Noida Scam: नोएडा में 10 हजार करोड़ का स्कैम ! पुलिस ने गिरोह के मास्टरमाइंड सहित आठ लोगों को किया गिरफ्तार

ब्यूरो रिपोर्ट नॉएडा (उत्तर प्रदेश ): नोएडा में हजारों करोड़ों के स्कैम का मामला सामने आया है, जिसमे एक संगठित गिरोह द्वारा फर्जी जीएसटी नंबर के जरिए कर में चोरी किया जा रहा था. पुलिस ने इस मामले में कई लोगों को गिरफ्तार कर लिया है |
भारत के भगोड़े कारोबारियों विजय माल्या और नीरव मोदी को पीछे छोड़ते हुए दिल्ली से सटे नोएडा में अब करीब 10 हजार करोड़ का घोटाला सामने आया है। नोएडा पुलिस ने हजारों लोगों के पैन कार्ड के डेटा और जाली दस्तावेजों के आधार पर 10 हजार करोड़ रुपये की ठगी करने वाले गिरोह का खुलासा किया है। इस गिरोह ने फर्जी कंपनियां (Shell Companies) बनाकर देशभर में सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाया। नोएडा पुलिस ने मामले में सरगना समेत आठ को गिरफ्तार किया है।
जानकारी के मुताबिक बीते मई के महीने में थाना सेक्टर 20 पुलिस को एक व्यक्ति ने शिकायत दी थी कि उसके पे कार्ड पर फर्जी फर्म तैयार करके जीएसटी का हेरफेर किया गया है. शिकायत मिलने के बाद थाना सेक्टर 20 पुलिस टेक्निकल सर्विलांस के माध्यम से छानबीन में जुट गई थी. जिसके बाद पुलिस ने इस पूरे नेक्सेस का खुलासा किया है. पूछताछ में आरोपियों ने बताया है कि ये लोग फर्जी फर्म GST नंबर सहित बनाकर बिना माल की डिलीवरी किए फर्जी बिल तैयार करके जीएसटी रिफंड लेकर सरकार के राजस्व को हजारों करोड़ रुपए का नुकसान पहुंचा रहे थे |
पिछले 5 सालों से यह गिरोह संगठित रूप से इस तरह के फर्जी फार्म तैयार करने में लगे हुए थे. यह गिरोह 2 टीम बनाकर काम किया करते थे. पहली टीम फर्जी दस्तावेजों जैसे आधार कार्ड, पैन कार्ड, रेंट एग्रीमेंट, इलेक्ट्रिसिटी बिल आदि का उपयोग करके फर्जी फर्म जीएसटी नंबर तैयार करते थे, वहीं दूसरी टीम फर्जी फर्म जीएसटी नंबर सहित को पहले टीम से खरीद कर फर्जी बिल का उपयोग करके जीएसटी रिफंड आईटीसी इनपुट टैक्स क्रेडिट प्राप्त करके भारत सरकार को हजारों करोड़ रुपए के राजस्व का चूना लगा रहे थे |
पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह ने बताया कि गिरोह में 50 से अधिक लोगों के शामिल होने की जानकारी मिली है, जो देश के अलग-अलग हिस्से में बैठकर आरोपियों के साथ ठगी कर रहे थे। जांच में आरोपियों से 12 लाख 66 हजार रुपये नगद, 32 मोबाइल, चार लैपटॉप, 118 फर्जी आधार कार्ड, तीन कार, फर्जी जीएसटी नंबर के साथ ही अन्य दस्तावेज बरामद किए गए हैं।
इस तरह तैयार कराते थे फर्जी दस्तावेज :
पुलिस कमिश्नर ने बताया कि आरोपी सबसे पहले फर्जी कंपनी और जीएसटी नंबर हासिल करने के लिए निजी वेबसाइट और अन्य आउसोर्सिंग कंपनियों के जरिए लोगों के पैन कार्ड का डाटा हासिल करते थे। उन्होंने बताया कि इसके बाद आरोपी झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले लोगों को कुछ रुपये का लालच देकर उनके आधार कार्ड में अपने नंबर को रजिस्टर्ड करा देते थे। इस प्रकार से एक ही व्यक्ति से मिलते-जुलते नामों के सैकड़ों लोगों के आधार कार्ड में संशोधन कर फर्जी दस्तावेज तैयार करते थे। पुलिस कमिश्नर ने बताया कि इस काम को गिरोह का सरगना दीपक मुरजानी और उसकी पत्नी विनीता और उनके साथी करते थे। उन्होंने बताया कि इसके बाद इन्हीं दस्तावेजों से फर्जी कंपानियां और उनकी जीएसटी नंबर हासिल करते लेते थे, जिसको आरोपी उसके साथ शामिल किए गए चार्टर्ड अकाउंटेंट को बेच देते थे।
मास्टरमाइंड को पुलिस ने किया गिरफ्तार:
आरोपियों के पहले टीम द्वारा रजिस्टर करवाए गए फर्म सहित को ऑन डिमांड आरोपियों की दूसरी टीम को प्रति फर्म 80 हज़ार से 90 हज़ार रुपए के हिसाब से बेच देते थे. पुलिस को इस टीम से अब तक 2660 फर्जी GST फर्म तैयार किए जाने के जानकारी हाथ लगी है. पहली टीम से फर्म जीएसटी सहित खरीदने के बाद आरोपियों की दूसरी टीम फर्म जीएसटी नंबर सहित का उपयोग करके बिना माल का आदान प्रदान किए फर्जी बिल तैयार करते थे. उसके बाद फर्जी बिल का उपयोग करके भारत सरकार से जीएसटी रिफंड करा लेते थे.