अब “कर्मचारी कल्याण आयोग’ का गठन करे सरकार

प्रदेश में वर्तमान में बिजली विभाग के कर्मचारीगण की लंबे समय से जायज मांगे और उन पर सरकार द्वारा निरन्तर उपेक्षा एवं उदासीन रवैया अंततः आंदोलन के अंतिम प्रयास हड़ताल में परिवर्तित हो गया।
सरकार के द्वारा अंतिम प्रयास बर्खास्तगी और एस्मा का प्रयोग अंतिम विकल्प रूप में किया जा रहा है। मा0 ऊर्जा मंत्री द्वारा अपनी प्रेस कांफ्रेंस में खुले आम कहा गया कि देश में बेरोजगारी बहुत अधिक है और प्रौद्योगिकी विद्यालयों से छात्र सूची मंगाई गई है और उन्हें अप्रेंटिस रूप में नियुक्त किया जायेगा, से यह सीधा स्पष्ट है कि सरकार का रुख कर्मचारियों की मांगों के प्रति किस प्रकार का है।
इस संबंध में दीवानी न्यायालय कर्मचारी संघ, उत्तर प्रदेश सरकार से अपील करता है कि व्यापक जनहित को देखते हुए इस प्रकार के गतिरोध और एकपक्षीय विचारधारा को त्यागते हुए कर्मचारियों के संरक्षक की भूमिका का सम्यक निर्वहन करते हुए कर्मचारीगण की मांगो को पूरी किए जाने अथवा सम्यक विचार हेतु ‘‘कर्मचारी कल्याण आयोग’’ का गठन कर कर्मचारी संगठनों की समस्याओं पर गंभीरता पूर्वक विमर्श और निस्तारण करने की दिशा में आगे बढ़े और बिजली कर्मचारियों की हड़ताल को समाप्त कराने की दिशा में शासक नही अपितु संरक्षक भूमिका का निर्वाह करें जिससे पूरे प्रदेश में एक अच्छा संदेश जाए और कर्मचारियों का यह आंदोलन प्रदेशव्यापी होने से रुक सके।बिजली विभाग के कर्मचारीगण और उनके परिवारजनों की मंगलकामना हेतु ईश्वर से प्रार्थना है।
उपरोक्त विचार सच की दस्तक से दीवानी न्यायालय कर्मचारी संघ उत्तर प्रदेश के प्रांतीय महासचिव नरेंद्र विक्रम सिंह ने कर्मचारी कल्याण हेतु रखीं उन्होंने आगें यह भी बताया कि कर्मचारी की परेशानियों का निदान, “कर्मचारी कल्याण आयोग” से निश्चित ही सम्भव हो सकेगा। सरकार को इस ओर गम्भीरता से ध्यान देना चाहिए।
बहुत ही अच्छा सुझाव है। सरकार को इस पर विचार करना चाहिए।