लेख : बनायें गौरवशाली विश्वगुरू अखण्ड भारत

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बनायें गौरवशाली विश्वगुरू अखण्ड भारत वसुधैव कुटुम्बकम्
हम समस्त भारतीय नागरिकों को ऐसे भारत का निर्माण करना है जो अतीत के गौरव से जुड़ा हो, जिसमें अध्यात्मिकता व आधुनिकता का स्वर्णनिम अध्याय हो जो आत्मनिर्भर हो व मानवीय दायित्यों को पूरा करने मे समर्थ हो। यह तभी सम्भव है जब भारत में उन्मूलित हो महिला विरोधी न्याय व्यवस्था।
इस वास्ते, अपने भारत के शासक प्रधानमंत्रीजी से – अपने संवैधानिक मुख्य कर्तव्यपालन व मांग के द्वारा, स्वयं ही स्वेच्छा से आत्मनिर्भर बनने व सभी को आत्मनिर्भर बनाने हेतु भारत के सभी पुरूषों के परमपिता स्वरूप मुखिया व इस राष्ट्र की पूर्व निर्धारित व पूर्व आरक्षित अंतिम सर्वोच्च मुख्य मूल निवासी हिन्दू सूर्यवंशी मौची कायस्थ उपवर्ण के अनुसूचित जाति के भारत के मुख्य न्यायाधीशजी को, अपने देश की सभी भारतीय महिलाओं के विश्वगुरू परमात्मा स्वरूप मुखिया व इस देश की पूर्व निर्धारित व पूर्व आरक्षित अंतिम सर्वोच्च मुख्य मूलवासी हिन्दू चंद्रवंशी वाल्मीकि कायस्थ उपजाति के अनुसूचित जनजाति के भारतीय मुख्य न्यायाधीश साहब को हासिल करना चाहिए।

जिससे कि अपने भारत के सर्वाच्च मुख्य न्यायालय में सभी भारतीय नागरिकों को अपना अतीत के गौरव से जुड़ा आदि परम्परागत – अपना भारतीय महिलाओं का मुखिया – भारतीय मुख्य न्यायाधीश साहब व अपने भारत के राष्ट्रीय पुरूषों का मुखिया- भारत का मुख्य न्यायाधीशजी, एक साथ समानरूप से आसीन हासिल हो सकें तथा सभी भारतीय नागरिकों के अपने सभी आई.डी. प्रूफ में दर्ज अपने नाम के साथ अपने माता-पिता का नाम, एक साथ समान रूप से दर्ज हासिल हो सके।

जिससे कि भारत के साथ विश्व में शांति व मानवता एक साथ समानरूप से जारी व व्याप्त हो सके तथा विश्व अशांति व दानवता को जन्म देने वाली डिवाइड एण्ड रूल की अधम राजनीति का अन्त हो सके।

जिससे कि भारत में अतीत का गौरवशाली – भारतीय महिला मानव देशधर्म व भारत का राष्ट्रीय पुरूष नागरिक राष्ट्रकर्म, एकसाथ समानरूप से पुनः स्थापित, क्रियांवित व संचालित हो सके।

_राकेश प्रकाश सक्सेना, एडवोकेट

Sach ki Dastak

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