकारों के अनुसार सराय पर रुकी थी तो इसी मार्ग से वे गुजरी थी।औरंगजेब के निर्देश पर माता के इस मंदिर को इतिहास विदों के अनुसार 1704 इसवी के आसपास बुरी तरह तहस-नहस कर डाला था ।माता की टूटी मूर्ति आज भी मंदिर के पास विशालकाय पीपल के वृक्ष के पास मौजूद है।
लेकिन इस मुगल शासक की विनाश लीला की कहानी माता महरौड़ी ने यहीं से शुरू कर दी थी ।मुगल सल्तनत का यह बादशाह इस घृणित कार्य के बाद कभी खुश नहीं रह सका ।1707 ईसवी में इतिहासकारों के अनुसार उसकी मौत हो गई ।जब जब ऐसी घटनाएं घटी तब तब माता ने भक्तों की पर कृपा की और दुष्टों को उनकी करनी का फल दिया।
भक्तों की अपार आस्था माता महरौड़ी देवी में भक्तों की आस्था काफी अटूट है जो भी माता के मंदिर सच्चे मन से आता है वह कभी भी खाली हाथ वापस नहीं लौटता । यही आस्था कहती है की माता महरौड़ी देवी के मंदिर के पुजारी बाबा राजेंद्र जी ने बताया कि देश विदेश व दूसरे जनपदों से भी यहां लोग आते हैं ।
उन्होंने एक कहानी हाल ही के दिनों में एक महिला स्वाति सिंह की बतायी।उन्होंने कहा कि उसके पास औलाद नहीं था। हर दरबार में उसने माथा टेका। लाखों रुपए की दवा कर डाली ।
यहां तक कि विदेशों में भी अत्याधुनिक तरीके से संतान उत्पन्न करने के लिए इलाज करवाया लेकिन सफलता नहीं मिली ।किसी ने माता महरौड़ी देवी के विषय में उन्हें जानकारी दी। उस जानकारी के बाद मन में एक आस लेकर स्वाति सिंह माता का धाम पूछते पूछते पहुंची। माता के सामने रोते हुए अपनी झोली फैला दी ।
एक अजब सा चमत्कार हुआ मंदिर के पुजारी बाबा राजेंद्र ने बताया कि 20 सालों से निसंतान स्वाति सिंह थी । यहां से जाने के बाद गोद भर गई ।1 साल बाद पुनः अपने गोद में बच्चे को लेकर यहां पहुंची । मां के चमत्कार के सामने नतमस्तक हुई ।
2013 में मां की एक भक्त बृजेश कुमार ने अपनी आप बीती बात को बताया कि जब 2013 में उनकी माता सोनमती देवी को सभी चिकित्सकों ने पित्त की थैली में पथरी को कैंसर के रूप में बताया था । उसी समय थक हारकर मैं माता के मंदिर पहुंचा। पुजारी ने माता पर चढ़ाए हुए गुड़हल का फूल प्रसाद के रूप में दिया।
उस फूल के कुछ टुकड़ों को मैंने अपनी मां को खिलाया और जब पुनः सिटी स्किन हुआ तो कैंसर के स्पॉट पूरी तरह जा चुके थे । ये सब देख सब अचंभित थे। बारीक जांच होने के बाद भी कैंसर की बात नहीं हुई। इस तरह की कहानियां तो काफी हैं ।
इस प्राचीन मंदिर के पुजारी जी ने बताया कि नवरात्रि के समय मात्र एक गुड़हल के पुष्प चढ़ा देने से माता रानी की कृपा हो जाती है। यहां पर साक्षात मां वैष्णवी के रूप में माता का वास है ।
कभी भी माँ के इस द्वार से कोई खाली हाथ नहीं लौटा है। चाहे राजनीतिक हो या आम इंसान सभी को माँ ने कुछ ना कुछ दिया है बशर्ते वह सच्चे मन से यहाँ आया हो। आज भी उनकी जुबान पर माता महरौड़ी देवी हैं।
जय माता की 🙏💐
जय माँ महरौड़ी देवी की
जी हा आप ने सही लिखा या बतया है की माँ के द्वार जो भी आता है ओ खाली हाथ नहीं जाता हैँ
ये बात मै दिल से कह सकता हु क्यों मै माता महरौड़ी देवी जी का दरसन करने हर रवि वार और मंगल वार को जाता था तब से आज तक दुख तकलीफ भी आता है तो उसका हल अपने आप सामने आ जाता है
और है मै आर्मी मे रेस निकाने के बाद मेडिकल फेल हो जाता था लेकिन माँ के कृपा से मेडिकल भी हो गया और आज मै आर्मी मे एक अच्छा पोस्ट पर हु,
मै महादेव साहनी फौजी…. जय माँ महरौड़ी देवी
जय हिंद