डॉ. भीमराव अम्बेडकर के अनुसार – मैं कह सकता हूं कि अगर कभी कुछ गलत हुआ तो इसका कारण यह नहीं होगा कि हमारा संविधान खराब था। बल्कि इसका उपयोग करने वाला मनुष्य अधम था।
अत:, विश्वशांति व मानवता व्याप्त किये जाने हेतु तथा इस वास्ते भारत को गौरवशाली अखण्ड भारतवर्ष विश्व गुरू बनाये जाने के लिए –
भारत के शासक प्रधानमंत्री जी से, अपने कर्तव्यपालन व मांग के द्वारा भारत के समस्त राष्ट्रीय पुरूषों के पुरूष वर्ण के अनुशासित मुखिया भारत के राष्ट्रीय सर्वोच्च मुख्य न्यायाधीश जी को स्वंय ही स्वेच्छा से अपने समस्त भारतीय महिलाओं के महिला जाति के स्वाधीन विश्व गुरू मुखिया भारतीय सर्वोच्च मुख्य न्यायाधीश साहब को हासिल करना चाहिए।
जिससे कि महिला व पुरूष समस्त भारतीय नागरिकों को अपने भारतीय सर्वोच्च न्यायालय में अपना तत्काल, निष्पक्ष, स्वच्छ, सम्पूर्ण व ईश्वरीय न्याय जारी करने वाला भारतीय महिला जाति का प्रतिभाशाली विद्वान मुखिया भारतीय सर्वोच्च मुख्य न्यायाधीश साहब व इनके द्वारा जारी न्याय को प्रदान करने वाला भारत के राष्ट्रीय पुरूष वर्ण का मर्यादाशाली स्वविवेकवान मुखिया भारत का राष्ट्रीय सर्वोच्च मुख्य न्यायाधीश जी, भारतीय संविधान में दर्ज लैंगिक समानता के अधिकार के तहत एक साथ समानरूप से हासिल हो सके।
जिससे कि समस्त महिला व पुरूष भारतीय नागरिकों के पहचान के सभी प्रकार के अभिलेखों में दर्ज उनके नाम के साथ उनके माता-पिता का नाम एक साथ समान रूप से दर्ज हासिल हो सके। जैसे-लव – पुत्र, सीताराम, कुश- पुत्र, सीताराम। इस प्रकार भारत गौरवशाली अखंड भारत वर्ष विश्वगुरू बन जायेगा और विश्व में व्याप्त अशांति व दानवता का अंत हो जायेगा।