विधवा महिलाओ को भी समाज मे मिले सम्मान

खबर चन्दौली से
विधवा महिलाओं को बदलते हुए परिवेश में भी सम्मान नहीं मिल रहा है आज भी उन्हें अपशगुन के रूप में देखा जाता है और किसी भी नए कार्य की उद्घाटन के अवसर पर पुनः कार्यक्रम से दूर रखा जाता है। यहां तक कि अपनी परछाई को भी दूर रखने को कहा जाता है। जो बदलते हुए परिवेश में पाप है। उन्हें भी सम्मान मिलना चाहिए जिसकी वह हकदार है जैसी एक व्यक्ति समाज का इकाई होता है। एक विधवा भी समाज के निर्माण में अपनी भूमिका अदा करती है और वह भी एक इकाई के रूप में काम करती है। जब इकाइयां मिलकर समाज का निर्माण कर सकती हैं तो समाज को भी उस विधवा का सम्मान करना चाहिए। उक्त बातें सामाजिक कार्यकर्त्री शोध कार्यकर्त्री डॉ सरिता मौर्य ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय नगर स्थित रेस्टोरेंट में पत्रकार वार्ता के दौरान कहा।
डॉ मौर्य ने कहा कि समाज की सोच बदल रही है तो विधवा आज कैसी अछूत है। इसके लिए एक मिशन के रूप में काम करने की आवश्यकता है और मैं इस पर काम कर रही हूं। उन्हें आत्मनिर्भर बना कर समाज में सम्मान दिलाने के लिए कृत संकल्पित हूं। मैं पिछले कई वर्षों से इस पर प्रयास कर रही हूं लेकिन जितना सहयोग समाज से मिलना चाहिए उतना अभी भी नहीं मिल रहा है। उन्होंने अपनी बातों को आगे बढ़ाते हुए कहा कि वर्तमान समय में भ्रूण हत्या सामाजिक अभिशाप है। मां के गर्भ में ही बेटी को मार दिया जा रहा है। इसके अलावा एक सामाजिक सत्य भी है कि जब एक बच्चा पैदा होता है तो घर की महिलाएं शगुन की गीत के रूप में सोहर गाती है लेकिन जब बच्ची लेती है तो उसके लिए कोई शुभ संगीत सोहर नहीं गाया जाता। जब कि बेटी ही दो परिवारों को संरक्षित व सुरक्षित करती है। वह सृष्टि की जननी है। क्यों इसका जवाब देना होगा। जब बेटी बचाओ बेटी पढ़ाआें कार्यक्रम चलाया जा रहा है तो भ्रुण हत्या क्यों। लड़की पैदा ले तो शुभ संगीत क्यों नहीं यक्ष प्रश्न को लेकर मैं काम कर रही हूं । यक्ष प्रश्न का जवाब में सिर्फ समाज के द्वारा दिलवाना चाहती हूं महिलाओं को सम्मान कैसे मिले जिसमें दिखावा ना हो उसी मिशन को लेकर मैं आगे बढ़ रही हूं। मैंने सामाजिक सेवा करने का बीड़ा उठाया है जो सभी सहयोग से ही संभव हो पाएगा इस अवसर पर समाजिक कार्यकर्ती द्वारा समाज में सहयोग के लिए पत्रकारों को अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया गया।
विधवाओं को उचित सम्मान मिलना चाहिए ,उन लोगों को समाज में आपस में समाजिक समरसता मिलना चाहिए, विधवाओं को हर तरह का सुख सुविधा हम लोगों देना चाहिए