राष्ट्रीय चरित्र में साहित्य की अहम् भूमिका
भारतीय संस्कृति, दर्शन, भाषा, साहित्य के विकास के लिए निरन्तर प्रयासरत संस्था के द्वारा साप्ताहिक एवम् चतुर्दिवसीय कार्यक्रम की कडी में अभ्युदय अंतरराष्ट्रीय संस्था दव्रिद्वारा वरिष्ठ साहित्यकार मृदुला बिहारी जी की साहित्यिक यात्रा पर दिनांक 15, 16,17 तथा 24 जुलाई को चतुर्दिवसीय कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है।
जिसके अन्तर्गत 15 जुलाई को शाम 6.45 मिनट से उद्धाटन समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार मृदुला बिहारी ने कहा कि आज साहित्य संस्कृति पर और संस्कृति बाजार पर टिकी हुई है। बाजारवाद में नैतिकता कहीं पीछे छूट रही है, ऐसे में साहित्यकार को संयम और धैर्य के साथ निष्पक्ष होकर अपनी लेखनी का उपयोग करना होगा।
इस कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्था के सहअध्यक्ष डॉ. अमरनाथ अमर ने करते हुए कहा कि बिना किसी से प्रभावित होकर प्रासंगिकता के आधार पर लेखन किया जाना चाहिए।
मुख्य वक्ता संस्था के प्रमुख परामर्शदाता डॉ.प्रेम तन्मय ने मृदुला बिहारी जी की कहानियों की विशेषता का वर्णन करते हुए उनके राजस्थान साहित्य अकादमी से प्राप्त सर्वोच्च मीरा सम्मान से पुरस्कृत उपन्यास पूर्णहुति के बारें में विस्तार से चर्चा की।
उन्होंने बताया कि लेखन संवेदनशीलता माँगती है , ऐसे में अगर नारी की लेखनी हो तो संवेदनशीलता स्वयं बढ़ जाती है। पूर्णाहुति में पद्मावती के जीवन की गहरी संवेदनशीलता को पूर्णत उभारने में मृदुल कीर्ति जी का उपन्यास पूर्णतः सक्षम रहा है।
विशिष्ट अतिथि के रूप में मृदुला बिहारी के नाटकों की शोधकर्ता हैदराबाद की प्रियंका कुमारी ने उनके नाटकों की विशेषताओं को बताते हुए “भोर” नाटक की विस्तृत व्याख्या करते हुए कहा कि भोर नाटक में एक गरीब और बेबस नायिका बादामी के चरित्र के उत्थान में जो कहानी पिरोई है मृदुल बिहारी जी ने , वह सिर्फ प्रशंसनीय ही नहीं अत्यन्त प्रेरणादायी भी है। ”
कार्यक्रम का संचालन संस्था की संस्थापक अध्यक्ष डॉ इन्दु झुनझुनवाला ने करते हुए कहा कि साहित्य व्यक्ति और देश के चरित्र निर्माण में सर्वाधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है जो कि आधुनिक शिक्षा प्रणाली में उपेक्षित हो रहा है। वैसे में साहित्य को समाज में पुनर्स्थापित करने के लिए अभ्युदय अन्तर्राष्ट्रीय ने इन आयोजनों की महत्ता को समझा है और इस ओर निरन्तर गतिशील है।
आयोजन का शुभारंभ संस्था की सचिव चन्दा प्रहलादका ने किया और अन्तर्राष्ट्रीय सचिव लंदन की वरिष्ठ साहित्यकार शैल अग्रवाल ने मुख्य अतिथि के साथ -साथ सभी का स्वागत किया।
संस्था की सहसचिव एवम् उत्तर प्रदेश शाखा अध्यक्ष डॉ मंजरी पाण्डेय ने अपनी मधुर वाणी से सरस्वती वंदना प्रस्तुत की।
संस्था के संरक्षक प्रदीप कुमार एडवोकेट ने बधाई देते हुए हिन्दी को राष्ट्र भाषा बनाने की ओर प्रयास करने का आग्रह किया यूनेस्को का उदाहरण देते हुए।
संस्था के संरक्षक कमल किशोर राजपूत ने सभी प्रतिभागियों को आयोजन की सफलता के लिए शुभकामनाऐं प्रेषित की।
कार्यक्रम संयोजक ज्योति तिवारी ने विशिष्ट अतिथि प्रियंका कुमारी का परिचय दिया व हरियाणा शाखा अध्यक्ष यशपाल सिंह ने कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ.अमर नाथ अमर जी का परिचय देते हुए कहा कि जो जितने वरिष्ठ होते हैं वे अपना परिचय बहुत ही कम प्रस्तुत करते है। डॉ अमर नाथ अमर पर भी यह बात स्पष्ट दृष्टिगोचर होती है।
मुख्य वक्ता डॉ प्रेम तन्मय का परिचय कैलिफोर्निया शाखा सहसचिव मंजु शर्मा ने दिया।
अन्त में संस्था के उपाध्यक्ष भीमप्रकाश शर्मा ने सभी उपस्थित विद्वज्जनों एवम् श्रोताओं का धन्यवाद ज्ञापन करते हुए मृदुला बिहारी जी के प्रति भी कृतज्ञता प्रगट किया।
देश-विदेश के करीब 50 से अधिक प्रतिभागियों ने इस आयोजन में भाग लेकर इसे सफल बनाया।