मधुमेह के मरीजों में टीबी होने का चार गुना अधिक होता है खतरा

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सच की दस्तक न्यूज डेस्क चन्दौली

धानापुर ब्लॉक के 32 वर्षीय दीपक साहू (परिवर्तित नाम) दो वर्ष से मधुमेह रोग (डायबिटीज) से पीड़ित हैं| पिछले दो माह से उन्हें हर समय सुस्ती महसूस हो रही थी, बुखार के साथ खांसी भी आ रही थी | गत 15 मई को निक्षय दिवस पर वह धानापुर सीएचसी पहुंचे| मधुमेह की जांच के दौरान जब उन्होंने समस्या बताई तो डाक्टर ने उन्हें फ़ौरन टीबी की भी जांच करवाने के लिए कहा| रिपोर्ट आई तो पता चला कि दीपक को अब मधुमेह के साथ ही टीबी भी है| टीबी की दवा उपलब्ध कराने के साथ ही डॉक्टर ने उन्हें समझाया कि इसे नियमित रूप से खाना है| फ़िलहाल छह महीने तक इलाज चलेगा| डाक्टर की सलाह मानकर नियमित दवा सेवन करते हुए दीपक को डेढ़ माह से अधिक का समय गुजर चुका है| इस दौरान वह पोषक आहार लेने के साथ ही परहेज भी कर रहे हैं| इसका नतीजा है कि उनकी सेहत में तेजी से सुधार हो रहा है|

जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. राजेश कुमार का कहना है- सिर्फ दीपक साहू ही नहीं, उनके जैसे और भी कई मरीज़ हैं जिन्हें पहले सिर्फ मधुमेह था और अब वह टीबी रोग से भी पीड़ित हैं| डायबिटीज से पीड़ित व्यक्ति को सामान्य व्यक्ति के मुकाबले टीबी होने का खतरा चार गुना अधिक रहता है| इसकी मुख्य वजह है मधुमेह रोग के कारण उनकी प्रतिरोधक क्षमता का कमजोर होना जिससे ऐसे रोगी आसानी से टीबी की गिरफ्त में आ जाते हैं| डॉ. राजेश कहते हैं कि मधुमेह रोगियों को टीबी के प्रति खास सतर्कता बरतनी चाहिए| खासकर तमाम इलाज के बावजूद उनका मधुमेह यदि सामान्य नहीं हो रहा है और टीबी के लक्षण हैं तो उन्हें टीबी की जांच भी अवश्य करवानी चाहिए| उन्होंने बताया कि जिले में कुल 84 ऐसे मरीज हैं जिन्हें मधुमेह के साथ ही टीबी के इलाज पर भी रखा गया है|

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र धानापुर के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ. जेपी गुप्ता बताते हैं-मधुमेह रोगी को टीबी होने की आशंका खासकर तब और बढ़ जाती है,जब मधुमेह का ठीक ढंग से इलाज नहीं हो रहा हो| एंटी टीबी-ड्रग्स के साथ मधुमेह पर भी नियंत्रण करने में आसानी होती है| किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं होती|

टीबी के लक्षण पहचानें – डॉ. जेपी गुप्ता के अनुसार टीबी यानी ट्यूबरक्यूलोसिस एक बैक्टीरियल संक्रमण है, जो हवा के ज़रिये एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है| यह शरीर के भीतर वर्षों तक छिपा रहता है जिसे ‘लेटेन्ट टीबी’ कहते हैं| किसी बीमारी के कारण यह टीबी रोगी के संपर्क में आने से प्रतिरोधक क्षमता कमज़ोर पड़ते ही यह सक्रिय हो जाता है| वैसे तो टीबी बाल और नाख़ून को छोड़कर शरीर के किसी भी अंग में हो सकती है पर खास तौर पर यह फेफड़े को अधिक प्रभावित करता है| टीबी के मुख्य लक्षण हैं लगातार दो सप्ताह से ज्यादा समय तक खांसी आना, थकान, कमजोरी, बुखार, भूख न लगना, वजन कम होना और रात में पसीना आना| अगर सही समय पर जांच हो और टीबी के मुख्य लक्षण हैं लगातार दो सप्ताह से ज्यादा समय तक खांसी आना, थकान, कमजोरी, बुखार, भूख न लगना, वजन कम होना और रात में पसीना आना| सही समय पर जांच हो और नियमित इलाज के साथ अतिरिक्त पोषण जैसे- दूध,अंडा, फल, हरी सब्जी, अंकुरित अनाज का सेवन किया जाए तो तो बीमारी जड़ से ठीक हो जाती है|

मधुमेह रोगी करें टीबी से बचाव – डॉ. जेपी गुप्ता ने बताया कि मधुमेह दो तरह का होता है- पहला वह जो किसी भी उम्र में हो सकती है|दूसरा यह आनुवांशिक बीमारी है जो मुख्यतः बड़ी उम्र में देखी जाती है|मधुमेह के लक्षण हैं बहुत प्यास एवं भूख लगना, थकान, दृष्टि में धुंधलापन, पैरों में सिहरन, वजन एकाएक कम होना एवं जल्दी-जल्दी पेशाब लगना, लो एवं हाई ब्लड-शुगर में इसके लक्षण अलग-अलग होते हैं| मधुमेह का इलाज नहीं है, लेकिन इसपर नियंत्रण किया जा सकता है| पोषण पर ध्यान और नियंत्रण कर लंबे समय तक स्वस्थ जीवन जिया जा सकता है| डॉ. गुप्ता ने कहा कि मधुमेह के मरीज टीबी से बचने के लिए पौष्टिक आहार और साफ़-सफाई पर ध्यान दें, धूम्रपान बिल्कुल न करें और स्वस्थ सेहत के लिए योग जरूर करेंl

Sach ki Dastak

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