कविता : ✍️नीरज त्यागी
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शब्द खुद गवाही देंगे
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अंतर्मन की आशाएं ,दिल के सारे सपने।
होंगे क्या पूरे,उम्मीद बनाये रखना।।
दवात जो भरी है अपने ही अश्कों की स्याही से,
क्या सच लिख पाएगी कलम, उम्मीद बनाये रखना।
आजकल ये रोज मैं जो पन्नों पर बांट रहा हूं ।
ये टूटे सपने हैं मेरे,जिन्हें मैं रोज छांट रहा हूँ।।
मेरे सवालों का जवाब देना, जरूरी भी नही है।
कमजोर किस्सों को याद रखना मजबूरी भी नही है।।
पन्नो पर लिखे लम्हों का कोई मोल जरूरी है।
शब्द बोलेंगे अपनी सच्चाई मेरे लिए जरूरी है।।
किताबों में लिखे शब्द, खुद अपनी गवाही देंगे।
किये जो भी अपराध नहीं,लोग सबकी सजा देंगे।।
अपने भाव व्यक्त करने में कोताही नहीं करना।
मन के सच उतरे पन्नों पर इतनी सच्चाई रखना।।
-कवि नीरज त्यागी
ग़ाज़ियाबाद ( उत्तर प्रदेश ).
वाह वाह