घमण्डीलाल अग्रवाल और चक्रधर शुक्ल को मिला प्रभा स्मृति सम्मान – 

0

शाहजहांपुर

गांधी पुस्तकालय द्वारा आयोजित प्रभा स्मृति बाल साहित्य सम्मान समारोह में देश के नामचीन बाल साहित्य लेखक एकत्र हुए। गुड़गांव, हरियाणा के सुप्रसिद्ध बाल साहित्यकार श्री घमंडीलाल अग्रवाल और कानपुर के चक्रधर शुक्ल को सातवां और आठवाँ प्रभा स्मृति बाल साहित्य सम्मान प्रदान किया गया।

समारोह अध्यक्ष कार्यवाहक जिलाधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी महेंद्र सिंह तंवर ने सम्मान स्वरूप दोनों रचनाकार को प्रशस्ति पत्र, प्रतीक चिन्ह, अंग वस्त्र, श्रीफल और तीन हजार एक सौ रूपये की राशि भेंट की। उन्होंने कहा कि बाल साहित्य के अभाव में उन्नत राष्ट्र की कल्पना नहीं की जा सकती। बाल साहित्य हमारी सभ्यता और संस्कृति का संरक्षक है।

बालकविता गोष्ठी का भी आयोजन किया गया जिसमे झांसी के राजा भइया गुप्ता, राजाभ, लखीमपुर खीरी के रामकुमार गुप्त, लखनऊ के गौरी शंकर वैश्य विनम्र और बृजेश मिश्र, राघव शुक्ल, दिनेश रस्तोगी, डॉ. नागेश पांडेय, डॉ. अरशद खान के अतिरिक्त अनन्या गुप्त, सृष्टि पांडेय, निवेदिता, शगुन, मोहिनी,शिल्पी, सरिता देवी, मुस्कान, दिव्यांशी, आरुष, मुस्कान, प्रतीक, गोविंद, दक्षिता, काव्या, उत्कर्ष, अभियुग, ओजस्वी, अर्णव, पहल गुप्ता आदि बच्चों ने कविताएँ सुनाईं। सभी बच्चों को प्रशस्ति पत्र और चाकलेट, पेंसिल, बाल साहित्य भेंट कर पुरस्कृत किया गया।

वक्ताओं ने बाल साहित्य के अधिकाधिक प्रसार की आवश्यकता व्यक्त की। मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति वी सी गुप्त ने कहा कि बच्चों के हाथों में बाल साहित्य की पुस्तक देने का अर्थ उनके सपनों को पंख देना है। साहित्य बच्चों को सोच और संस्कार देता है। सौ से अधिक पुस्तकों के लेखक घमंडी लाल अग्रवाल ने कहा कि बच्चों का सहित्य युगीन परिवेश से युक्त होना चाहिए।

कानपुर से पधारे कवि चक्रधर शुक्ल ने कहा कि जन्मदिन पर बच्चों को बाल साहित्य भेंट करने की परंपरा विकसित होनी चाहिए। इंडिया लिटरेसी बोर्ड की मासिक पत्रिका उजाला के सम्पादक लायक राम मानव ने बाल साहित्य के प्रति अभिभावको की जागरूकता को अनिवार्य बताया।

इस अवसर पर डॉ नागेश पांडेय संजय के सम्पादन में प्रकाशित बाल पत्रिका ‘बाल प्रभा’ के नए अंक का लोकार्पण भी किया गया। डॉ नागेश ने कहा कि बच्चों को उत्तम साहित्य उपलब्ध कराना समाज का नैतिक दायित्व है। उन्होंने कहा कि बाल साहित्य बच्चों को उत्तम संस्कार देने वाला होना चाहिए।

डॉ हरिओम त्रिपाठी ने कहा कि बाल साहित्य का महत्व हर युग हर काल मे रहा है। आज का साहित्य बच्चों की नई सोच को ध्यान में रखकर लिखा जाना चाहिए।
विजय ठाकुर और रामकुमार गुप्त की पुस्तकों का लोकार्पण भी हुआ।

समारोह में डॉ आफ़ताब अख्तर, अभिषेक औदीच्य, डॉ इरफान ह्यूमन, अखिलेश साहनी, ओमकार मनीषी, ओम प्रकाश अडिग, आशा गुप्ता, कमलशील शुक्ल,विवेकराज, डॉ. साजिद खान, राहुल अवस्थी, अनूप गुप्त, आशीष भारद्वाज, उमेश सिंह, राजीव गुप्त, भावशील शुक्ल की उल्लेखनीय उपस्थिति थी।

समारोह संयोजक अजय गुप्त ने आभार ज्ञापन, शिवाजी गुप्त ने धन्यवाद ज्ञापन और कुशल संचालन ललित हरि मिश्र ने किया।

Sach ki Dastak

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments
0
Would love your thoughts, please comment.x
()
x