भारत ने गेहूं के एक्सपोर्ट पर फिलहाल लगाया बैन,कतर सहित कई देश परेशान

लोग अरब देशों की भारत से नाराजगी की बातें कर रहे हैं, अगर भारत नाराज हो जाएगा, तो ये लोग अपना चेहरा नहीं दिखा पाएंगे।
क्योंकि भारत अगर नाराज हो गया तो अरब देशों को पेट भरने के लिए भारत के सामने हाथ फैलाना पड़ेगा। हमने जैसा बताया था, ठीक वैसा ही हो रहा है। दुनिया के कई मुस्लिम देश भारत से गुहार लगा रहे हैं कि वो गेहूं की सप्लाई कर दे।
इन देशों की लिस्ट ये है-
- इंडोनेशिया
- बांग्लादेश
- ओमान
- UAE
- कतर
- यमन
- जॉर्डन
अभी तो ये लिस्ट और लंबी होने वाली है। क्योंकि दुनिया में कहीं गेहूं नहीं मिल रहा है। भारत तीसरा बड़ा गेहूं उत्पादक है। और भारत ने गेहूं के एक्सपोर्ट पर फिलहाल बैन लगाया हुआ है। ग्लोबल मार्केट में भारत की गेहूं सप्लाई रुकने से गेहूं के आयात पर निर्भर देश तड़प रहे हैं। क्योंकि उन्हें अपना पेट भरने के लिए गेहूं चाहिए। इसलिए अब वो भारत के आसरे हैं। सोचिए अगर भारत इन देशों ने नाराज हो जाए तो क्या होगा। इंडोनेशिया- भारत के कुल गेहूं निर्यात का 5.9 % इंडोनेशिया खरीदता है।
बांग्लादेश- अपनी जरूरतों का आधे से ज्यादा हिस्सा भारत से खरीदता है। भारत के कुल गेहूं निर्यात में बांग्लादेश का हिस्सा 55.9 % है। पिछले साल भारत ने बांग्लादेश को 40.8 लाख टन गेहूं निर्यात किया था
UAE- भारत के कुल गेहूं निर्यात में UAE तीसरे नंबर पर है। 2020-21 में भारत ने 1.87 लाख टन गेहूं निर्यात किया था । 2021-22 में 4 लाख टन निर्यात किया था
कतर- 2020-21 में कतर को 63 हजार टन गेहूं निर्यात किया गया। और 2021-22 में 1 लाख मीट्रिक टन। कतर अपने देश में फूड सिक्योरिटी के लिए भारत से मदद मांग चुका है। 2017 में कतर में फूड क्राइसिस के दौरान भारत ने कतर को तुरंत मदद भेजी थी।
ओमान-2020-21 में ओमान को 30 हजार टन गेहूं निर्यात किया गया था । और 2020-21 में 92,000 मीट्रिक टन
यमन- भारत के कुल गेहूं निर्यात में यमन का हिस्सा 5.3% है।
पाठशाला में हमने कुछ दिन पहले ही आपको बताया था कि अगर भारत को अरब और मुस्लिम देशों से तेल चाहिए तो ये देश भी दूसरी चीजों के लिए भारत पर निर्भर है। आपको एक बार फिर बताते हैं कि कैसे अरब और मुस्लिम देश भारत पर निर्भर है।
बासमती चावल का एक्सपोर्ट-
UAE- 2.5 लाख मीट्रिक टन (40%)
कुवैत- 1.5 लाख मीट्रिक टन
ओमान- 77 हजार मीट्रिक टन
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सब्जी का एक्सपोर्ट
UAE- 82 हजार मीट्रिक टन
कतर- 25 हजार मीट्रिक टन
ओमान- 37 हजार मीट्रिक टन
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फल का एक्सपोर्ट
UAE- 91 हजार मीट्रिक टन
ओमान- 34 हजार मीट्रिक टन
कतर- 13 हजार मीट्रिक टन
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डेयरी प्रोडक्ट्स
UAE- 13 हजार मीट्रिक टन
कतर- 4 हजार मीट्रिक टन
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मीट एक्सपोर्ट
UAE- 51,336 मीट्रिक टन
कतर- 10,868 मीट्रिक टन
कुवैत- 7593 मीट्रिक टन
दुनिया का 23% गेहूं रूस और यूक्रेन सप्लाई करते हैं और दोनों के बीच तीन महीने से युद्ध चल रहा है। मिडिल ईस्ट सहित दुनिया के कई देश गेहूं की सप्लाई को लेकर रूस और यूक्रेन पर निर्भर हैं। इसलिए युद्ध की वजह से इन देशों पर संकट आ गया है।
-2020 में यूक्रेन ने 95 % अनाज मीडिल ईस्ट और नॉर्थ अफ्रीका क्षेत्रों में बसे देशों को भेजा था
-लेबनान और लीबिया अपनी जरूरतों को 40% गेहूं रूस और यूक्रेन से मंगवाते है
– यमन 20% और ईजिप्ट 80 % गेहूं के लिए रूस और यूक्रेन पर निर्भर है
– ओमान भी अपनी जरूरतों के 70% गेहूं के लिए रूस-यूक्रेन पर निर्भर है
– इसी तरह UAE भी 54% गेहूं के लिए रूस-यूक्रेन पर निर्भर है
– दुनिया के 30 देश बड़ी मात्रा में गेहूं के लिए रूस और यूक्रेन पर निर्भर है
– Gulf Cooperation Council से जुड़े देश अपनी खाने-पीने की जरूरतों का 85% हिस्सा इंपोर्ट करते हैं
लेकिन युद्ध छिड़ने के साथ ही इन देशों के लिए अब भारत की एक बड़ा सहारा है । अनाज संकट की वजह से दुनिया मुश्किल में है, लेकिन ऐसा नहीं है कि भारत ने दूसरे देशों की मदद से मुंह फेर लिया है,भारत उन देशों को अब भी गेहूं सप्लाई कर रहा है जिनके साथ उसके एक्सपोर्ट कमिटमेंट हैं।
भारत जिन देशों को फूड सिक्योरिटी में मदद का भरोसा दिया है उन्हें भी गेहूं सप्लाई कर रहा है,जिन देशों ने भारत से मदद की गुहार लगाई है उनकी रिक्वेस्ट पर भी भारत गंभीरता से विचार कर रहा है
गेहूं उत्पादन में भारत दुनिया में तीसरे नंबर पर है। और एक्सपोर्ट में 9वें नंबर पर है
भारत का गेहूं उत्पादन-
2021-22
-11 करोड़ टन
2022-2023
-10.6 करोड़ टन का अनुमान
भारत का कुल निर्यात
2021-22
– 70 लाख टन
2022-23 के लिए टारगेट
– 1 करोड़ टन
रूस-यूक्रेन का युद्ध जितना खिंचेगा अरब देशों के लिए अनाज संकट उतना ही बढ़ेगा। ऐसे हालात में उन्हें सच्चे दोस्त के रूप में भारत ही नजर आएगा, इसलिए वो लोग जिन्हें ये लगता है कि अरब देशों की नाराजगी से भारत हिल जाएगा और भारत को अरब देशों को नाराज नहीं करना चाहिए वो ये भी जान लें भारत की नाराजगी अरब देशों को ज्यादा भारी पड़ेगी।
अमेरिका ने भारत से कहा- फैसले पर करें पुनर्विचार :
बीते सोमवार को हुए वर्चुअल न्यूयॉर्क फॉरेन प्रेस सेंटर ब्रीफिंग में अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड ने कहा कि “हमने भारत के फैसले की रिपोर्ट देखी है। हम देशों को निर्यात को प्रतिबंधित नहीं करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं क्योंकि हमें लगता है कि निर्यात पर किसी भी प्रतिबंध से भोजन की कमी बढ़ जाएगी। ऐसे में लोग भुखमरी के कगार पर हैं।” उन्होंने कहा, ” सुरक्षा परिषद के हमारी बैठक में भारत भी भाग लेगा। इसके अलावा हम उम्मीद करते हैं कि भारत बैठक में अन्य देशों के चिंताओं को सुनेंगे और पुर्नविचार करेंगे। इसके अलावा रूस-यूक्रेन का युद्ध जितना खिंचेगा यूरोप, अरब देशों के लिए अनाज का संकट उतना ही बढ़ेगा। इसलिए दुनिया को पता है कि भारत के साथ मित्रता में ही भलाई हैं। यहां तक कि पाकिस्तान को भी पता है कि भारत की सिंधु नदी का पानी जो पाकिस्तानी पीते हैं, उसकी क्या अहमियत है। यह गेहूं और पानी की अहमियत विश्व भलीभांति जानता है। इसलिये विदेश नीति यह कहती है कि मैत्री और शांति में ही सबकी उन्नति सम्भव है।