इंटरव्यू दस्तक : साहेब दास मानिकपुरी
नमस्ते दोस्तों, आइये आपको रूबरू करवाते हैं छत्तीसगढ़ राज्य जोकि धान के कटोरे नाम से विख्यात है में जन्में एक किसान के सधारण से दिखने वाले असाधारण बेटे से | दोस्तों! इसी धान के कटोरे से हुआ एक महान सितारे का उदय जिसको चमकने से कोई ग्रामीण पृष्टभूमि हो या आई हो कैसी भी परिस्थिति कोई उनका रास्ता न रोक सकी| उस चर्चित शख्शियत का नाम है ‘साहेब दास मानिकपुरी’ जी जिनको आपने कई टीवी शो व कई फिल्मों तथा कई टीवी विज्ञापनों में देखा होगा जिनको कि आप “खिलौनी” नाम से भी पहिचानते है | आइये! बातचीत से जानते हैं साहेब जी के जीवन के कुछ अनकहे पहलू ……
आकांक्षा- नमस्ते सर आपका पूरा नाम क्या है?
साहेब – नमस्ते! मेरा पूरा नाम साहेब दास मानिकपुरी है|
आकांक्षा- आपके जन्म स्थान के बारे में बतायें ?
साहेब- मैं छत्तीसगढ़ राज्य के छोटे से
गाव भैंसा संकरी (हथबंद) से हूँ |
आकांक्षा- आपको अभिनय का सुरूर कब चढ़ा?
साहेब- मुझे ऐक्टिंग का कोई सुरूर नही था | मैं तो पढ़ने और नौकरी की तलाश में मुम्बई आया था | मेरे बड़े भाई कुमार मानिकपुरी लेखक हैं और भाई ने ही मुझे थियेटर करने को कहा | भाई की बात मानकर कर 2004 से मैंने थियेटर ज्वाइन किया बस फिर कदम एक्टिंग की तरफ बढ़ चले |
आकांक्षा- साहेब जी आपको मुम्बई आये कितना समय हो गया?
साहेब- वैसे तो मुझे मुम्बई आये 15 साल हो गये पर कैमरे को फेस 2008 में किया था |
आकांक्षा- आपको एक्टिंग फील्ड में सबसे ज्यादा सहयोग किसका मिला ?
साहेब- मुझे इस फील्ड में ही नही बल्कि मेरे अभी तक की लाइफ के लक की चाबी मेरे भैया भाभी ही हैं | मुझे सबसे ज्यादा सहयोग मेरे पिता समान बड़े भाई कुमार मानिकपुरी जी और माँ समान भाभी शोभा कुमार मानिकपुरी जी का मिला, आज के टाईम में ऐसे भैया भाभी का होना मेरे लिये सौभाग्य की बात है |
आकांक्षा- आपका इस फील्ड में क्या संघर्ष रहा?
साहेब- सचमुच बहुत संघर्ष रहा | मुझे डोर टू डोर स्ट्रगल करना पड़ा क्योंकि मैं मुम्बई में किसी को नही जानता था | मैं गाँव से निकला इतने बड़े शहर की हर चीज से अनजान था | मैंने कई प्रोडक्शन हाउस में जाकर ऑडीशन दिये तब कहीं जाकर काम मिलना शुरू हुआ | यह बहुत कठिन दौर था पर मेहनत का फल देर से सही पर मिला मुझे और जिसकी मैं तहे दिल से कद्र भी करता हूँ |
आकांक्षा- आपका पहला टीवी शो कौन सा था?
साहेब- मुझे टीवी शो में पहला ब्रेक FIR में मिला जिसके निर्देशक शशांक बाली जी हैं | फिर, CID, भाभी जी घर पर हैं और May I come in madam इन सभी शो की टीम बेहद शानदार है और इतने अच्छे लोगों के साथ काम करना अपने में बहुत बड़ी बात है |
आकांक्षा- May I Come In Madam टीवी शो में आपका “खिलौनी” किरदार काफी चर्चित हुआ इस बारे में कुछ बतायें?
साहेब- “खिलौनी” किरदार के बारे में दिल ये यही कहूँगा कि यह करेक्टर गढ़ना मेरे अंदर सोये एक्टर को जगाने जैसा था इसका पूरा श्रेय हमारे सम्माननीय निर्देशक शशांक सर को ही जाता है | मुझे खुद आश्चर्य होता है कि मैं इस लेवल पर कार्य कर रहा हूँ पर जब दोस्त, सहयोगी, आप सब “खिलौनी” करेक्टर की तारीफ करते तो आत्मिक खुशी होती है |
सच कहूँ तो आकांक्षा जी कलाकार पानी या कोरे कागज की भांति होता है जिस पर निर्देशक जो रंग भर दे वह वही रंग वही पहचान पा जाता है |
आकांक्षा- भाभी जी घर में हैं फेमस टीवी शो आपको कैसे मिला साहेब जी?
साहेब- यह शो भी मुझे बेहतरीन व्यक्तित्व के धनी कुशल निर्देशक शशांक बाली जी ने ही दिलवाया था |इस शो की पूरी टीम बेहद शानदार है | मुझे इतने अच्छे टैलेंटेड और परिवार की तरह आत्मियता रखने वाले सभी कलाकारों के साथ काम करने का मौका मिला इसे मैं अपनी खुशनशीबी मानता हूँ |
आकांक्षा- कभी कोई कॉमेडी फिल्म ऑफर हुई तो करना चाहेगें आप?
साहेब- जी, बिल्कुल करना चाहूंगा | मैंने ‘मर्दानी’, ‘रमैयावस्तावैय्या’ फिल्में की है |
आकांक्षा- आपकी सफलता के पीछे आपकी पत्नी का क्या योगदान रहा ?
साहेब- उनके बारे में यही कहूंगा कि दुनिया की सबसे अच्छी लड़की को बीवी के रूप भगवान ने मेरे भाग्य में लिखा कि जब से मेरी बीवी सरस साहेब मानिकपुरी मेरी लाइफ में आई हैं तब से जीवन में खुशहाली और बढ़ गयी है | वह एक काबिल रिपोर्टर थीं पर परिवार की जिम्मेदारियों के चलते उन्होंने भी बहुत त्याग किया है | आज वह होम वाइफ हैं | मैं उनका बहुत सम्मान करता हूँ |
आकांक्षा – साहेब जी आप खुद को एक लाईन में कैसे परिभाषित करेगें?
साहेब- मैं अपने माता-पिता और अपनी फेमिली को बहुत प्यार करता हूँ और उससे भी ज्यादा उनके त्याग पर गर्व करता हूँ |
मैं गर्व से कहता हूँ कि मैं किसान का बेटा हूँ जो धरती को चीर कर अन्न उत्पन्न करना बखूबी जानता है |
आकांक्षा- आप अभिनय के क्षेत्र में आने वाले युवाओं को क्या संदेश देना चाहेगें?
साहेब- मैं इस फील्ड में आने वाले सभी युवाओं अपने बहनों- भाइयों ये यही कहना चाहूंगा कि अगर खुद पर हो यकीन तो ही इस फील्ड में आयें क्योंकि यहाँ आपकी सहनशीलता और धैर्य की परीक्षा होती है | क्योंकि जितना बड़ा सपना उतनी ही मेहनत और उतना ही समर्पण चाहिये तब सपनों को जमीं मिलती है|
साहेब जी आपने अपना कीमती समय हमें दिया इसके लिये आपका ससम्मान सहृदय धन्यवाद |
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