आजाद हिंद सरकार की 75वीं वर्षगांठ पर मोदी ने लाल किले पर फहराया तिरंगा –
प्रधानमंत्री ने कहा- एक परिवार को बड़ा बनाने के लिए नेताजी का योगदान भुलाया गया।
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21 अक्टूबर 1943 को सुभाष चंद्र बोस ने सिंगापुर में बनाई थी आजाद हिंद सरकार
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प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय पुलिस स्मारक देश को समर्पित किया, पुलिस के योगदान को सराहते हुए रो पड़े।
1943 में नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने सिंगापुर में प्रातीय आजाद हिंद सरकार की स्थापना की थी. उस समय 11 देशों की सरकारों ने आजाद हिंद सरकार को मान्यता दी थी।
उस सरकार ने कई देशों में अपने दूतावास भी खोले थे। इसके अलावा आजाद हिंद फौज ने बर्मा की सीमा पर अंग्रेजों के खिलाफ जोरदार लड़ाई लड़ी थी।
सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व में आजाद हिंद सरकार का गठन 21 अक्टूबर 1943 को किया गया था. आजाद हिंद सरकार ने देश से बाहर अंग्रेज हुकूमत के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी और आजादी की लड़ाई में एक तरह से परोक्ष रूप से अहम भूमिका निंभाई थी. इसका नेतृत्व सुभाष चंद्र बोस कर रहे थे।
जर्मनी से एक ‘यू बॉट’ से दक्षिण एशिया आए, फिर वहां से जापान गये। जापान से वें सिंगापुर आये जहां आजा़द हिन्द की आस्थाई सरकार की नींव रखी गयी।
इस कार्यक्रम के मद्देनजर लाल किला के आसपास सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये गए. आज सुबह 9 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लाल किले की प्राचीर से ध्वजारोहण किया. आजाद हिंद सरकार के गठन की 75वीं वर्षगांठ के मौके पर आयोजित इस कार्यक्रम में केंद्रीय संस्कृति मंत्री महेश शर्मा भी मौजूद थे.. साथ ही साथ बताया जा रहा है कि नेताजी सुभाष चंद्रबोस के परिवार के लोग भी इसमें शामिल हुए।
लाल किले से पीएम मोदी ने कहा कि नेताजी का एक ही उद्देश्य था, एक ही मिशन था भारत की आजादी., मां भारती को गुलामी की जंजीर से आजाद कराना. यही उनकी विचारधारा थी और यही उनका कर्मक्षेत्र था. पीएम मोदी ने कहा कि भारत अनेक कदम आगे बढ़ा है, लेकिन अभी नई ऊंचाइयों पर पहुंचना बाकी है।
इसी लक्ष्य को पाने के लिए आज भारत के 130 करोड़ लोग नए भारत के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहे हैं. एक ऐसा नया भारत, जिसकी कल्पना सुभाष बाबू ने भी की थी।
पीएम मोदी ने कहा कि ये भी दुखद है कि एक परिवार को बड़ा बताने के लिए, देश के अनेक सपूतों, वो चाहें सरदार पटेल हों, बाबा साहेब आंबेडकर हों, उन्हीं की तरह ही, नेताजी के योगदान को भी भुलाने का प्रयास किया गया. देश का संतुलित विकास, समाज के प्रत्येक स्तर पर, प्रत्येक व्यक्ति को राष्ट्र निर्माण का अवसर, राष्ट्र की प्रगति में उसकी भूमिका, नेताजी के वृहद विजन का हिस्सा थी.
लाल किले से पीएम मोदी ने कहा कि नेताजी का एक ही उद्देश्य था, एक ही मिशन था भारत की आजादी., मां भारती को गुलामी की जंजीर से आजाद कराना।
यही उनकी विचारधारा थी और यही उनका कर्मक्षेत्र थाा।पीएम मोदी ने कहा कि भारत अनेक कदम आगे बढ़ा है, लेकिन अभी नई ऊंचाइयों पर पहुंचना बाकी है. इसी लक्ष्य को पाने के लिए आज भारत के 130 करोड़ लोग नए भारत के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहे हैं. एक ऐसा नया भारत, जिसकी कल्पना सुभाष बाबू ने भी की थी।
पीएम मोदी रविवार को सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व वाली आजाद हिंद सरकार की 75वीं जयंती के मौके पर 21 अक्टूबर को लाल किले में आयोजित होने वाले झंडारोहण समारोह में शामिल हुए और पीएम मोदी ने इस दौरान लाल किले की प्राचीर से तिरंगा झंडा फहराया।
बता दें कि अब तक देश के प्रधानमंत्री सिर्फ 15 अगस्त को ही लाल किले पर झंडारोहण करते हैं. मगर अब 21 अक्टूबर को भी लाल किले पर झंडारोहण करने करने के साथ नरेंद्र मोदी पहले प्रधानमंत्री बन गये।
बता दें कि इससे पहले भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ एक वीडियो संवाद के दौरान पीएम मोदी ने उन शख्सियतों के योगदान का जश्न मनाने के लिए अपनी सरकार द्वारा किए जा रहे कामों पर विस्तार से चर्चा की, जिन्हें उनके मुताबिक कांग्रेस ने अपने कई दशकों के कार्यकाल के दौरान अनदेखा किया।
पीएम मोदी ने कहा कि ये भी दुखद है कि एक परिवार को बड़ा बताने के लिए, देश के अनेक सपूतों, वो चाहें सरदार पटेल हों, बाबा साहेब आंबेडकर हों, उन्हीं की तरह ही, नेताजी के योगदान को भी भुलाने का प्रयास किया गया. देश का संतुलित विकास, समाज के प्रत्येक स्तर पर, प्रत्येक व्यक्ति को राष्ट्र निर्माण का अवसर, राष्ट्र की प्रगति में उसकी भूमिका, नेताजी के वृहद विजन का हिस्सा थी।
कार्यक्रम के मुताबिक, पीएम मोदी राष्ट्रीय पुलिस स्मारक का भी उद्घाटन करेंगे। हालांकि, यह झंडारोहन कार्यक्रम से पहले आठ बजे हुआ। इससे पहले इसी बुधवार को पीएम मोदी ने कहा था कि वह सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व वाली ‘आजाद हिंद सरकार’ की 75वीं जयंती के मौके पर 21 अक्टूबर को लाल किले में आयोजित होने वाले झंडारोहण समारोह में शामिल होंगे।
उन्होंने बीजेपी के कार्यकर्ताओं के साथ एक वीडियो संवाद के दौरान यह ऐलान किया । प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कैम्ब्रिज के अपने दिनों को याद करते हुए सुभाष बाबू ने लिखा था कि
– “हम भारतीयों को ये सिखाया जाता है कि यूरोप, ग्रेट ब्रिटेन का ही बड़ा स्वरूप है। इसलिए हमारी आदत यूरोप को इंग्लैंड के चश्मे से देखने की हो गई है।पीएम मोदी ने आगे कहा कि आज मैं निश्चित तौर पर कह सकता हूं कि स्वतंत्र भारत के बाद के दशकों में अगर देश को सुभाष बाबू, सरदार पटेल जैसे व्यक्तित्वों का मार्गदर्शन मिला होता, भारत को देखने के लिए वो विदेशी चश्मा नहीं होता, तो स्थितियां बहुत भिन्न होती। ”, – पीएम मोदी