हिन्दी : भारतीयता की पहचान
भाषा के रूप में हिन्दी न सिर्फ भारत की पहचान है बल्कि यह हमारे जीवन मूल्यों, संस्कृति एवं संस्कारों की सच्ची संवाहक, संप्रेषक और परिचायक भी है।बहुत सरल, सहज और सुगम भाषा है। सभी भारतीय भाषाओं की बड़ी बहन होने के नाते हिंदी विभिन्न भाषाओं के उपयोगी और प्रचलित शब्दों को अपने में समाहित करके सही मायनों में भारत की संपर्क भाषा होने की भूमिका निभा रही है। हिंदी जन-आंदोलनों की भी भाषा रही है। भारत विभिन्न्ताओं वाला देश है. यहां हर राज्य की अपनी अलग सांस्कृतिक, राजनीतिक और ऐतिहासिक पहचान है.यही नहीं सभी जगह की बोली भी अलग है. इसके बावजूद हिन्दी भारत में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है. यही वजह है कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने हिन्दी को जनमानस की भाषा कहा था।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने 1917 में गुजरात के भरूच में सर्वप्रथम हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में मान्यता दी थी। आजादी के बाद भी इस दिशा में कदम बढ़ाए गए और 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा में एकमत से हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिए जाने का निर्णय लिया गया। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343 (1) में हिंदी को देवनागरी लिपि में राजभाषा का दर्जा दिया गया है। 14 सितंबर 1953 को पहली बार ‘हिंदी दिवस’ के रूप में मनाया गया था।
वैश्वीकरण के दौर में, हिंदी विश्व स्तर पर एक प्रभावशाली भाषा बनकर उभरी है। आज पूरी दुनिया में 175 से अधिक विश्वविद्यालयों में हिन्दी भाषा पढ़ाई जा रही है। ज्ञान-विज्ञान की पुस्तकें बड़े पैमाने पर हिंदी में लिखी जा रही है। सोशल मीडिया और संचार माध्यमों में हिंदी का प्रयोग निरंतर बढ़ रहा है।यह विश्व में तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है जो हमारे पारम्परिक ज्ञान, प्राचीन सभ्यता और आधुनिक प्रगति के बीच एक सेतु भी है। हिंदी भारत संघ की राजभाषा होने के साथ ही ग्यारह राज्यों और तीन संघ शासित क्षेत्रों की भी प्रमुख राजभाषा है। संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल अन्य इक्कीस भाषाओं के साथ हिंदी का एक विशेष स्थान है।इंटरनेट के कारण सोशल मिडिया के माध्यम से हिंदी का तेजी से प्रचार-प्रसार हो रहा है।हिंदी भाषा को दुनिया के सबसे बड़े सर्च इंजन गुगल ने भी वर्ष 2009 में हिंदी को अपना लिया और हिंदी की लोकप्रियता इतनी अधिक है की दुसरे भाषा के मुकाबले हिंदी 94% की वृद्धि दर से सबसे आगे बढने वाली भाषा है जिसे गूगल भी मानता है।
हिन्दी को सरकारी कार्यालयों के कार्यो को प्रमुखता दी जाए, हिन्दी में काम करने वाले अधिकारियों/कर्मचारियों प्रोत्साहित किया जाएं जिससे वह गौरवान्वित महसूस करें जिससे हिन्दी को सरकारी काम में गरिमामयी स्थिति मिले। जब तक ऐसा नहीं होगा तब तक हिन्दी, अनुवाद तक ही सीमित रहेगी।
राष्ट्रभाषा किसी भी देश की पहचान और गौरव होती है। हिन्दी हिन्दुस्तान को बांधती है। इसके प्रति अपना प्रेम और सम्मान प्रकट करना हमारा राष्ट्रीय कर्तव्य है। इसी कर्तव्य हेतु हम 14 सितंबर के दिन को ‘हिन्दी दिवस’ के रूप में मनाते हैं।
___डॉ रचना सिंह”रश्मि”