कानपुर के शहीद दीपक पाण्डेय की अंतिम यात्रा में उमड़ा जनसैलाब : सवाल आखिर! कब तक?

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कानपुर में शहीद दीपक पाण्डेय की अंतिम यात्रा में शुक्रवार को जनसैलाब उमड़ पड़ा। दूर-दूर से लोग अपने हाथों में तिरंगा लेकर शहीद को श्रद्धांजलि देने पहुंचे। डेप्युटी सीएम ने शहीद के परिवार वालों को 25 लाख रुपये का चेक सौंपा।

जम्मू-कश्मीर के बडगाम में एयरफोर्स के एमआई-17 विमान क्रैश में 1 मार्च 2019 , उत्तर प्रदेश के कानपुर निवासी दीपक पांडेय भी शहीद हो गए थे। गुरुवार देर शाम उनका पार्थिव शरीर कानपुर पहुंचा। शुक्रवार सुबह उनकी अंतिम यात्रा में जनसैलाब उमड़ पड़ा। हजारों लोगों की भीड़ ने इस दौरान भारत माता की जय के नारे लगाए, जिससे पूरा आकाश गूंज उठा। एयरफोर्स के अफसरों और शहीद दीपक के परिवार सहित हजारों लोगों ने श्रद्धांजलि दी। शहीद को सिद्धनाथ घाट पर अंतिम विदाई दी गई।

गुरुवार को शहीद का पार्थिव शरीर देर शाम कानपुर पहुंचा इसलिए उनका दाह संस्कार नहीं हो सका। शुक्रवार सुबह राजकीय सम्मान के साथ उन्हें अंतिम विदाई दी गई। शहीद के शव के साथ निकली अंतिम यात्रा में हजारों लोग उमड़े। लोगों की आंखों में आंसू, चेहरे पर गर्व और जुबान पर भारत माता की जय के नारे थे। जहां तक नजर जा रही थी लोगों की भीड़ ही नजर आ रही थी। इससे पहले शहीद के परिवार को सांत्वना देने के लिए डेप्युटी सीएम केशव प्रसाद मौर्या पहुंचे। उन्होंने शहीद के परिजनों को 25 लाख रुपये का चेक सौंपा।

 

तिरंगा लेकर शामिल हुए लोग

शहीद की अंतिम यात्रा में लोग हाथों में तिरंगा लेकर पहंचे। लोगों ने अपने घरों से फूल बरसाए तो शहीद दीपक पााण्डेय अमर रहे के नारे लगाए गए। अंतिम यात्रा जिधर से भी गुजरी वहां से लोग इसमें शामिल होते गए। नतीजा यह हुआ कि सिद्धनाथ घाट पहुंचते-पहुंचते शहीद को अंतिम विदाई देने के लिए लोगों का हुजूम इकट्ठा हो गया।

कानपुर के मंगला विहार-2 में रहने वाले दीपक पांडेय (27) ने 2013 में एयरफोर्स जॉइन की थी। 20 दिन की छुट्टी पर घर लौटे दीपक एक हफ्ते पहले ही वापस आ गए थे। छुट्टियों के दौरान उन्होंने घर बनवाने का काम तेज करवा दिया था। मंगलवार शाम 8 बजे दीपक ने मां रमा से फोन पर बात की थी। तब सबकुछ ठीक बताया था। बुधवार दोपहर बाद रमा को फोन पर पता चला कि दीपक हेलिकॉप्टर हादसे में शहीद हो गए हैं तो वह बेहोश होकर गिर पड़ीं। रमा होश में आईं तो पति रामप्रकाश को रोते हुए बेटे के बारे में बताया। रोने की आवाजें सुन पड़ोसी दौड़े चले आए और बुजुर्ग दंपती को ढांढस बंधाया। 

20 को ही छुट्टी से लौटा था: माता-पिता

बिलखते हुए पिता ने बताया था, मैं बेटे की शादी के लिए घर बनवा रहा था। मैंने उससे कहा था कि छुट्टी लेकर आ जाओ और अपने हिसाब से अपने कमरे का डिजाइन और डेकोरेशन देख लेना। लेकिन बुधवार को श्ररी नगर से फोनआया कि दीपक का हेलीकॉप्टर क्रैश हो गया। यह सुनते ही मेरी आंखों के सामने अंधेरा छा गया। उन्होंने बताया कि दीपक 20 फरवरी को ही छुट्टियां खत्म कर श्रीनगर लौटे थे।

बीमार पिता की नौकरी छुड़वा दी थी-

परिजनों ने बताया कि दीपक के पिता बीमार रहते थे। दीपक ने कुछ समय पहले ही उनका ऑपरेशन कराया था। पैर की भी सर्जरी हो चुकी है। ऐसे में नौकरी करने में उन्हें परेशानी होती थी। दीपक के ताऊ के मुताबिक, दीपक ने हाल ही में पिता की नौकरी छुड़वा दी थी। उसने कहा था कि अब वे आराम करें। घर की जिम्मेदारी वह उठाएगा।

मां से कहा था- आपकी पसंद की लड़की से शादी करूंगा-

शहीद दीपक ने मां से वादा किया था कि अगली बार जब वह छुट्टियों में घर आएंगे, तो शादी के लिए उनकी पसंद की लड़की देखेंगे। इकलौते बेटे को खोने के गम से मां सदमे में है। वह एक ही बात कह रही है, तूने मझसे वादा किया था। अब कब आएगा मेरा लाल।

आखिरी बार फोन पर हुई थी ये बातचीत-

पिता ने बताया कि मंगलवार शाम 8 बजे फोन पर उनकी दीपक से आखिरी बार बात हुई थी। उन्होंने दीपक से पूछा था कि क्या उन्होंने खाना खा लिया। जिस पर बेटे ने कहा कि नहीं, अब जा रहा हूं। जब उन्होंने वहां के हालात के बारे में पूछा, तो बेटे ने कुछ भी नहीं बताया था।

-टीम सच की दस्तक राष्ट्रीय मासिक पत्रिका वाराणसी की तरफ से देश के सच्चे सपूत को भावपूर्ण श्रध्दांजलि ।देश आपको नमन करता है। 

 

Sach ki Dastak

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