पिता को हुआ लकवा तो बेटियों ने सम्भाली उस्तरा और कैंची, लड़कों की तरह बदला अपना हुलिया –
आपने ब्यूटी पार्लर में लड़कियों को काम करते हुए देखा होगा लेकिन क्या आपने कभी अपने गांव या गली-मोहल्ले में मौजूद किसी हेयर ड्रेसर की दुकान में लड़कियों को उस्तरा चलाते हुए यानी मर्दों के दाढ़ी-बाल बनाते हुए देखा है? आपका जवाब होगा नहीं।
लेकिन उत्तर प्रदेश के यूपी के कुशीनगर के पडरौना क्षेत्र स्थित बनवारी टोला की रहने वाली ज्योति और नेहा कुमारी घर चलाने के लिए गांव में मर्दों की दाढ़ी-बाल अपनी आजीविका कमाती है। जिसके वजह से उनकी काम के प्रति निष्ठा और लगन को देखते हुए भारत सरकार ने उनके इस जज्बे को सम्मानित भी किया है। पिता को हो गया था लकवा कसया तहसील के बनवारी टोला गांव निवासी ध्रुव नारायण की बेटी ज्योति और नेहा गांव में गुमटी लगाकर दाढ़ी-बाल बनाने का काम करती हैं।
ध्रुव नारायण की छह बेटियां हैं। पहले वे खुद गांव में ही छोटी से दुकान में नाई का काम करते थे। इसी पेशा के बदौलत उन्होंने चार बेटियों के हाथ पीले कर दिए। सबकुछ ठीक चल रहा था। अब दो छोटी बेटी ज्योति और नेहा की जिम्मेदारी ही सिर पर थी। इसी दौरान ध्रुव नारायण लकवा ग्रसित हो गए। उनके हाथ-पैर काम करने बंद कर दिए। ऐसे में दुकान बंद हो गई। घर का चूल्हा जलना भी दूभर हो गया।
सम्भाली घर की जिम्मेदार पिता को लकवा होने के बाद इन दोनों बेटियों ने पूरे परिवार की जिम्मेदारी अपने कंधों पर उठा ली है। बेटियों ने बिना संकोच किए पहले अपने पिता का काम सीखा और फिर खुद नाई बन गईं। अब दोनों लड़कों की तरह सैलून चला रही हैं। पहले जब लड़कियां देखकर कोई भी इनसे बाल कटवाने या दाढ़ी बनवाने से कतराते थे। तब परिवार चलाने के लिए इन दोनों बहनों ने अपना हुलिया तक बदल लिया है। यहां तक कि दोनों ने नाम भी बदलकर लड़कों वाले नाम रख लिए है। ज्योति ने अपना नाम दीपक उर्फ राजू रख लिया है।
बना दिया सैलून पिता को लकवा मारने के बाद घर का गुजारा चलाने के लिए ज्योति ने पिता की बंद पड़ी दुकान को खोला और वहां हेरकटिंग करनी शुरू कर दी। काफी तकलीफों और लोगों के ताने सुनने के बाद नेहा और ज्योति ये काम करती चली आई। आज ज्योति 18 साल और नेहा 16 साल की हो गई हैं। इंटर पास ज्योति ने पांच साल में पिता की गुमटीनुमा दुकान को सैलून की शक्ल दे दी, वहीं, छोटी बहन नेहा भी बहन का साथ देने लगी।
400 रुपए तक कमा लेती है? ज्योति और नेहा बतातीं हैं कि दुकान से रोजाना 400 तक कमा लेती हैं। आजकल पिता भी साथ आते हैं। दुकान के बाहर बैठे रहते हैं। लेकिन हम यह काम जारी रखना नहीं चाहतीं। इसकी जगह ब्यूटीपार्लर खोलने की कोशिश में हैं। क्योंकि उनके इस काम को लोग अच्छी नजरों से नहीं देखते हैं।