हेलिकॉप्टर क्रैश: सिद्धार्थ वशिष्ठ वायुसेना अधिकारी का अंतिम संस्कार, स्क्वॉड्रन लीडर पत्नी ने फुल ड्रेस में दी अंतिम विदाई-
- शहीद स्क्वाड्रन लीडर को पत्नी ने वर्दी पहनकर दी सलामी
- चंडीगढ़ में किया गया अंतिम संस्कार
- इस दौरान बड़ी संख्या में आम लोगों ने भी उन्हें श्रद्धांजलि दी।
चंडीगढ़ :
पत्नी अनीता भी एयरफोर्स में स्क्वाड्रन लीडर, दोनों की श्रीनगर में थी तैनाती –
सिद्धार्थ मूल रूप से अंबाला के हमीदपुर गांव के रहने वाले थे। उनका परिवार चंडीगढ़ के सेक्टर-44 (मकान नंबर 62सी) में रह रहा है। पत्नी अनीता भी स्क्वाड्रन लीडर हैैं। पति-पत्नी दोनों श्रीनगर में तैनात थे। उनकी शहादत के बाद बुधवार देर रात पत्नी श्रीनगर से चंडीगढ़ पहुंचीं। उनका दो साल का बेटा अंगद है।
हरियाणा के श्रम एवं रोजगार राज्यमंत्री नायब सिंह सैनी चंडीगढ़ स्थित उनके घर पहुंचे और परिजनों को ढांढस बंधाया। सिद्धार्थ के पिता जगदीश वशिष्ठ पंजाब नेशनल बैैंक से सेवानिवृत हैैं।
शोक में डूबे पिता ने उन्होंने कहा, गर्व है कि उनका बेटा देश के काम आया। अभी दो दिन पहले उनकी सिद्धार्थ से बात हुई थी।
अंबाला में है पैतृक गांव और अब चंडीगढ़ के सेक्टर-44 में रह रहा है परिवार-
पुलवामा हमले के बाद श्रीनगर में बिगड़े हालात पर सिद्धार्थ ने बड़ी बेबाकी से कहा था कि यहां सब कुछ ऐसे ही चलता है। बिगड़ता है और फिर ठीक हो जाता है। मैं ठीक हूं आप ङ्क्षचता न करें और बुधवार सुबह उनकी शहादत की खबर आ गई। सिद्धार्थ की मां और दादी बेसुध हैं।
2010 में बने थे लेफ्टिनेंट-
जगदीश वशिष्ठ ने बताया कि सिद्धार्थ पढ़ाई में तेज थे। बचपन से ही उन्हें सेना में जाने का शौक था। परिवार की चौथी पीढ़ी ने भी फौज में जाकर देश की सेवा करने का फैसला लिया है।
इस फैसले से सारे खुश थे। 2010 में कमीशन पास कर वह लेफ्टिनेंट बने थे। इसके बाद अब वह एयरफोर्स में बतौर स्क्वाड्रन लीडर सेवाएं दे रहे थे। देश में बने मौजूदा हालात के बारे में उन्होंने इतना ही कहा कि जो भी हो रहा है वह बहुत पहले होना चाहिए था।
2013 में हुई थी शादी-
सेक्टर-44 स्थित हाउसिंग सोसाइटी की प्रेसीडेंट कामनी शर्मा ने बताया कि 2013 में सिद्धार्थ ने एयरफोर्स में ही तैनात स्क्वाड्रन लीडर अनीता से शादी की थी। छह साल पहले सिद्धार्थ की पोस्टिंग भोपाल में थी। वहीं उनकी मुलाकात पायलट अनीता से हुई और दोनों ने शादी कर ली।
शादी में उसके पैतृक गांव से परिजनों के अलावा गिने-चुने रिश्तेदार और परिवार के लोग शामिल हुए थे। इन दिनों दोनों श्रीनगर में तैनात थे। सिद्धार्थ के माता-पिता भी श्रीनगर में थे और वह 15 दिन पहले ही चंडीगढ़ आए थे।
सूबेदार दादा को देख देश की रक्षा के लिए सेना में जाने की ठानी-
दादा भगत राम सूबेदार के पद से रिटायर हुए थे। दादा से प्रभावित सिद्धार्थ ने बचपन में ही सेना में जाने का फैसला कर लिया था।
वह माता-पिता से खुद को सेना में भर्ती कराने के लिए कहते थे। तीन बहनों के इकलौते भाई सिद्धार्थ ने अपनी पढ़ाई चंडीगढ़ में की। पैतृक गांव में वह दादी चंद्रकांता से मिलने ही आते थे।
पिता ने चंडीगढ़ में मकान बना लिया। वहीं सिद्धार्थ का जन्म हुआ था। चाचा सतीश बैंक से रिटायर होने के बाद यमुनानगर में शिफ्ट हो गए। दूसरा चाचा हरीश अंबाला छावनी के रेलवे स्टेशन मास्टर है। नारायणगढ़ में उनका फुफेरा भाई भी नौसेना में विक्रमदित्य जहाज पर पायलट हैं।
-टीम सच की दस्तक राष्ट्रीय मासिक पत्रिका वाराणसी की तरफ से देश के सच्चे सपूत को भावपूर्ण श्रध्दांजलि ।देश आपको नमन करता है।🙏💐