सभासद छैया त्रिपाठी को न्यूज ऐडीटर आकांक्षा ने बांधी राखी


कहते हैं कि राखी का त्यौहार भाई बहन के पवित्र रिश्ते का प्रतीक है । इसी पवित्र त्योहार की आज साक्षी बनी वाराणसी टीम सच की दस्तक । जिसमें सच की दस्तक की न्यूज एडीटर आकांक्षा सक्सेना ने जिले औरैया के लोकप्रिय सामाजिक कार्यकर्ता छैया त्रिपाठी (सभासद) को रक्षासूत्र बांध कर उनकी लंबी उम्र और सेहतमंद रहने की प्रार्थना की।
जिसपर सभासद छैया त्रिपाठी ने कहा कि वह एक विचित्र पहल सेवा समिति में जुड़े एक निस्वार्थ सोसलवर्कर हैं और पूरे हृदय से औरैया वासियों के हितार्थ जो कुछ भी वह कर सकें, वह उसको अपना सौभाग्य मानेगें। उन्होंने आगें यह भी बताया कि वह अपने इस सामाजिक और राजनैतिक जीवन में किसी को अपना प्रतिद्वंद्वी नहीं मानते वरन् सभी को अपना भाई बंधू मानकर कर सिर्फ़ अपने शहर के कल्याण और सेवा हेतु प्रतिबद्धत और संकल्पित है। आगें उन्होंने बताया कि अभी कुछ ही समय में थाना कोतवाली में एसएपी चारू निगम जी के नेतृत्व में विशाल झण्डा रैली निकलने वाली है अगर मेरी बुजुर्ग मां की तबियत ठीक रही तो वह भी जरूर शामिल होगें।
टीम दस्तक ने कहा, इस रैली में हम भी शामिल होगें और आगें उन्होंने भारत सरकार के इस घर घर तिरंगे अभियान की खुल कर सराहना भी की ।
उन्होंने स्पष्ट कहा कि वह राष्ट्रवाद के साथ है। तिरंगा हमारी पहचान है और मुझे गर्व है कि देश के प्रधानमंत्री जी ने आजादी का 75वां अमृतमहोत्सव हर घर में बड़ी ही खूबसूरत से मनाने को कहा। इससे भटके युवाओं में राष्ट्रभक्ति की अलख जाग सके, हम तो यहीं चाहेगें।
मेरा यही मानना है कि राष्ट्रहित सर्वोपरि और मैं मेरी पूरी टीम की तरफ़ से सभी देशवासियों को रक्षाबंधन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं प्रेषित करता हूं और यही कहूंगा कि जो मिशन समाजहित और राष्ट्रहित में हो, मैं सदैव उसके साथ हूँ, मैं जनप्रतिनिधि के रूप में जन-जन को मुस्कान भले ना दे सकूं परन्तु उनके दर्द की वजह ना बनूं। मैं आगें यही कहना चाहूंगा मै साफ नियत से पूरी ईमानदारी से जनसेवा का अपने जीवन का लक्ष्य मानता हूँ।
आगें मैं सच की दस्तक टीम को आशीर्वाद देता हूं कि जनप्रतिनिधि और पत्रकारों का सुखद सम्मानित स्नेह राखी सम्बन्ध सदा आबाद रहें । हम सब साथ मिलकर समाज और देश के हित में बराबर के साझेदारी निभा सकें और राष्ट्रहित को अपने हृदय में धारण कर सकें जो दिखावा मात्र न होकर हृदय का अनंत सम्बंध स्थापित रहे, यही मेरी तपस्या है, मेरी साधना है, यही मेरी सोच है और यही मैं प्रकृतिकांत त्रिपाठी (छैया त्रिपाठी) हूँ।