हसरतों का उम्र से क्या वास्ता
हसरतें अपनी जगह,
उम्र अपनी जगह,
सुबहो-शाम बदलते हैं निजाम
सूरज अपनी जगह,
चाँद अपनी जगह।
जिन्दा जिस्म में
सब तूफान होते हैं
दीन अपनी जगह,
ईमान अपनी जगह,
हिसाबों के घर में
रहते हैं हमेशा,
सवाल अपनी जगह,
जवाब अपनी जगह।
ख्वाहिशें रखते हैं,
बन्दिशों की कैद में,
इंसान अपनी जगह,
हैवान अपनी जगह,
क्या कहेगा कोई,
कहते रहने दो
दिल अपनी जगह,
अरमान अपनी जगह।
नजदीकियाँ हैं तो,
कह दो अभी के अभी
इकरार अपनी जगह,
इनकार अपनी जगह।
नतीजों के दौर से
गुजर जाते हैं
आगाज़ अपनी जगह,
अंजाम अपनी जगह।