शिवभक्त रावण का जन्म नोयडा व ससुराल मेरठ

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आपको जानकर हैरानी होगी कि रावण का जन्म नोएडा में हुआ था। ग्रेटर नोएडा से 10 किलोमीटर दूर है रावण का गांव बिसरख। यहां न रामलीला होती है, न ही रावण दहन किया जाता है। यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है।

दशहरा बुराई पर अच्छाई की जीत का त्यौहार। रावण के संहार का जश्न मनाने का पर्व। अब कुछ घंटो का इंतजार बचा है जब रावण के पुतले में लगाई जाएगी आग और धू-धू कर जल उठेगा रावण। दशहरा शक्ती पूजा के रुप में मनाया जाने वाला ऐसा पर्व जब सत्य पर असत्य की जीत हुई और हार गया रावण का अहंकार। लेकिन आपको रावण के एनसीआर कन्क्शन के बारे में पता है। जी हां, रावण के नोएडा और मेरठ कनेक्शन के बारे में आज हम आपको बताएंगे। साथ ही आपको दर्शन कराएंगे एक ऐसे मंदिर के दर्शन की जहां रावण की पत्नी मंदोदरी पूजा के लिए आया करती थीं।

बता दें कि मंदोदरी, दिति के पुत्र असुर राजा मयदानव और हेमा नामक अप्सरा की पुत्री थीं और मंदोदरी की सगी छोटी बहन रजनी श्री चित्रगुप्त के नाती सर्वग्य की पत्नि है और रजनी के पुत्र धन्वंतरि और धन्वंतरि के पुत्र सुसैैन रावण के राज वैद्य थे। 

मेरठ रावण की ससुराल है। आपको ये सुनकर आश्चर्य हो रहा होगा लेकिन ये सच है। मेरठ को रावण की ससुराल माना जाता है। रावण की पत्नी मंदोदरी मेरठ की ही रहने वाली थीं। यहां आज भी वो मंदिर मौजूद है जहां मंदोदरी पूजा के लिए जाया करती थीं।

रावण की पत्नी मंदोदरी जिस मंदिर में पूजा करने जाया करती थीं। वो बिल्लेश्‍वर नाथ महादेव का मंदिर आज भी मेरठ में मौजूद हैं।

वहीं आपको जानकर हैरानी होगी कि रावण का जन्म नोएडा में हुआ था। ग्रेटर नोएडा से 10 किलोमीटर दूर है रावण का गांव बिसरख। यहां न रामलीला होती है, न ही रावण दहन किया जाता है। यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है। ग्रेटर नोएडा से 10 किलोमीटर दूर है रावण का गांव बिसरख।

लोगों का ऐसा मानना है कि विश्रवा मुनि ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए बिसरख में अष्टभुजा वाले शिवलिंग की स्थापना कर मंदिर का निर्माण कराया था। इसलिए पुराणों में बिसरख का नाम विश्वेश्वरा बताया गया है।

बता दें, ऋषि पुलस्त के पुत्र विश्रवा और विश्रवा के एक पत्नी के पुत्र रावण व दूसरी पत्नी के पुत्र कुबेर हैं। रावण के पिता का नाम विश्रवा था। विश्रवा स्वयं अपने पिता के समान वेद्‍‍विद और धर्मात्मा थे।

Sach ki Dastak

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