सद्भावना : कब्रिस्तान में चामुंडा देवी मंदिर और मजार, पर नहीं कोई विवाद –
आज जब चारों तरफ़ से लिंचिंग की घटनायें सामने आ रहीं हैं वहीं एक सद्भावना की एक मिसाल है गजरौला, अमरोहा गांव का कब्रिस्तान, जहां चामुंडा देवी का मंदिर और उसके निकट मजार भी है पर आज तक कोई विवाद नहीं हुुुआ ।मजार पर लोग दुआएं मांग रहे होते हैं तो मंदिर में मां की आरती की जा रही होती है, लेकिन इससे किसी को कोई दिक्कत नहीं होती हिंदू और मुसलमान एक-दूसरे के धार्मिक आयोजनों में बिना किसी भेदभाव और संकोच के बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। अमरोहा जिले के गजरौला से पांच किमी दूर नौनेर-चकनवाला रोड पर बसे 1500 आबादी वाले गांव सिहाली गोसाई में हिंदू-मुस्लिम आपस में मिलजुल कर रहते हैं।
कब्रिस्तान के बीचों-बीच मां चामुंडा देवी का मंदिर है। इसमें होने वाले आयोजनों में मुसलमान बढ़चढ़कर भाग लेते हैं। हिंदू की शव यात्रा में शामिल होकर मुसलमान गंगा नदी तक जाते हैं तो मुस्लिम समुदाय के किसी व्यक्ति की मौत होने पर हिंदू कब्रिस्तान पहुंचते हैं। ग्रामीण कहते हैं कि गाय या भैंस के बियाने पर पहला दूध (खीज) चामुंडा मंदिर में ही चढ़ाते हैं। वहीं अब्दुल सलाम गर्व से बताते हैं कि गांव में भाईचारा बहुत है।
ग्रामीण के अनुसार करीब 45 साल पहले वर्ष 1974 में यहां सलेमपुर रियासत का बाग हुआ करता था। उस बाग में एक चबूतरे पर चामुंडा देवी स्थापित थीं। एक दिन शरारती तत्व ने चबूतरे को ध्वस्त कर दिया। कुछ लोगों ने माहौल बिगाड़ने की कोशिश की, लेकिन आपसी सहमति बनी और पुलिस प्रशासन ने चामुंडा देवी के चबूतरे की मरम्मत कराते हुए उसके चारों तरफ पक्की दीवार बनवा दी थी।
जय सिंह करते हैं मंदिर व मजार की सफाई गांव के जय सिंह की यूं तो कपड़ों की दुकान है, लेकिन वह धार्मिक कार्यों में अधिक रुचि रखते हैं। सुबह-शाम कब्रिस्तान में बने चामुंडा देवी मंदिर और नजदीक बने मजार पर भी साफ-सफाई करते हैं।
गांव में हिंदू-मुस्लिम समुदाय के लोग एकदूसरे के धार्मिक कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं और धर्मस्थलों को लेकर भेदभाव की कभी कोई शिकायत कभी सुनने में नहीं आयी।