मोदी सरकार ने किया पीएफआई का किला ध्वस्त
PFI ban in India:
ईडी के अधिकारियों ने दावा किया है कि ने इस साल जुलाई में बिहार की राजधानी पटना में पीएफआई (PFI) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमले करने की खतरनाक योजना बनाई थी। वहीं अधिकारियों ने एक और खुलासा किया है कि पीएफआई पर शिकंजा कसने के लिए ऑपरेशन ऑक्टोपस चलाया गया था।
भारत में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) को पांच साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया है। इसके अलावा पीएफआई से जुड़े आठ अन्य संगठनों पर भी गृह मंत्रालय ने पाबंदी लगा दी है। गृह मंत्रालय की ओर से जारी की गई अधिसूचना में कहा गया है कि इस संगठन के खिलाफ कई ऐसे सबूत मिले हैं, जिनसे साबित होता है कि पीएफआई देश विरोधी गतिविधियों में लिप्त था। इसके अलावा यह भी कहा गया है कि संगठन के सदस्य सीरिया, इराक, अफगानिस्तान में जाकर आईएस जैसे आतंकी संगठनों में शामिल हुए।
ऐसे में यह जानना जरूरी है कि पीएफआई जैसे संगठन, जिसकी जड़ें भारत में बहुत गहरी थीं, उसे उखाड़ फेंकने का प्लान कैसे तैयार हुआ। आखिर, इतने बड़े एक्शन की तैयारी कब हुई और सरकार ने पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने के लिए क्या-क्या किया। यहां हम आपको बताएंगे पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया पर प्रतिबंध की पूरी कहानी
पीएफआई के खतरनाक आतंकी मंसूबों की कहानी 1992 के बाबरी विध्वंस से निकली है। मुस्लिम हितों की रक्षा करने के लिए केरल के मुसलमान नेताओं ने 1994 में नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट यानी NDF की स्थापना की। धीरे-धीरे यह संगठन इस राज्य में अपनी जड़ें मजबूत करता चला गया और इस संगठन का नाम सांप्रदायिक गतिविधियों से जुड़ता चला गया। 2003 में कोझिकोड में आठ हिंदुओं की हत्या के बाद इस संगठन पर आईएसआई से संबंध होने के आरोप लगे, जो साबित नहीं हो सके। हिंसक गतिविधियों में नाम आने के बाद इस संगठन की चर्चा हर तरफ होने लगी। इसके बाद नवंबर 2006 में दिल्ली में एक बैठक आयोजित की गई, जिसमें NDF के अलावा दक्षिण भारत के तीन मुस्लिम संगठनों का विलय हुआ और पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया अस्तित्व में आया।
अब हुई डोभाल की एंट्री
जब मोदी से मिली हरी झंडी
पीएमओ से जुड़े सूत्रों का कहना है कि इस पूरे प्लान को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने रखा गया। उनसे हरी झंडी मिलने के बाद डोभाल ने अपना काम शुरू कर दिया। दो सिंतबर को डोभाल पीएम मोदी के साथ केरल पहुंचे। यहां आईएनएस विक्रांत के नौसेना में शामिल होने के कार्यक्रम के बाद पीएम मोदी दिल्ली लौट आए, लेकिन डोभाल केरल में रुक गए। यहां उन्होंने केरल के टॉप पुलिस अफसरों के साथ बैठक की। इसके बाद डोभाल मुंबई पहुंचे। यहां भी उन्होंने राजभवन के सुरक्षा अधिकारियों के साथ मीटिंग की। महाराष्ट्र के टॉप पुलिस अधिकारियों से भी बात की। 15 सितंबर को डोभाल ने एनआईए और ईडी के अधिकारियों के साथ बैठक की और पूरे एक्शन की जानकारी दी।
दूसरे छापे में उखड़ गईं जड़ें
केंद्रीय एजेंसी ने 27 सितंबर को पीएफआई के खिलाफ दूसरी बड़ी छापेमारी की। यह छापेमारी सात राज्यों में हुई और 230 से ज्यादा पीएफआई सदस्यों को हिरासत में लिया गया। इस छापेमारी में कर्नाटक में सर्वाधिक 80, यूपी में 57, असम व महाराष्ट्र से 25-25, दिल्ली में 32, मध्य प्रदेश में 21, गुजरात में 17 लोगों को गिरफ्तार किया गया।