समस्त भारतीय नागरिकों के द्वारा ब्रिटिश मताधिकार का बहिष्कार जरूरी –

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भारतवर्ष के इस देश के सभी गाँवों के सभी मूलवासी व इस राष्ट्र के सभी नगरों के सभी मूलनिवासी समस्त अन्याय व बेरोजगारी पीड़ित भारतीय नागरिकों को तथा खासतौर से समस्त भारतीय अनुसूचित नागरिकों को व उनकी न्यायपालिका को जिन्हें भारतीय संविधान के रचयिता डा. श्री भीमराव अम्बेडकर द्वारा व उनके भारतीय संविधान के द्वारा प्रदत्त उनकी अपनी अस्थायी भारतीय स्वयंसहायता, यानि उनका अपना अस्थायी भारतीय मानव स्वयं कर्तव्य, यानि उनका अपना अस्थायी भारतीय स्वयंउत्तराधिकार, यानि उनका अपना अस्थायी भारतीय स्वयंआरक्षण वास्ते व्यवस्था परिवर्तन हेतु प्रदत्त किया गया हैं न कि हैवानियत को जन्म देने वाली राजनीति करने हेतु, न कि शासन सत्ता परिवर्तन करने हेतु, न कि शासन करने हेतु, न कि विदेशी षड़यंत्री ब्रिटिश मताधिकार हेतु, स्वीकार कर सभी प्रकार के मतदान करने हेतु प्रदत्त किया गया है|

इस तथ्य को ध्यान में रख समस्त अन्याय व बेरोजगारी पीड़ित भारतीय नागरिकों को व ख़ासतौर से समस्त भारतीय अनुसूचित नागरिकों को व उनकी न्यायपालिका को भारतवर्ष विगत ईशा. लगभग 5000 वर्ष पूर्व से जब से भारतवर्ष के कैलेण्डर में मंगलवार से पूर्व सोमवार दर्ज किया गया है व सूर्यवार के बाद दर्ज चंद्रवार उन्मूलित किया गया है तब से अब तक भारतवर्ष में स्थापित व संचालित ब्रिटिश मताधिकार की हिंसक दुष्कर्मी भगोड़ा घुसपैठिया आक्रमणकारियों जिन्हें स्वयं ही अपने ब्रिटिश नागरिकता का प्रमाणपत्र व पहिचानपत्र प्राप्त नहीं उनके व अन्य विदेशी शासकों के व स्वदेशी शासकों के पूर्व नियोजित धोखाधड़ी के अपराधिक षड़यंत्री सबका विभाजन व सबका विनाश की बदनियती व बदनीति की अत्यंत दुखदायी व विश्वाशी अलोकतांत्रिक राज्य दुर्व्यवस्था संचालन की विधायिका की संसदीय अधर्मी कार्यप्रणाली का व उनके ब्रिटिश मताधिकार का व उनके सभी प्रकार के मतदानों का वहिष्कार एवं उन्मूलन कर भारतवर्ष में, भारतवर्ष की पूर्वनिर्धारित व पूर्वप्रचलित भारतीय उत्तराधिकार की सबका साथ व सबका विकास की नेकनियति व नेकनीति की अत्यंत सुखदायी व विश्वासी लोकतांत्रिक राज्य सुव्यवस्था संचलन की विद्वान भारतीय उपन्यायपालिका की उपसंघात्मक भारतीय मानव देशकर्म व विवेकवान राष्ट्रीय न्यायपालिका की संघात्मक राष्ट्रीय नागरिक राष्ट्रधर्म की स्वचालित ईश्वरीय कार्यप्रणाली पुन: स्थापित व संचालित कर देनी चाहिये|

जिससे कि समस्त भारतीय नागरिकों को “ भारतीय नागरिकता का प्रमाणपत्र व पहिचानपत्र” प्राप्त हो सके, जिसके प्रयोग के द्वारा  समस्त अन्याय व बेरोजगारी पीड़ित भारतीय नागरिकों को तत्काल निष्पक्ष स्वच्छ सम्पूर्ण नि:शुल्क न्याय एवं नौकरी व रोजगार प्राप्त हो सके और उनका जीवन सत्यापित व प्रमाणित एवं स्वाधीन व अनुशासित अत्यंत सुखदायी एवं विश्वासी व्यतीत हो सके |

जिससे कि “भारतीय नागरिकता का प्रमाणपत्र व पहिचानपत्र” के बिना कोई भी भारतीय नागरिक भारतवर्ष के इस देख के किसी भी गाँव में मूलवास एवं इस राष्ट्र के किसी भी नगर में मूननिवास न कर सके और न ही किसी भी विदेशी को उसके स्वदेशी नागरिकता के प्रमाणपत्र व पहिचानपत्र के बिना भारतवर्ष के  इस देश के किसी भी गाँव में वास एवं इस राष्ट्र के किसी भी नगर में निवास न करने दे सके और न ही किसी भी विदेशी को भारतवर्ष पर शासन करने दे सके |

जिससे कि यह देश पुन: सत्यापित व प्रमाणित एवं स्वाधीन व अनुशासित विश्व विजयी सैन्य शक्तिशाली अखण्ड भारतवर्ष विश्वगुरु हो सके जो यह उपदेशित कर सके कि मारने वाले से बचाने वाला उनका स्वदेशी नागरिकता का प्रमाणपत्र व पहिचानपत्र व उनका विश्वविजयी सैन्य शक्तिशाली विश्वगुरु अखण्ड भारतवर्ष बड़ा है |

Sach ki Dastak

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