पूर्वावलोकनः बीटिंग द रिट्रीट 2019

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नई दिल्ली, 29 जनवरी 2019, सच की दस्तक न्यूज़।


इस साल कल आयोजित होने वाला ‘बीटिंग द रिट्रीट’ समारोह भारतीय धुनों से सराबोर होगा। ऐतिहासिक विजय चौक पर 27 से अधिक प्रदर्शनों में सेना, नौसेना, वायुसेना और राज्य पुलिस तथा केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) के बैंड मनोरम संगीत के साथ दर्शकों को उत्साहित करेंगे।

27 प्रदर्शनों में से 19 धुन भारतीय संगीतकारों ने तैयार की हैं, जिनमें इंडियन स्टार, पहाड़ों की रानी, कुमाउनी गीत, जय जन्मभूमि, क्वीन ऑफ सतपुड़ा, मारूनी, विजय, सोल्जर-माइ वेलंटाइन, भूपाल, विजय भारत, आकाशगंगा, गंगोत्री, नमस्ते इंडिया, समुद्रिका, जय भारत, यंग इंडिया, वीरता की मिसाल, अमर सेनानी और भूमि पुत्र शामिल हैं।

8 विदेशी धुनों में फैनफेयर बाइ बीयूगलर्स, साउंड बैरियर, एमब्लेजेंड, ट्वाइलाइट, एलर्ट, स्पेस फ्लाइट, ड्रमर्स कॉल और एबाइड विद मी शामिल होंगी। इस आयोजन का समापन लोकप्रिय धुन ‘सारे जहां से अच्छा’ से होगा।

बीटिंग द रिट्रीट हर साल 29 जनवरी को विजय चौक में चार दिवसीय गणतंत्र दिवस समारोह के समापन का प्रतीक है। इस साल 15 सैन्य बैंड, 15 पाइप्स और ड्रम बैंड रेजीमेंटल केंद्र और बटालियन से बीटिंग द रिट्रीट समारोह में भाग लेंगे।

इसके अलावा भारतीय नौसेना और भारतीय वायु सेना के एक-एक बैंड भी इस आयोजन का हिस्सा बन जाएंगे। इसके अलावा राज्य पुलिस और सीएपीएफ के एक अन्य बैंड भी, जिनमें केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल और दिल्ली पुलिस के शामिल होंगे।

बीटिंग द रिट्रीट समारोह के प्रमुख संचालक कमाडोर विजय डी• क्रूज होंगे जबकि सेना के सैन्य बैंड के संचालक सूबेदार परविंदर सिंह और नौसेना तथा वायु सेना बैंड के संचालक मास्टर चीफ पेट्टी ऑफिसर विंसेंट जॉन और जूनियर वारंट ऑफिसर अशोक कुमार होंगे।

राज्य पुलिस और सीएपीएफ बैंड्स के संचालक इंस्पेक्टर गणेश दत्त पांडेय होंगे। सूबेदार दीगर सिंह की अध्यक्षता में बिगुल बजाया जाएगा और सूबेदार मेजर देव सिंह थापा की अध्यक्षता में पाइप्स व बैंड्स की प्रस्तुति होगी।

परेड के दौरान ‘बीटिंग द रिट्रीट’ राष्ट्रीय गौरव का कार्यक्रम बन कर उभरा है। 1950 के शुरुआत में इस समारोह की शुरुआत हुई थी और भारतीय सेना के मेजर रॉबर्ट ने इस अनोखे समारोह का ढांचा विकसित किया जो संगीत की धुनों से सराबोर होता है।

‘बीटिंग द रिट्रीट’ सदियों पुरानी सैन्य परंपरा का प्रतीक है, जब सैनिक लड़ाई समाप्त कर अपने शस्त्र ढक देते थे और सूर्यास्त के समय युद्ध के मैदान से शिविरों में वापस लौट आते थे। समारोह से यादें ताजा हो जाती हैं।

Sach ki Dastak

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