क्यूँ पुरूष आयोग नहीं होते? – ब्लॉगर आकांक्षा सक्सेना

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पुरूषत्व काशी का वह घाट है जिसे स्पर्श करने के गंगा होना पड़ता है….! 
किसने कहा लड़के बुरे होते हैं….
लड़की को देखकर पहले वो भी शर्माते हैं
हो खोने का डर तो वो भी अक्स बहाते हैं
वो भी दोस्ती और प्रेम में निस्वार्थ होते हैं 
हर लड़का गलत हो नहीं सकता
और हर लड़की शरीफ हो नहीं सकती
लग जायेगा बुरा कुछ लोगों को पढ़कर
लड़कों के भी दिल होते पत्थर नहीं  
हमेशा क्यों लड़कों को दोष देती है दुनिया 
प्यार की शहनाई गरीब के घर बजते न देखी
कभी गरीब बेरोजगार को संवारते न देखा 
प्यार गरीब से शादी अमीर से करते देखा 
प्यार खुद करें, शादी पर परिवार को खींचती हैं
हमेशा लड़कियां लड़कों को बेवफा बोलती हैं
दो आंसू गिराकर लड़कों को तोड़ो 
दो मीठी बातों से नाता जोड़ो 
पूरा करियर बर्बाद कर देतीं हैं लड़कियां 
हमेशा खुद की गल्ती पर पर्दा डालना
हमेशा लड़की होने का फायदा उठाना
हर लड़के को एक सा समझतीं हैं लड़कियां 
इसलिए अक्सर धोखा खातीं है लड़कियां 
महिला आयोग क्यूं पुरूष आयोग नहीं होते
जो मां-बाप की बुराई करे वो तेरा प्यार नहीं 
जो हमेशा तन को निहारे वो भी प्यार नहीं 
जो तुम्हारे बैंक डिटेल पूछे वो भी प्यार नहीं 
जो तुम्हारी बुराई पीछे करे वो भी प्यार नहीं 
जो तुम्हारे धर्म को गाली दे वो भी प्यार नहीं 
जो तुमको रिमोट कंट्रोल करे वो भी प्यार नहीं 
जो तुमको भद्दी गाली दे वो भी तेरा प्यार नहीं 
जो गरीब का मजाक बनाये वो भी प्यार नहीं 
जो तेरे सपनों से तुझे ही डराये वो भी प्यार नहीं 
जो लोगों को लूट कर कमाये वो भी प्यार नहीं 
जो हर बात में झूठ ही बोले वो भी सच्चा प्यार नहीं 
आजकल शादीशुदा रईसों से प्रेम करतीं लड़कियां 
आजकल शादीशुदा महिलाओं से प्रेम करते लड़के
सच कहूं तो यह सिर्फ़ लालच है, कहीं प्यार नहीं 
जो लोगों की गृहस्थी उजाड़े वो तो ‘इंसान’ ही नहीं 
__ब्लॉगर आकांक्षा सक्सेना 
 2:34pm Tue, 05/01/2021

Sach ki Dastak

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