फुटबॉल के लिए तुलसी माला नहीं तोडूंगा, धर्म का पालन करूंगा


यही है अपनी संस्कृति, अपनी सभ्यता, अपने संस्कार तथा अपने धर्म के प्रति समर्पण .. जिसके कारण विधर्मियों के तमाम अत्याचारों, आक्रमणों के बाद भी सनातन बचा हुआ है. तमाम मजहबी आक्रांताओं ने सनातन को झुकाने की, सनातन के खात्मे के प्रयास किए.. इसमें वो कुछ हद तक सफल भी हुए लेकिन इसके बाद हाथ में केसरिया थामे, माथे पर तिलक लगाए तथा हाथ में कलावा बांधे कोई न कोई सनातनी उनके सामने चट्टान की तरह अड़ गया तथा सनातन को बचाए रखा, अपने धर्म को बचाए रखा.
ऑस्ट्रेलिया में रहने वाले शुभ की उम्र मात्र 12 साल है लेकिन अपने धर्म के लिए, सनातन के लिए उसका जो समपर्ण है, उसकी जो निष्ठा है, वो नमन करने योग्य है, वंदनीय है. मामला ऑस्ट्रेलिया के ब्रिस्बेन का है भारतीय मूल के 12 वर्षीय हिंदू फुटबॉल खिलाड़ी शुभ पटेल को तुलसी की माला (कंठी माला) पहनने की वजह से खिलाने से मना कर मैदान से बाहर निकाल दिया गया. रिपोर्ट के मुताबिक, शुभ को रेफरी ने माला उतारने के लिए किया लेकिन शुभ ने इनकार कर दिया, यह माला शुभ ने 5 साल की उम्र से पहनी हुई है.
शुभ ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि मैं हिंदू हूं तथा महज एक फुटबॉल मैच के लिए मैं इसे तोड़ने की जगह अपने धर्म का पालन करना पसंद करूँगा. ब्रिसबेन की टूवॉन्ग क्लब के खिलाड़ी शुभ ने बताया कि माला उतारना हिंदू धर्म के विरुद्ध है. भगवान स्वामीनारायण के भक्त शुभ ने आगे कहा कि यदि मैं इसे उतार देता, तो उस वक़्त भगवान को लगता कि मुझे उन पर भरोसा नहीं है।’ शुभ ने जोर देते हुए कहा कि माला उसे आत्मविश्वास देती और उसे सुरक्षित महसूस कराती है. इसके बाद शुभ दूर बैठकर पूरे गर्व से अपनी टीम को खेलते हुए देखने लगा.
शुभ के मुताबिक़, यह पहली बार था, जब मुझे अपनी माला उतारने के लिए कहा गया. जानकारी के मुताबी, उन्होंने 15 मैच माला पहनकर ही खेले हैं और एक बार भी उन्हें अपने कोच या टीम के साथी द्वारा उन्हें माला उतारने को नहीं कहा गया था. इस बार शुभ से ऐसा करने के लिए कहा गया लेकिन शुभ से इससे साफ़ इंकार कर दिया. इसके बाद फुटबॉल क्वींसलैंड ने एक जाँच शुरू की है और इस घटना के बाद शुभ पटेल के परिवार और टूवॉन्ग सॉकर क्लब से माफी भी माँगी है. फुटबॉल क्वींसलैंड ने एक बयान में कहा कि क्वींसलैंड में फुटबॉल सबसे स्वागत योग्य और समावेशी खेल है, जो सभी संस्कृतियों और धर्मों का सम्मान करता है.
नियम क्या हैं?
कथित तौर पर, फेडरेशन इंटरनेशनेल डी फुटबॉल एसोसिएशन (फीफा) के नियमों के अनुसार, एक खिलाड़ी को खेलते समय कोई उपकरण या खतरनाक चीज नहीं पहननी चाहिए। 2014 से पहले, फीफा ने भी हिजाब पर प्रतिबंध लगाते हुए कहा था कि इससे खिलाड़ी के सिर या गर्दन में चोट लग सकती है।