नोटा ने भाजपा को मध्यप्रदेश, राजस्थान से किया बेदखल
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सच की दस्तक डेस्क वाराणसी
राजस्थान व मध्यप्रदेश में सम्पन्न हुए विधानसभा चुनाव में नेताओ के प्रति मतदाताओ की नाराजगी का स्पष्ट परिचायक नोटा के रूप में दिखी।
एक प्रकार से कहा जाए कि एक तरफ 15 साल से भाजपा के शासन से ऊब गयी थी वही उसके अलावा भाजपा ने कुछ ऐसे फैसले लिए जिससे जनता बेहद नाराज थी।सवर्ण समाज भाजपा से बेहद नाराज था।एस सी एस टी एक्ट को लेकर जबरदस्ती अध्यादेश लाकर कानूनी अमलीजामा पहना देना किसी के गले नही उतर रहा।चूंकी मतदाता कांग्रेस को नही चाहता था लेकिन मन मे कसक थी कि भाजपा को सबक सिखाना है।इस कसक को इस विधानसभा में जनता ने दिखा दिया।हमारे सूत्रों ने बताया कि इस बार लगभग डेढ प्रतिशत मत मतदाताओ ने नोटा का प्रयोग मध्यप्रदेश में किया।कहा जाए तो लगभग 4 लाख लोगों ने नोटा दबाया और भाजपा को सत्ता से बेदखल कर दिया।भाजपा मात्र 7 सीट से बहुमत से मध्यप्रदेश में दूर रही और 5 सीटों से कांग्रेस से पिछड़ गयी ।नतीजा एक प्रभावशाली व्यक्तित्व के धनी शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री बनते- बनते रह गए।
वही राजस्थान में 2%मतदाताओ ने नोटा का प्रयोग किया और वसुंधरा की भाजपा सरकार को सत्ता से बेदखल कर दिया। कांग्रेस लौट आयी। राहुल गांधी की लगातार हो रही हार को इस बार सहारा भाजपा नेताओं से नाराज चल रहे नोटा मतदाता से मिल गया।जिसे कांग्रेस अपनी मेहनत का फल मान रही है।
जबकि समीक्षा की जाए तो ऐसी बात बिल्कुल नही है कांग्रेस से मतदाता आज भी दूर है ।भाजपा ने जो निर्णय लिए है किसी एक वर्ग के मतदाताओ को खुश करने के केलिए उसका खामियाजा है। राम मंदिर पर अध्यादेश लाकर मन्दिर निर्माण यदि नही होता इसका खामियाजा भाजपा को लोकसभा चुनाव में भी मिल सकता है।नोटा का प्रचलन बढ़ सकता है।और ये नोटा भाजपा को केंद्र की राजनीति से भी दूर कर सकता है।