पुलवामा हमले के बाद पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि क्यों नहीं तोड़ रहे हैं –
क्या भारत के पास कोई विकल्प है या ऐसे हमले भविष्य में भी झेलने होंगे?
अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में विदेश सचिव रहे कंवल सिब्बल को लगता है कि पाकिस्तान को लेकर भारत को जो सख़्त क़दम उठाने चाहिए वो नहीं कर पा रहा है.
सिब्बल मानते हैं कि भारत के पास बहुत विकल्प नहीं हैं, लेकिन कुछ ऐसी रणनीति है जो मास्टरस्ट्रोक साबित हो सकती है.
सिब्बल कहते हैं, ”भारत के पास एक बहुत ही असरदार विकल्प है और वो है सिंधु जल संधि को तोड़ना. मुझे समझ में नहीं आता कि इस संधि को सरकार क्यों नहीं तोड़ रही है. इस संधि को तत्काल निलंबित करना चाहिए. ऐसा होते ही पाकिस्तान सीधा हो जाएगा. जैसे कहा जाता है कि पाकिस्तानी आतंकवाद का भारत के पास कोई जवाब नहीं है वैसे ही पाकिस्तान के पास सिंधु जल संधि तोड़ने का कोई जवाब नहीं है.”
सिब्बल कहते हैं ट्रंप ने सत्ता में आने के बाद कई संधियां तोड़ी हैं. अमरीका ने ऐसा अपने ख़ास दोस्त जापान और कनाडा के साथ भी किया.
अगर अमरीका ऐसा कर सकता है तो भारत को संधि तोड़ने में क्या दिक़्क़त है? अमरीका जलवायु संधि से निकल गया, ईरान से परमाणु समझौते को रद्द कर दिया.
सिब्बल को ये बात समझ में नहीं आती कि सिंधु जल संधि को भारत क्यों जारी रखे हुए है.
सिब्बल मानते हैं कि इस संधि को तोड़ने से भारत पर कोई असर नहीं होगा. वो कहते हैं कि एक बार भारत अगर इस संधि को तोड़ देता है तो पाकिस्तान को अहसास हो जाएगा.
भारत विदेश सेवा के वरिष्ठ अधिकारी विवेक काटजू भी मानते हैं कि भारत को अब हर विकल्पों पर विचार करना चाहिए.
कंवल सिब्बल कहते हैं, ”भारत के लिए डिप्लोमैटिक विकल्प ही काफ़ी साबित नहीं होंगे. हालांकि इसका भी सहारा लेना होगा. अब ठोस क़दम उठाने की बारी आ गई है. अब कश्मीर में कुछ सफ़ाया करना होगा.
सिब्बल कहते हैं, ”कश्मीर के भीतर सफ़ाये की ज़रूरत है. हुर्रियत वालों को जो सीआरपीएफ़ और राज्य पुलिस की सुरक्षा मिली हुई है, उसे तत्काल हटाने की ज़रूरत है. पाकिस्तान के साथ कुछ कड़े क़दम उठाने की ज़रूरत है. ये क़दम क्या हो सकते हैं इस पर तो सरकार को ही सोचना होगा. संयुक्त राष्ट्र से मसूद अज़हर को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित कराने के लिए फिर से सक्रिय होना होगा.”
विदेशी सेवा के वरिष्ठ अधिकारी विवेक काटजू भी सिब्बल से सहमत हैं कि कश्मीर के नेताओं को राष्ट्रहित के बारे में सोचना चाहिए.
काटजू का कहना है भारत के पास पाकिस्तान के ख़िलाफ़ करने के लिए कई विकल्प संभव बनाए जा सकते हैं. वो कहते हैं, ”राहुल गांधी ने बिल्कुल सही रुख़ दिखाया है इस मसले पर वो सरकार के साथ खड़े हैं. कश्मीर के नेताओं को भी राष्ट्रहित में एक साथ खड़ा होना चाहिए.”
मोदी सरकार ने 2016 में सिंधु जल संधि को तोड़ने की बात कही थी लेकिन सरकार कोई फ़ैसले पर नहीं पहुंच पाई थी.