“जहाँ चाह वहाँ राह” इस उक्ति को साबित कर दिया

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“जहाँ चाह वहाँ राह” इस उक्ति को साबित कर दिया है एक द्रढ़ मनोबल वाली लड़की और एक ऑटोरिक्शा चलाने वाले पिता की खुद्दार बेटी ने।

इंसान अगर मन बना लें तो ज़िंदगी में कुछ भी नामुमकिन नहीं। एक सामान्य सी लड़की ने ये साबित कर दिखाया कि ग्लैमर कि दुनिया पर सिर्फ़ महानगरों कि मानुनी का ही हक नहीं, छोटे गाँव की लड़की भी अगर ठान ले तो फ़तेह पा सकती है।

जी हाँ हम बात कर रहे है फ़ेमिना मिस इंडिया कंपिटिशन की रनर अप बनी मान्या सिंह की।

साधारण परिवार में पैदा हुई ऑटोरिक्शा चालक की बेटी मान्या ने मिस इंडिया रनर अप बनकर इतिहास रच दिया है। उसकी इस कामयाबी पर उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में खुशी का माहौल है।

मान्या ने जब पहली बार अपने पैरंट्स से कहा था कि वह मिस इंडिया बनना चाहती हैं तो उनकी मां ने उनसे कहा था कि कभी औकात से बढ़कर सपने नहीं देखने चाहिए। लेकिन मान्या ने उन्हें भरोसा करने को कहा था। मान्या कहती हैं कि जितने बड़े सपने उतनी मुश्किलें आएंगी, लेकिन अपने सपनों पर भरोसा जरूर बनाए रखना चाहिए।

मान्या की मां मुंबई के एक सलून में हेयर ड्रेसर हैं।
मान्या कहती है कि ‘मैंने भोजन और नींद के बिना कई रातें बिताई हैं” मैं कई दोपहर मीलों पैदल चली। मेरा खून, पसीना और आंसू मेरी आत्मा के लिए खाना बने और मैंने सपने देखने की हिम्मत जुटाई। रिक्शा चालक की बेटी होने के नाते, मुझे कभी स्कूल जाने का अवसर नहीं मिला क्योंकि मुझे अपनी किशोरावस्था में काम करना शुरू करना था।

मान्या कहती है कि मैं 14 साल की उम्र में घर से भाग गई थी। मैंने किसी तरह से अपनी पढ़ाई पूरी की, में दिन में डिशवॉशर की जॉब करती थी और रात में कॉल सेंटर में काम किया करती थी।

मैं किसी जगह पर पहुंचने के लिए मीलों पैदल चलती थी ताकि रिक्शे का किराया बचा सकूं. मुझे डिग्री हासिल करवाने के लिए मेरी मां ने अपने गहनों को गिरवी रख दिया ताकि मैं अपनी फीस भर सकूं. उन्होंने कहा मेरी मां ने मेरे लिए बहुत कुछ झेला है। 

मान्या के मुताबिक, ग्लैमर की दुनिया में उनकी प्रेरणा प्रियंका चोपड़ा हैं। मान्या ने कहा कि उन्होंने अपनी मां से कभी हार नहीं मानने और कड़ी मेहनत करने के गुण सीखे हैं।

मान्या के पिता जी ओपी सिंह जी मुंबई में 25 साल से ऑटोरिक्शा चलाते हैं। 10 वीं के बाद आगे की पढ़ाई मान्या ने मुंबई से ही की। ठाकुर कॉलेज ऑफ साइंस से बैंकिंग ऐंड इंश्योरेंस से ग्रैजुएशन किया है।

ओपी सिंह बताते हैं, ‘मान्या की तमन्ना आगे एमबीए करने की थी लेकिन कॉलेज की फीस 12 लाख रुपये थी और हम इतने रुपये देने में सक्षम नहीं थे। उम्मीद है कि अब उसे आगे अपनी इच्छाएं पूरी करने का मौका मिलेगा।

रनर्स अप का ख़िताब जितने पर मान्या ने कहा आज मैं वीएलसीसी फेमिना मिस इंडिया 2020 के मंच पर सिर्फ़ और सिर्फ़ अपने माता-पिता और भाई की वजह से हूँ। इन लोगों ने मुझे सिखाया कि आपको अगर खुद पर विश्वास है तो आपके सपने अचूक पूरे हो सकते हैं।

‘हमारे जैसे लोग सपने भी नहीं देखते हैं ‘
देवरिया जिले की रहने वालीं मान्या सिंह फेमिना मिस इंडिया 2020 की रनरअप चुनी गई हैं। मिस इंडिया मंच तक पहुंचने के बाद मान्या सिंह याद करती हैं कि कैसे जब उन्होंने ‘ब्यूटी पेजेंट’ को चुनने की बात कही थी तो उनके घर वालों ने कहा था, ‘हमारे जैसे लोग सपने भी नहीं देखते हैं और तुम मिस इंडिया के बारे में सोच रही हो?’

मान्या कहती हैं कि वह उन लड़कियों की ताकत बनना चाहती हैं जो छोटे शहरों या कस्बों से हैं, और कुछ बड़ा करने के सपने देखती हैं।

वाकई मान्या की कहानी बताती है कि कुछ करने की ठान लो तो ऑटोरिक्शा ड्राइवर की बेटी भी ब्यूटी क्वीन बन सकती है। मान्या की कामयाबी समाज से मिडिल क्लास- अपर क्लास के बीच की दूरी मिटाने की सबसे बड़ी मिसाल है।

 

___भावना ठाकर, बेंगुलूरु)#भावु

Sach ki Dastak

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