सुन रे सखी… हम सब हिंदुस्तानी …. 

0
हम न हिंदू हैं मित्रों, हम ना मुसलमान हैं
हम ना सिख हैं मित्रों, हम ना ईसाई हैं
देखो! हमको, देखो! खुद को, 
देखो! चारो ओर सखी
हम मानव है हम मानव है, 
मानवता अपना ईमान सखी
हम सब जो भी हों पर
सबसे पहले हिन्दुस्तानी हैं सखी
देखो! अपने दिल में छांको, 
देखो! अपना हाल सखी
इस ऊँच-नीच, राजनीति के कारण, 
बँट गये हम सब इंसान सखी
लूटा है झूठे वादे करके,
लूटा है सबको, कुछ धूर्तों ने सखी
विध्वंस किया है परिवारों को,
बर्बाद किया पूरा देश सखी
दिलों को भी खरीदा इन जालिमों ने
तगड़ी वसूली कर ली है
सेना – देशभक्तों का अपमान करने का 
मलाल नहीं है इनको सखी
सोचो! हम हैं कौन सखी और
हम कहाँ से आये हैं? 
एक है मालिक, एक है धड़कन 
रक्त का रंग भी लाल सखी
बस अपनी पूजा करवाने का 
शौक पुराना इनका सखी
अब तो जागो, अब तो सुनो! 
अंतरात्मा की पुकार सखी
तेरा – मेरा, मेरा – तेरा 
बस छोड़ो, अब बहुत हुआ 
आओ! सब लोग साथ में बोलो
मानवता धर्म है अपना सखी
बोलो! सखी बोलो! मित्रों 
आकांक्षा ने शायद कुछ गलत कहा… 
वही कहा है, वही कहा है, 
जो हम सबने महसूस किया 
किसी की बुराई की हो जो हमने 
तो हम माफी चाहते हैं.. 
नहीं चाहते हैं तो बस इतना कि 
अब ‘ना’ टुकड़ों में बँटना चाहते हैं। 
………
-ब्लॉगर आकांक्षा सक्सेना 
न्यूज ऐडीटर सच की दस्तक 

Sach ki Dastak

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments
0
Would love your thoughts, please comment.x
()
x