UNGA में महिलाओं को हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने पर भारत ने पाकिस्तान को दिखाया आईना
न्यूयार्क।
भारत ने जम्मू और कश्मीर में राजनीतिक लाभ के लिए महिलाओं के अधिकारों के मुद्दों बनाने को लेकर पाकिस्तान को लताड़ लगाई है। कहा कि यह विडंबना है कि एक ऐसा देश जहां सम्मान के नाम पर महिलाओं के जीवन के अधिकार का उल्लंघन किया जा रहा है, वो भारत के बारे में बेबुनियाद बयान दे रहा है। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन में प्रथम सचिव पॉलोमी त्रिपाठी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा की तीसरी समिति के ‘महिलाओं की उन्नति’ के दौरान कहा, ‘महासभा की पहली महिला अध्यक्ष विजया लक्ष्मी पंडित से लेकर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की महिला वैज्ञानिकों तक, भारतीय महिलाओं ने लोगों के लिए प्रेरणा का काम किया।
उन्होंने समिति के समक्ष कहा, ‘हमें महिलाओं के सशक्तीकरण और लैंगिक समानता की प्राप्ति की दिशा में काम करना चाहिए, लेकिन राजनीतिक लाभ के लिए खाली बयानबाजी के माध्यम से महिलाओं के अधिकारों के मुद्दों को हथियार बनाने के लिए यहां कोई जगह नहीं है। आज, एक प्रतिनिधिमंडल ने मेरे देश के आंतरिक मामलों के बारे में अनुचित संदर्भ देकर इस एजेंडे का राजनीतिकरण करने के लिए चुना है।’,
यहां उन्होंने बिना नाम लिए पाकिस्तान के प्रतिनिधिमंडल पर हमला दिया। बता दें कि यह समिति संयुक्त राष्ट्र महासभा में छह में से एक है, जो सामाजिक, मानवीय मामलों और मानवाधिकार मुद्दों से संबंधित है।
त्रिपाठी ने सीधे तौर पर पाकिस्तान का नाम नहीं लिया, लेकिन पाकिस्तान के संयुक्त राष्ट्र में मालेहा लोधी द्वारा दिए जम्मू-कश्मीर के संदर्भों का जवाब दे रही थी, जिन्होंने समिति में अपने भाषण में पहले कहा था कि जम्मू-कश्मीर में महिलाएं संचार ब्लैकआउट के कारण परेशान है। लोधी ने द न्यू यॉर्क टाइम्स के फ्रंट पेज पर दिखाई देने वाली एक कश्मीरी मां की तस्वीर के साथ कहा था कि मां ने अपने बेटे को खो दिया, जिसे एक सांप ने काट लिया था, क्योंकि उसे समय पर चिकित्सा सहायता नहीं मिली।
पाकिस्तान का नाम लिए बगैर, त्रिपाठी ने कहा कि दूसरों के क्षेत्र पर कब्जा करता है और अपने छूटे वादों से लोगों को बांधा हुआ है। उन्होंने कहा कि यह विडंबना है कि एक देश, जहां तथाकथित सम्मान के नाम पर महिलाओं के जीवन के अधिकार का उल्लंघन किया जा रहा हो, वह मेरे देश में महिलाओं के अधिकारों के बारे में निराधार बयान दे रहा है। त्रिपाठी ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को यह याद है कि ‘इस देश की सशस्त्र सेना’ ने 1971 में भारत के निकटवर्ती इलाके में महिलाओं के खिलाफ भयानक यौन हिंसा की थी।
वहीं, त्रिपाठी ने कहा, यूएनजीए समिति के कीमती समय का बेहतर उपयोग करने से पहले एजेंडे पर विचार-विमर्श करना बेहतर होगा। उसने कहा कि लैंगिक समानता की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति के बावजूद, दुनिया भर में महिलाओं और लड़कियों को शिक्षा, रोजगार और राजनीतिक भागीदारी तक पहुंच के लिए प्रतिबंधों का सामना करना पड़ रहा है।
त्रिपाठी ने कहा कि चाइंड मैरिज हो रही है, उन्हें जबरन गुलामी में फंसाया जाता है और हर दिन 800 से अधिक महिलाओं की मृत्यु हो जाती है। उन्होंने सत्र को बताया कि महिलाओं की लैंगिक समानता और सशक्तिकरण भारत की समावेशी विकास रणनीति का एक अभिन्न हिस्सा है।